Question
Download Solution PDFजहाँ ऐसे शब्दों का प्रयोग हो जो किसी शास्त्र में प्रसिद्ध होने पर भी लोक व्यवहार में अप्रसिद्ध हों, वहाँ कौन सा काव्य दोष होता है?
Answer (Detailed Solution Below)
Detailed Solution
Download Solution PDFजहाँ ऐसे शब्दों का प्रयोग हो जो किसी शास्त्र में प्रसिद्ध होने पर भी लोक व्यवहार में अप्रसिद्ध हों, वहाँ अप्रतीतत्व काव्य दोष होता है।
Key Pointsअप्रतीतत्व दोष-
- लोक व्यवहार में न प्रयुक्त होने वाले शास्त्रीय शब्दों का काव्य में प्रयोग होने पर अप्रतीतत्व दोष होता है।
- उदाहरण-
- विषमय यह गोदावरी अमृतन को फल देत।
- यहां विष शब्द का प्रयोग जल के लिए होता है, जो सामान्यतः लोक व्यवहार में प्रयुक्त नहीं होता अतः अप्रतीतत्व दोष है।
Important Pointsक्लिष्टत्व दोष-
- क्लिष्टत्व शब्द का अर्थ है-कठिन अथवा दुर्बोध होना ।
- काव्य में जहां सरल एवं सुबोध शब्दों का प्रयोग ना करके कठिन और दुर्बोध शब्दों का प्रयोग किया जाता है वहां क्लिष्टतत्व दोष होता है।
- उदाहरण-
- कहत कत परदेशी की बात।
मन्दिर अरध अवधि बदि हमसौं हरि अहार चलि जात ॥
वेद, नखत, ग्रह जोरि अरध करि सोई बनत अब खाता ॥ - यह सूरदास का कूट पद है,इसके अर्थ ग्रहण करने में कठिनाई होती है,इसलिए यहाँ क्लिष्टत्व दोष है।
- कहत कत परदेशी की बात।
दुष्क्रमत्व दोष-
- जब क्रम शास्त्र अथवा लोक की वजह से दूषित या अनुचित हो,वहाँ दुष्क्रमत्व दोष होता है।
- उदाहरण-
- 'राजन देहु तुरंग मोहि, अथवा देहु मतंग।'
- यहाँ मतंग तुरंग की अपेक्षा अधिक मूल्यवान होता है।
- अतः पहले मांग मतंग की होनी चाहिए जो तुरंग नहीं देगा वह मतंग क्या देगा।
- अतः यहाँ दुष्क्रमत्व दोष है ।
ग्राम्यत्व दोष-
- जहाँ साहित्यिक भाषा में गँवारू शब्दों का प्रयोग किया जाता,वहाँ ग्राम्यत्व दोष होता है।
- उदाहरण-
- वाह रे अकबरा, तेरे जे जे ठाठ।
नीचे दरी और ऊपर खाट॥ - यहाँ बादशाह अकबर को ‘अकबरा’, राजसिंहासन को ‘खाट’ तथा कालीन को ‘दरी’ कहने से ग्राम्यत्व दोष है।
- वाह रे अकबरा, तेरे जे जे ठाठ।
Additional Informationकाव्य दोष-
- जिस तत्व के कारण कविता के अर्थ को समझने में बाधा उत्पन्न होती है और काव्य-सौन्दर्य का अपकर्ष होता है, उसको काव्य-दोष कहते हैं।
Last updated on Jul 18, 2025
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