इतिहास लेखक व ग्रंथ MCQ Quiz in हिन्दी - Objective Question with Answer for इतिहास लेखक व ग्रंथ - मुफ्त [PDF] डाउनलोड करें
Last updated on Apr 6, 2025
Latest इतिहास लेखक व ग्रंथ MCQ Objective Questions
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इतिहास लेखक व ग्रंथ Question 1:
वृंदावनलाल वर्मा हैं :
Answer (Detailed Solution Below)
इतिहास लेखक व ग्रंथ Question 1 Detailed Solution
सही उत्तर 'ऐतिहासिक उपन्यासकार' है।
Key Points
- वृंदावनलाल वर्मा 'ऐतिहासिक उपन्यासकार' हैं।
- वृंदावनलाल वर्मा जी की इतिहास, कला, पुरातत्त्व, मनोविज्ञान, साहित्य, चित्रकला एवं मूर्तिकला में विशेष रुचि थी।
अन्य विकल्प:
- मनोविश्लेषणात्मक उपन्यासकार - जैनेन्द्र कुमार, इलाचन्द्र जोशी और अज्ञेय हैं।
- जासूसी उपन्यासकार - वेदप्रकाश शर्मा, ओमप्रकाश शर्मा, सुरेंद्र मोहन पाठक और वेदप्रकाश काम्बोज शुमार हैं।
Additional Information
- वृन्दावन लाल वर्मा (1889-1969) ने हालाकि सामाजिक उपन्यास भी लिखे हैं, लेकिन उनका नाम ऐतिहासिक उपन्यासों लेखन में विशेष रूप से उल्लेखनीय है।
- उन्होंने एक तरफ प्रेमचंद की सामाजिक परंपरा को आगे बढ़ाया है तो दूसरी तरफ हिन्दी में ऐतिहासिक उपन्यास की धारा को उत्कर्ष तक पहुँचाया है।
इतिहास लेखक व ग्रंथ Question 2:
'हिंदी' साहित्य का आलोचनात्मक इतिहास' किसने लिखा?
Answer (Detailed Solution Below)
इतिहास लेखक व ग्रंथ Question 2 Detailed Solution
'हिंदी' साहित्य का आलोचनात्मक इतिहास' के लेखक "रामकुमार वर्मा" है।
Key Points
डॉ राम कुमार वर्मा :
- डॉ राम कुमार वर्मा (15 सितम्बर, 1905 - 1990) हिन्दी के सुप्रसिद्ध साहित्यकार, व्यंग्यकार और हास्य कवि के रूप में जाने जाते हैं।
- उन्हें हिन्दी एकांकी का जनक माना जाता है। उन्हें साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में सन 1963 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।
- इनके काव्य में 'रहस्यवाद' और 'छायावाद' की झलक है।
रामकुमार वर्मा की रचनाएँ-
- डॉ० रामकुमार वर्मा के प्रमुख एकांकी-संग्रह निम्नलिखित हैं। पृथ्वीराज की आँखें (1938 ई.), चारुमित्रा, रेशमी टाई (1941 ई.)।
- सप्त-किरण, कौमुदी महोत्सव, दीपदान, रजत-रश्मि, रिमझिम, विभूति, चार ऐतिहासिक एकांकी (1950 ई.)।
Additional Information महावीर प्रसाद द्विवेदी:
- महावीर प्रसाद द्विवेदी एक भारतीय हिंदी लेखक और संपादक थे।
- उन्होंने हिंदी साहित्य की अविस्मरणीय सेवा की और अपने युग की साहित्यिक और सांस्कृतिक चेतना को दिशा और दृष्टि प्रदान की।
- उनके इस अतुलनीय योगदान के कारण आधुनिक हिंदी साहित्य का दूसरा युग 'द्विवेदी युग' (1900–1920) के नाम से जाना जाता है।
प्रमुख रचनाएँ:
- पद्य- देवी स्तुति-शतक, कान्यकुब्जावलीव्रतम, काव्य मंजूषा, सुमन आदि।
- गद्य-हिन्दी भाषा की उत्पत्ति, सम्पत्तिशास्त्र, साहित्यालाप, महिलामोद आदि।
डॉ नगेन्द्र:
