बुंदेली की स्वतंत्र काव्य-परम्परा की वृहत् त्रयी किसे कहते हैं ?

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MPPSC Assistant Prof 2022 (Hindi) Official Paper-II (Held On: 28 Jan, 2024)
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  1. ख्यालीराम, ईसुरी, गंगाधर व्यास
  2. ईसुरी, बैजू, मूलचंद
  3. माधव शुक्ल, मुन्नीलाल, हरीश निगम
  4. संतोष सिंह बुंदेला, सैफू, चन्द्रसखी

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Option 1 : ख्यालीराम, ईसुरी, गंगाधर व्यास
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MPPSC Assistant Professor UT 1: MP History, Culture and Literature
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सही उत्तर है- ख्यालीराम, ईसुरी, गंगाधर व्यास

Key Pointsबुंदेली की स्वतंत्र काव्य-परम्परा के संबंध में-

  • लोकभाषा पर आधारित:
    • बुंदेली काव्य परंपरा बुंदेलखंड क्षेत्र की लोकभाषा से विकसित हुई है, जो मुख्य रूप से मौखिक रूप में फली-फूली और जन-जन तक पहुँची।
  • प्रमुख कवि त्रयी:
    • ख्यालीराम, ईसुरी, और गंगाधर व्यास को बुंदेली काव्य की वृहत् त्रयी माना जाता है, जिन्होंने अपनी रचनाओं से इस परंपरा को समृद्ध किया।
  • फाग और लोकगीतों का प्रभाव:
    • ईसुरी जैसे कवियों के फाग (होली के गीत) और अन्य लोकगीत बुंदेली काव्य के प्रमुख अंग हैं, जो भावनात्मक और उत्सवी रंग लिए हुए हैं।
  • स्वतंत्र शैली:
    • यह परंपरा संस्कृत या अन्य शास्त्रीय काव्य से प्रभावित होने के बजाय स्थानीय संस्कृति, जीवनशैली और बोलचाल पर आधारित रही, जो इसे विशिष्ट बनाती है।
  • सामाजिक चेतना:
    • बुंदेली काव्य में ग्रामीण जीवन, प्रेम, वीरता और सामाजिक मुद्दों का चित्रण मिलता है, जो इसे जनसामान्य से जोड़ता है।

Important Points

कवि काव्य संग्रह / रचनाएँ प्रकाशन वर्ष
ख्यालीराम ख्यालीराम की कविताएँ (संकलन) 1970 (संपादित संकलन)
ईसुरी फाग माला (ईसुरी फाग संकलन) 1942 (संपादित संकलन)
गंगाधर व्यास बुंदेली लोक काव्य (संकलित रचनाएँ) अस्पष्ट (लोक परंपरा)
बैजू विशिष्ट संग्रह उपलब्ध नहीं (लोक रचनाएँ) अस्पष्ट (लोक परंपरा)
मूलचंद विशिष्ट संग्रह उपलब्ध नहीं (लोक रचनाएँ) अस्पष्ट (लोक परंपरा)
माधव शुक्ल विशिष्ट संग्रह उपलब्ध नहीं अस्पष्ट
मुन्नीलाल विशिष्ट संग्रह उपलब्ध नहीं अस्पष्ट
हरीश निगम विशिष्ट संग्रह उपलब्ध नहीं अस्पष्ट
संतोष सिंह बुंदेला बुंदेली गीत (संकलन) अस्पष्ट
सैफू विशिष्ट संग्रह उपलब्ध नहीं (लोक रचनाएँ) अस्पष्ट (लोक परंपरा)
चन्द्रसखी विशिष्ट संग्रह उपलब्ध नहीं (लोक रचनाएँ) अस्पष्ट (लोक परंपरा)
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Last updated on Jul 7, 2025

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