'हे सजीले हरे सावन,
हे कि मेरे पुण्य पावन, 
तुम बरस लो वे न बरसें, 
पांचवें को वे न तरसें,"

उपर्युक्त काव्य पंक्तियों में किसके न बरसे की बात की गई है?

  1. माता-पिता 
  2. भाई-बहन 
  3. पत्नी 
  4. उपर्युक्त सभी 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : माता-पिता 

Detailed Solution

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हे सजीले हरे सावन,
हे कि मेरे पुण्य पावन, 
तुम बरस लो वे न बरसें, 
पांचवें को वे न तरसें,"

  • उपर्युक्त काव्य पंक्तियों में कवि ने माता-पिता के न बरसे की बात की है। 
  • भावार्थ -
    • काव्य पंक्तियों में कवि सावन को संबोधित करते हुए कहता है कि तुम स्वयं चाहे जितना बरस लो पर उनके माता-पिता की आँखों में आँसू न आने देना और ध्यान रखना कि वो अपने पांचवे पुत्र को याद कर के दुःखी न हों ।

Key Points 

  • रचना - “घर की याद”
  • रचनाकार - भवानी प्रसाद मिश्र जी
  • विधा - काव्य 
  • प्रकाशन वर्ष - 
  • विषय -
  • सन 1942 में जब ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ में शामिल होने पर कवि को गिरफ्तार कर लिया जाता है, इसी दौरान सावन के मौसम में एक रात बहुत तेज़ बारिश होती है और कवि को अपने घर और परिवार की बहुत याद आती है घर की याद मे ही कवि इस कविता को लिखते है

Important Pointsभवानी प्रसाद मिश्र - 

  • जन्म - 29मार्च 1913 (मध्यप्रदेश)
  • मिश्र जी के अन्य काव्य संकलन -
    • गीत फरोश (1956)
    • चकित है दुःख (1968)
    • अँधेरी कविताएँ (1968)
    • गांधी पंचशती (1969)
    • बुनी हुई रस्सी (1971)

      Additional Information

  • भवानी प्रसाद मिश्र जी को 1972 ई. मे बुनी हुई रस्सी नमक रचना के लिए सहित्य अकादमी पुरूस्कार सहित अनेक प्रतिष्ठित पुरुस्कारों से विभूषित किया गया है।  
  • मिश्र जी का पहला संग्रह गीत फरोश (1956) है जिसमे 1930 से 1945 की कविताएँ संग्रहित है।

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