- भारत के प्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार थे।
- आधुनिक हिन्दी की आलोचना को समृद्ध करने में डॉ. नगेन्द्र का महत्वपूर्ण योगदान रहा था।
- वे काव्य शास्त्र के प्रकाण्ड विद्वान् माने जाते थे।
- रस–सिद्धांत हिन्दी के विख्यात साहित्यकार नगेन्द्र द्वारा रचित एक काव्यशास्त्र है जिसके लिये उन्हें सन् 1965 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
मुख्य रचनायें:
- 'विचार और विवेचन', 'विचार और अनुभूति', 'विचार और विश्लेषण', 'अरस्तू का काव्यशास्त्र', 'अनुसंधान और आलोचना'
- 'रस-सिद्धांत, 'आलोचक की आस्था', 'समस्या और समाधान', भारतीय साहित्य, भारतीय महाकाव्य आदि।
राहुल सांकृत्यायन:
- राहुल सांकृत्यायन जिन्हें महापंडित की उपाधि दी जाती है हिंदी के एक प्रमुख साहित्यकार थे।
- वे एक प्रतिष्ठित बहुभाषाविद् थे और बीसवीं सदी के पूर्वार्ध में उन्होंने यात्रा वृतांत/यात्रा साहित्य तथा विश्व-दर्शन के क्षेत्र में साहित्यिक योगदान किए।
प्रमुख रचनाएँ:
- कहानी संग्रह – कनैला की कथा, सतमी के बच्चे, बहुरंगी मधुपुरी, वोल्गा से गङ्गा आदि।
- आत्मकथा – मेरी जीवन यात्रा।
- धर्म और दर्शन – बौद्ध दर्शन, दर्शन दिग्दर्शन, धम्मपद, बुद्धचर्या, मज्झिमनिकाय आदि।
इतिहास लेखक व ग्रंथ Question 3:
हिंदी साहित्य में 'कलम का जादूगर' किसे कहा जाता है?
Answer (Detailed Solution Below)
इतिहास लेखक व ग्रंथ Question 3 Detailed Solution
हिन्दी साहित्य में 'कलम का जादूगर' 'रामवृक्ष बेनीपुरी' को कहा जाता है।
Key Points
रामवृक्ष बेनीपुरी की प्रमुख रचनाएं
- रेखा चित्र - माटी की मूरतें ,लाल तारा
- संस्मरण - जंजीरें और दीवारें, मील के पत्थर
- कहानी - चिता के फूल
- उपन्यास - पतितों के देश में
- यात्रा वृतांत - पैरों में पंख बांधकर, उड़ते चलें
- नाटक - आम्रपाली ,सीता की मां, रामराज्य
- निबंध - गेहूं और गुलाब, बंदे बाणी ,विनायक मसाल
- जीवनी - महाराणा प्रताप ,जयप्रकाश नारायण, कार्ल मार्क्स
Additional Informationलेखक परिचय - आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी
- आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी हिन्दी के महान साहित्यकार, पत्रकार एवं युगप्रवर्तक थे।
- उन्होंने हिंदी साहित्य की अविस्मरणीय सेवा की और अपने युग की साहित्यिक और सांस्कृतिक चेतना को दिशा और दृष्टि प्रदान की।
- उनके इस अतुलनीय योगदान के कारण आधुनिक हिंदी साहित्य का दूसरा युग 'द्विवेदी युग' के नाम से जाना जाता है।
- ब्रिटिश हुकूमत में इंडियन प्रेस के संस्थापक बाबू चिंतामणि घोष ने सन 1900 में सरस्वती पत्रिका का प्रकाशन आरंभ कराया था।
- आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी ने जनवरी 1903 से दिसंबर 1920 तक इसका संपादन किया।
- प्रमुख रचनाएँ -काव्य-मंजूषा,सुमन (1923 ई.), कान्य-कुब्ज,अबला विलाप, संपत्ति शास्त्र,महिला मोद,कविता कलाप नागरी तेरी यह दशा
इतिहास लेखक व ग्रंथ Question 4:
इंशा अल्लाह खां द्वारा कौन-सी पुस्तक लिखी गई?
