Question
Download Solution PDFComprehension
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उसके नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
राजनीतिक स्वतंत्रता और आर्थिक न्याय लोकतंत्र के दो पहलू हैं, दोनों ही अनिवार्य हैं। हमें लोगों की आर्थिक स्थितियों में सुधार के साथ-साथ स्वाधीनता और स्वतंत्रता पर भी बल देना चाहिए। यदि कोई भी समाज राजनीतिक स्वाधीनता, अंतरात्मा की स्वतंत्रता, विभिन्न दलों के बीच विकल्प चुनने की स्वतंत्रता तथा सरकार के शांतिपूर्ण और व्यवस्थित बदलावों के अवसरों की अनुमति नहीं देता है तो वह लोकतांत्रिक होने का दावा नहीं कर सकता है। अंतरराष्ट्रीय स्थिति के संदर्भ में कई गलतफहमियां हैं। हम गलतफहमियों के आधार पर भी शांति स्थापित कर सकते हैं। एक बार शांति स्थापित होने के बाद गलतफहमियां कम हो जाएंगी।
हम अपने देश में अब सामाजिक और आर्थिक क्रांति लाने के उद्यम में लगे हुए हैं। हमें क्रांति' शब्द से भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है। इसका अर्थ नाकाबंदी और खून-खराबा नहीं है। इसके अर्थ केवल शीघ्र और बड़े बदलाव करना है। हमें केवल अपने उद्देश्यों का ही नहीं, बल्कि उन्हें प्राप्त करने की विधियों का भी ध्यान रखना है। केवल साध्य का ही नहीं, बल्कि साधन का भी ध्यान रखना हैं। हमने शांतिपूर्ण, संवैधानिक प्रक्रियाओं के माध्यम से अपनी स्वतंत्रता प्राप्त की और अपने देश को एकता के सूत्र में बांधा, और अब हम अपने लोगों के भौतिक स्तर को ऊँचा उठाने के लिए प्रयासरत हैं। यहाँ तक कि यदि हमें बल के स्थान पर अनुनय का और सत्ता की राजनीति के स्थान पर बंधुत्व की राजनीति का उपयोग करने के अपने प्रयास में पराजय मिलती है, तो भी हमें पक्का विश्वास है कि यह पराजय केवल अस्थायी होगी, क्योंकि अच्छाई चीजों की प्रकृति में निहित है, दयालुता और प्रेमभाव उतने ही संक्रामक है जितनी कि निर्दयता और घृणा।
नीचे दो कथन दिए गए हैं:
कथन I: अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में शांति स्थापित करने के लिए आपसी समझ पूर्वापेक्षा है।
कथन II: भारत ने शांतिपूर्ण क्रांति के माध्यम से अपनी स्वतंत्रता और एकीकरण को प्राप्त किया।
उपरोक्त कथन के आलोक में, नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर का चयन कीजिए:
Answer (Detailed Solution Below)
Detailed Solution
Download Solution PDFसही उत्तर यह है कि कथन I असत्य है, लेकिन कथन II सत्य है।
Key Points
- दिए गए गद्यांश के दूसरे खंड में कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय स्थिति के संदर्भ में कई गलतफहमियां हैं। "हम गलतफहमियों के आधार पर भी शांति स्थापित कर सकते हैं।"
- यहां से हम कह सकते हैं कि गद्यांश के अनुसार कथन I असत्य है।
- दिए गए गद्यांश के तीसरे खंड में यह कहा गया है "हमने शांतिपूर्ण, संवैधानिक प्रक्रियाओं के माध्यम से अपनी स्वतंत्रता प्राप्त की और अपने देश को एकता के सूत्र में बांधा, और अब हम अपने लोगों के भौतिक स्तर को ऊँचा उठाने के लिए प्रयासरत हैं।"
- यहां से हम कह सकते हैं कि गद्यांश के अनुसार कथन II सत्य है।
- यहां से हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि कथन I असत्य है, लेकिन कथन II गद्यांश के अनुसार सत्य है।
अतः, सही उत्तर विकल्प 4 है, अर्थात "कथन I असत्य है लेकिन कथन II सत्य है।"
Last updated on Jun 22, 2025
-> The UGC Net Admit Card has been released on its official website today.
-> The UGC NET June 2025 exam will be conducted from 25th to 29th June 2025.
-> The UGC-NET exam takes place for 85 subjects, to determine the eligibility for 'Junior Research Fellowship’ and ‘Assistant Professor’ posts, as well as for PhD. admissions.
-> The exam is conducted bi-annually - in June and December cycles.
-> The exam comprises two papers - Paper I and Paper II. Paper I consists of 50 questions and Paper II consists of 100 questions.
-> The candidates who are preparing for the exam can check the UGC NET Previous Year Papers and UGC NET Test Series to boost their preparations.