निम्नलिखित जानकारी पर विचार करें:

 

विशेषताएँ/शक्तियाँ

राष्ट्रपति 

राज्यपाल

1.

क्षमादान देने की शक्ति

विवेकाधीन शक्ति का आनंद लेता है

विवेकाधीन शक्ति का आनंद लेता है

2.

सदन को भंग करने की शक्ति

विवेकाधीन शक्ति का आनंद लेता है

विवेकाधीन शक्ति का आनंद लेता है

3.

नियुक्ति की प्रकृति

अप्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित

अप्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित

4.

विधेयकों पर स्वीकृति

राष्ट्रपति के पास राज्यपालों की तुलना में अधिक विवेकाधिकार होता है।

राज्यपालों के पास राष्ट्रपतियों की तुलना में कम विवेकाधिकार होता है।

उपरोक्त पंक्तियों में से कितनी पंक्तियों में दी गई जानकारी सही ढंग से सुमेलित है?

  1. केवल एक
  2. केवल दो
  3. केवल तीन
  4. सभी चार

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : केवल दो

Detailed Solution

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सही उत्तर विकल्प 2 है।

Key Points राज्य प्रमुख और केंद्रीय एजेंट के रूप में उनकी दोहरी भूमिका के कारण राज्यपालों के पास राष्ट्रपति की तुलना में अधिक विवेकाधिकार होता है।

राष्ट्रपति की विवेकाधीन शक्तियाँ

राज्यपाल की विवेकाधीन शक्तियाँ

  • त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में प्रधानमंत्री की नियुक्ति करना

  • यदि लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पारित हो जाए तो मंत्रिपरिषद को बर्खास्त कर दिया जाएगा

  • यदि मंत्रिपरिषद बहुमत खो दे तो लोकसभा को भंग कर दें

  • क्षमा जारी करें

  • जब राज्य विधानमंडल में किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत न हो तो मुख्यमंत्री की नियुक्ति करें

  • मौजूदा मुख्यमंत्री की अप्रत्याशित मृत्यु होने पर नए मुख्यमंत्री की नियुक्ति करना

  • यदि मंत्रिपरिषद राज्य विधान सभा में विश्वास प्रदर्शित करने में विफल रहती है तो उसे बर्खास्त कर दिया जाएगा

  • राज्य विधानमंडल को बुलाना और स्थगित करना

  • अध्यादेश जारी करना

  • विधेयकों को स्वीकृति प्रदान करना

 

  • राज्यपाल बनाम राष्ट्रपति: राज्यपाल मनोनीत होते हैं और केंद्र और राज्य के बीच कड़ी के रूप में कार्य करते हैं, जबकि राष्ट्रपति अप्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित होते हैं और संवैधानिक प्रमुख होते हैं। इसलिए, तीसरी पंक्ति गलत है।
  • क्षमादान शक्तियां: दोनों को मंत्रिपरिषद की सलाह पर कार्य करना चाहिए, लेकिन विशेष मामलों में विवेक का प्रयोग कर सकते हैं।
  • विधेयकों पर स्वीकृति: राज्यपालों के पास विधेयकों को राष्ट्रपति के लिए आरक्षित रखने में अधिक विवेकाधिकार होता है, जबकि दोनों ही स्वीकृति को अनिश्चित काल तक के लिए विलंबित कर सकते हैं।
  • प्रधानमंत्री/मुख्यमंत्री की नियुक्ति: जब किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिलता है, तो दोनों के पास विवेकाधिकार होता है, जैसा कि पिछली नियुक्तियों में देखा गया है।
  • मंत्रिमंडल का विघटन: दोनों ही बहुमत खो देने पर मंत्रिमंडल को बर्खास्त कर सकते हैं, लेकिन बहुमत परीक्षण के बाद ही विवेकाधिकार का प्रयोग किया जाना चाहिए।

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