Answer (Detailed Solution Below)
इतिहास लेखक व ग्रंथ Question 4 Detailed Solution
सही विकल्प रानी केतकी की कहानी है। अन्य विकल्प असंगत है।
Key Points
- इसके लेखक इंशा अल्ला खाँ थे।
- यह उर्दू लिपि में लिखी गयी थी।
- रानी केतकी की कहानी हिन्दी की प्रथम गद्य रचना मानी जाती है।
- रानी केतकी का दूसरा नाम =उदय भान चरित
- इसे हिन्दी की प्रथम कहानी भी माना जाता है ।
- यह कहानी एक प्रेम प्रसंग, युद्ध ,और जादू का मिश्रण है ।
इंशा अल्ला खाँ -
- हिन्दी साहित्यकार और उर्दू कवि थे।
- वे लखनऊ तथा दिल्ली के दरबारों में कविता करते थे।
- उन्होने दरया-ए-लतफत नाम से उर्दू का प्रथम व्याकरण की रचना की थी।
Important Points
पुस्तक | लेखक |
नहुष | बाबू गोपालचन्द्र 'गिरिधरदास' |
प्रेमसागर | लल्लू लाल |
श्रीकृष्ण चरित | तंत्रनाथ झा |
इतिहास लेखक व ग्रंथ Question 5:
चंद्रधर शर्मा ने किसे पुरानी हिन्दी कहकर संबोधित किया?
Answer (Detailed Solution Below)
इतिहास लेखक व ग्रंथ Question 5 Detailed Solution
दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर विकल्प 4 'अपभ्रंश को’ है। अन्य विकल्प इसके गलत उत्तर हैं।
Key Points
- हिन्दी भाषा का इतिहास लगभग एक हजार वर्ष पुराना माना गया है।
- सामान्यतः प्राकृत की अन्तिम अपभ्रंश अवस्था से ही हिन्दी साहित्य का आविर्भाव स्वीकार किया जाता है।
- उस समय अपभ्रंश के कई रूप थे और उनमें सातवीं-आठवीं शताब्दी से ही 'पद्य' रचना प्रारम्भ हो गयी थी।
- हिन्दी भाषा व साहित्य के जानकार अपभ्रंश की अंतिम अवस्था 'अवहट्ट' से हिन्दी का उद्भव स्वीकार करते हैं।
- चन्द्रधर शर्मा 'गुलेरी' ने इसी अवहट्ट को 'पुरानी हिन्दी' नाम दिया।
Additional Information
- संसार का सबसे प्राचीन ग्रन्थ ऋग्वेद है।
- ऋग्वेद से पहले भी संभव है कोई भाषा विद्यमान रही हो परन्तु आज तक उसका कोई लिखित रूप नहीं प्राप्त हो पाया।
- हिन्दी का विकास क्रम-संस्कृत-पालि-प्राकृत-अपभ्रंश-अवहट्ठ-प्राचीन/प्रारम्भिक हिन्दी है।
इतिहास लेखक व ग्रंथ Question 6:
अब तक की जानकारी के अनुसार हिन्दी भाषा में हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन का सबसे पहला प्रयास किस विद्वान् का है ?
Answer (Detailed Solution Below)
इतिहास लेखक व ग्रंथ Question 6 Detailed Solution
अब तक की जानकारी के अनुसार हिन्दी भाषा में हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन का सबसे पहला प्रयास शिव सिंह सेंगर विद्वान् का है।
Key Pointsशिवसिंह सेंगर-
- हिन्दी के इतिहास लेखक थे।
- प्रमुख रचना-
- शिवसिंह सरोज (1883 ई.)
