Question
Download Solution PDFकिस रचना के एक पात्र की जबान पर उठते - बैठते निम्नलिखित दोहा रहता था?
"पुरुष सिंह जो उद्यमी, लक्ष्मी ताकरि चेरी।
भाग्य भरोसे जे रहैं कुपुरुष भाषहि टेरी।। "
Answer (Detailed Solution Below)
Detailed Solution
Download Solution PDF"पुरुष सिंह जी उधमी, लक्ष्मी ताकरि चेरी!
भाग्य भरोसे जे रहैं कुपुरुष भषहि टेरी!!"
क्या भूलूं क्या याद करूं रचना के पात्र की जबान पर उठते बैठते यह दोहा रहता है।
Key Points
- 'क्या भूलू क्या याद करूं ' हरिवंश राय बच्चन जी की आत्मकथा है।
- जो 1969 मे प्रकाशित हुई।
- इनकी आत्मकथा 4 भागो मे प्रकाशित हुई।
- क्या भूलूं क्या याद करू - प्रथम -1969
- नीड़ का निर्माण फिर - द्वितीय – 1970
- बसेरे से दूर -तृतीय – 1978
- दश द्वार से सोपान तक - चतुर्थ 1985
Important Points
- इनके चार आत्मकथात्मक खंडों के लिए 1991 में प्रथम सरस्वती सम्मान मिला है।
- चार खंडों में प्रकाशित कवि बच्चन की आत्मकथा हिंदी साहित्य की कालजयी रचनाओं में गिनी जाती है।
- इनकी आत्मकथा का प्रथम खंड प्रकाशित होने के बादअपनी स्पष्टवादिता के कारण चर्चा का विषय बना रहा।
- डॉ धर्मवीर भारती ने इनकी आत्मकथा के लिए कहा है - "हिंदी के हजार वर्षों के इतिहास में ऐसी पहली घटना बताया जब अपने बारे में सब कुछ इतनी बेबाकी, साहस और सद्भावना से कह दिया गया।
- हजारी प्रसाद द्विवेदी ने कहा है कि," इसमें केवल बच्चन जी का परिवार और व्यक्तित्व ही नहीं उभरा बल्कि उनके साथ समूचे काल और क्षेत्र भी अधिक गहरे रंग से उभरे हैं "।
- रामधारी सिंह दिनकर के अनुसार, " हिंदी प्रकाशनों में इस आत्मकथा का अत्यंत ऊंचा स्थान है "।
- डॉ शिवमंगल सिंह सुमन ने क्या भूलूं क्या याद करूं के लिए कहा है, " ऐसी अभिव्यक्तिया नई पीढ़ी के लिए पाथेय बन सकेगी इसी में इनकी सार्थकता है।
Additional Information
- प्रेमचंद घर में –
- शिवरानी देवी द्वारा लिखी गई प्रेमचंद की जीवनी है।
- आवारा मसीहा –
- विष्णु प्रभाकर द्वारा लिखी गई जीवनी है।
- जो उन्होंने शरतचंद्र के जीवन पर लिखी है।
- मुर्दहिया –
- तुलसीराम की लिखी आत्मकथा है।
- यह दलित आत्मकथा के अंतर्गत आती है।
Last updated on Jul 7, 2025
-> The UGC NET Answer Key 2025 June was released on the official website ugcnet.nta.ac.in on 06th July 2025.
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