जहाँ ऐसे शब्दों का प्रयोग हो जो किसी शास्त्र में प्रसिद्ध होने पर भी लोक व्यवहार में अप्रसिद्ध हों, वहाँ कौन सा काव्य दोष होता है?

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RPSC 2nd Grade Hindi (Held on 1st July 2017) Official Paper
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  1. क्लिष्टत्व
  2. अप्रतीतत्व
  3. दुष्क्रमत्व
  4. ग्राम्यत्व

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Option 2 : अप्रतीतत्व
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RPSC Senior Grade II (Paper I): Full Test 1
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जहाँ ऐसे शब्दों का प्रयोग हो जो किसी शास्त्र में प्रसिद्ध होने पर भी लोक व्यवहार में अप्रसिद्ध हों, वहाँ अप्रतीतत्व काव्य दोष होता है।

Key Pointsअप्रतीतत्व दोष-

  • लोक व्यवहार में न प्रयुक्त होने वाले शास्त्रीय शब्दों का काव्य में प्रयोग होने पर अप्रतीतत्व दोष होता है।
  • उदाहरण-
    • विषमय यह गोदावरी अमृतन को फल देत।
    • यहां विष शब्द का प्रयोग जल के लिए होता है, जो सामान्यतः लोक व्यवहार में प्रयुक्त नहीं होता अतः अप्रतीतत्व दोष है।

Important Pointsक्लिष्टत्व दोष-

  • क्लिष्टत्व शब्द का अर्थ है-कठिन अथवा दुर्बोध होना ।
  • काव्य में जहां सरल एवं सुबोध शब्दों का प्रयोग ना करके कठिन और दुर्बोध शब्दों का प्रयोग किया जाता है वहां क्लिष्टतत्व दोष होता है।
  • उदाहरण-
    • ​कहत कत परदेशी की बात।
      मन्दिर अरध अवधि बदि हमसौं हरि अहार चलि जात ॥
      वेद, नखत, ग्रह जोरि अरध करि सोई बनत अब खाता ॥
    • यह सूरदास का कूट पद है,इसके अर्थ ग्रहण करने में कठिनाई होती है,इसलिए यहाँ क्लिष्टत्व दोष है।

दुष्क्रमत्व दोष-

  • जब क्रम शास्त्र अथवा लोक की वजह से दूषित या अनुचित हो,वहाँ दुष्क्रमत्व दोष होता है।
  • उदाहरण-
    • ​'राजन देहु तुरंग मोहि, अथवा देहु मतंग।'
    • यहाँ मतंग तुरंग की अपेक्षा अधिक मूल्यवान होता है।
    • अतः पहले मांग मतंग की होनी चाहिए जो तुरंग नहीं देगा वह मतंग क्या देगा।
    • अतः यहाँ दुष्क्रमत्व दोष है ।

ग्राम्यत्व दोष-

  • जहाँ साहित्यिक भाषा में गँवारू शब्दों का प्रयोग किया जाता,वहाँ ग्राम्यत्व दोष होता है।
  • उदाहरण-
    • वाह रे अकबरा, तेरे जे जे ठाठ।
      नीचे दरी और ऊपर खाट॥
    • यहाँ बादशाह अकबर को ‘अकबरा’, राजसिंहासन को ‘खाट’ तथा कालीन को ‘दरी’ कहने से ग्राम्यत्व दोष है।

Additional Informationकाव्य दोष-

  • जिस तत्व के कारण कविता के अर्थ को समझने में बाधा उत्पन्न होती है और काव्य-सौन्दर्य का अपकर्ष होता है, उसको काव्य-दोष कहते हैं। 
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