Important Pointsहिन्दी साहित्य के इतिहासकार और उनके ग्रन्थ:
- गार्सा द तासी : इस्तवार द ला लितेरात्यूर ऐंदुई ऐंदुस्तानी (फ्रेंच भाषा में; फ्रेंच विद्वान, हिन्दी साहित्य के पहले इतिहासकार)
- शिवसिंह सेंगर : शिव सिंह सरोज
- जार्ज ग्रियर्सन : द मॉडर्न वर्नाक्यूलर लिट्रेचर ऑफ हिंदोस्तान
- मिश्र बंधु : मिश्र बंधु विनोद
- रामचंद्र शुक्ल : हिन्दी साहित्य का इतिहास
- हजारी प्रसाद द्विवेदी : हिन्दी साहित्य की भूमिका; हिन्दी साहित्य का आदिकाल; हिन्दी साहित्य :उद्भव और विकास
- रामकुमार वर्मा : हिन्दी साहित्य का आलोचनात्मक इतिहास
- डॉ धीरेन्द्र वर्मा : हिन्दी साहित्य
- डॉ नगेन्द्र : हिन्दी साहित्य का इतिहास; हिन्दी वाङ्मय 20वीं शती
- रामस्वरूप चतुर्वेदी : हिन्दी साहित्य और संवेदना का विकास, लोकभारती प्रकाशन, इलाहाबाद, 1986
- बच्चन सिंह : हिन्दी साहित्य का दूसरा इतिहास, राधाकृष्ण प्रकाशन, नई दिल्ली।
इतिहास लेखक व ग्रंथ Question 7:
‘गार्सां द तासी’ का हिन्दी साहित्य के इतिहास से संबंधित ग्रंथ मूलतः किस भाषा में लिखा गया ?
Answer (Detailed Solution Below)
इतिहास लेखक व ग्रंथ Question 7 Detailed Solution
‘गार्सां द तासी’ का हिन्दी साहित्य के इतिहास से संबंधित ग्रंथ मूलतः फ्रेंच भाषा में लिखा गया।
- वे फ्रांस में हिन्दुस्तानी (उर्दू-हिन्दी) के प्रोफेसर थे।
- फ्रांस में रहकर ही उन्होंने हिन्दुस्तानी की शिक्षा भी ग्रहण की थी।
- वहाँ रहकर उन्होंने फ्रेंच में हिन्दी साहित्य का पहला इतिहास लिखा, वह उस सदी का सबसे ज्यादा समृद्ध इतिहास ग्रंथ भी है।
- इसलिए गार्सां द तासी के ग्रंथ मूलतः फ्रेंच भाषा में लिखा।
अन्य विकल्प गलत हैं।
Important Pointsगार्सां द तासी की हिन्दुस्तानी और हिन्दवी में लिखी गई प्रमुख पुस्तकें -
- ले ओत्यूर ऐंदुस्तानी ऐ ल्यूर उवरज (हिन्दुस्तानी लेखक और उनकी रचनाएं)
- ल लॉग अ ल लितरेत्यूर ऐंदुस्तानी द 1850 अ 1869 (1850 से 1869 तक हिन्दुस्तानी भाषा और साहित्य)
- रुदिमाँ द ल लॉग ऐंदुई’ (हिन्दुई भाषा के प्राथमिक सिद्धांत)
- रुदिमाँ द ल लॉग ऐंदुस्तानी (हिन्दुस्तानी भाषा के प्राथमिक सिद्धांत)
Additional Informationगार्सां द तासी
- जन्म - 25 जनवरी 1794
- तासी को फ्रांस में ‘नाइट ऑफ द लिजियन ऑफ ऑनर’ और ‘स्टार ऑफ द साउथ पोल’ जैसी उपाधियों से नवाजा गया था।
‘इस्त्वार द ल लितरेत्युर ऐंदुई ऐ ऐंदुस्तानी’ (Histoire de la littérature hindoue e hindoustani)
- हिन्दुस्तानी साहित्य का सर्व प्रथम इतिहास ग्रंथ माना जाता है।
- उनका इतिहास तीन जिल्दों में है जो क्रमश: 1839, 1847 और 1871 में प्रकाशित हुआ।
- पहली और दूसरी जिल्दें फ्रांस के राजकीय मुद्रणालय में छपी थीं
- सरा संस्कण भी पेरिस से ही 1871 में प्रकाशित हुआ था।
- 1871 के संस्करण की पहली जिल्द में 1223, दूसरी जिल्द में 1200 और तीसरी जिल्द में 801 कवियों और लेखकों का विवरण है।
इतिहास लेखक व ग्रंथ Question 8:
देवेन्द्र सत्यार्थी संस्मरण का नाम है:
Answer (Detailed Solution Below)
इतिहास लेखक व ग्रंथ Question 8 Detailed Solution
देवेन्द्र सत्यार्थी संस्मरण का नाम "रेखाएँ बोल उठी" है। अन्य विकल्प असंगत है। अत: विकल्प 3)" रेखाएँ बोल उठी" सही उत्तर होगा।
Key Points
हिंदी साहित्य के क्षेत्र में संस्मरण आधुनिक काल की विधा है।
Additional Information
रचना | रचनाकार |
माटी के मूरतें | रामवृक्ष बेनीपुरी |
रेखाएँ बोल उठी | देवेन्द्र सत्यार्थी |
दीप जले शंख बजे | कन्हैया लाल मिश्र प्रभाकर |
इतिहास लेखक व ग्रंथ Question 9:
साहित्य के इतिहास लेखन की सबसे विकसित पद्धति है
Answer (Detailed Solution Below)
इतिहास लेखक व ग्रंथ Question 9 Detailed Solution
साहित्य के इतिहास लेखन की सबसे विकसित पद्धति है- विधेयवादी पद्धति
Key Pointsहिंदी साहित्य का मुख्य इतिहास है-
- ग्रन्थ-हिंदी साहित्य का इतिहास
- लेखक-रामचन्द्र शुक्ल
- प्रकाशन वर्ष-1929 ई.
- यह ग्रन्थ नागरी प्रचारिणी सभा से 'हिंदी शब्दसागर' की भूमिका के रूप में लिखा गया था।
- इस भूमिका को हिंदी साहित्य का विकास नाम दिया गया था।
- इसमें विधेयवादी पद्धति का प्रयोग किया गया है।
- इसमें रचनाकारों का विभाजन काल के अनुसार किया गया है।
Important Pointsहिंदी साहित्य के अन्य ग्रन्थकार-
ग्रन्थ | प्रकाशन वर्ष | ग्रन्थकार |
शिवसिंह सरोज | 1883 ई. | शिवसिंह सेंगर |
द माडर्न वर्नाक्यूलर लिटरेचर ऑफ हिन्दुस्तान | 1888 ई. | ग्रियर्सन |
मिश्रबन्धु विनोद | 1913 ई. | मिश्र बंधु |
हिंदी साहित्य का आलोचनात्मक इतिहास | 1938 ई. | रामकुमार वर्मा |
हिंदी साहित्य ली भूमिका | 1940 ई. | हजारीप्रसाद द्विवेदी |
इतिहास लेखक व ग्रंथ Question 10:
'साहित्यिक अपभ्रंश' को पुरानी हिंदी किसने कहा था?
Answer (Detailed Solution Below)
इतिहास लेखक व ग्रंथ Question 10 Detailed Solution
रामचंद्र शुक्ल ने साहित्यिक अपभ्रंश को पुरानी हिंदी की संज्ञा दी थी| अन्य सभी विकल्प हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध नाम अवश्य हैं मगर उपयुक्त प्रश्न के लिए सही विकल्प नहीं है| अतः सही विकल्प आचार्य रामचंद्र शुक्ल हैं| इसे साहित्यिक अपभ्रंश की संज्ञा इसीलिए दी गयी क्योंकि पुरानी हिन्दी का उद्भव अपभ्रंश से ही हुआ था और चूँकि इसका अधिक प्रयोग साहित्य के क्षेत्र में हुआ इसीलिए इसे साहित्यिक अपभ्रंश कहा गया|