'आगरा बाजार' नाटक का आरंभ किस नज्म से होता है?

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UGC NET Paper 2: Hindi 17th June 2023 Shift 1
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  1. कन्हैया का बालपन
  2. बलदेव जी का मेला 
  3. आदमीनामा 
  4. शहर आशोब

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Option 4 : शहर आशोब
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UGC NET Paper 1: Held on 21st August 2024 Shift 1
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'आगरा बाजार' नाटक का आरंभ 'शहर शोआब नज्म से होता है।

 Key Points

  • आगरा बाजार
    • नाटक का आरंभ दो फकीर 'शहर शोआब' (नगर की दुर्दशा का वर्णन करने वाली) गाते हुए प्रवेश करता है।
    • आगरा बाजार नाटक का रचनाकाल 1954 है स्थान 'आगरा' के 'किनारी बाजार' का एक 'चौराहा'
    • नाटक के 2 अंक के नाटक में हास्य रस का प्रयोग अधिक है।
    • हबीब तनवीर ने इस नाटक का 2 बार संशोधन 1970 और 1989 में किया।
    • आगरा बाजार नाटक की रचना हबीब तनवीर ने 18वीं सदी के भारतीय शायर एवं नजम के पिता कहे जाने वाले नजीर अकबराबादी को प्रतिष्ठित करने के लिए किया है।
    • आगरा बाजार नाटक हबीब तनवीर का  मौलिक नाटक नहीं है या नजीर अकबराबादी के नज्मो पर आधारित है 'मेरे बंद' रचना ग़ालिब के गजलो पर आधारित है।

 Important Points

  • आगरा बाजार नाटक-
    • इस नाटक में सामाजिक और सांस्कृतिक समस्याओं का चित्रण किया गया।
    • नाटक में स्थानीय संस्कृति लोक जीवन और लोक परंपराओं का भी चित्रण है।
    • इसमें पुलिस व्यवस्था की कार्यशैली और व्यापारियों के दर्द का चित्रण है।
    • व्यापारियों का दर्द इतिहास के फलक पर आधुनिक समस्याओं के रूप में चित्रण किया गया है।
    • इस नज्म के पितामह नजीर अकबराबादी को प्रतिष्ठित करना था।
    • इस नाटक को जब ओखला में खेला गया तब 75 आदमी मंच पर आए थे।
  • हबीब तनवीर के मुख्य बहुचर्चित नाटक-
    • आगरा बाजार 1954
    • मिट्टी की गाड़ी 1958
    • चरणदास चोर 1975
  • अन्य नाटक
    • शतरंज के मोहरे 1954
    • लाला शोहरत राय 1954
    • मिट्टी की गाड़ी 1958
    • गांव का नाम ससुराल हमारा नाम दामाद 1973
    • हिरमा की अमर कहानी उत्तररामचरित 1977
    • पोंगा पंडित 1990
    • जिन लाहौर नहीं देख्या 1990
    • कामदेव का अपना बसंत ऋतु का सपना 1993
    • ब्रोकन ब्रिज 1995
    • जहरीली हवा 2002
    • राज रक्त 2006.

 Additional Information

  • आगरा बाजार नाटक
    • इसमें करीमन और चमेली दोनों हिजड़े बाजार में आते हैं दोनों कृष्ण के ऊपर गीत गाते हैं-
    • "ऐसा था बांसुरी का बजैया का बालपन क्या -क्या कहूं
  • किशन कन्हैया का बालपन!"
  • आगरा बाजार नाटक में दूसरी तरफ हिंदू टोली 'बलदेव का मेला' शीर्षक वाली नज्म गाती हुई बाएं तरफ से घूसती है-
    • "क्या वह दिलबर कोई नवेला है, नाथ है कहीं वह चेला है "।
  • आगरा बाजार नाटक के दूसरे अंक में
    • फकीर 'आदमी नामा' गाते हुए बाजार में प्रवेश करते हैं और सभी लोग इस कोरस में शामिल होकर गाते हैं।
    • "दुनिया में बादशाह है सो भी आदमी,
र मुफलिसों - गदा है सो है वह भी आदमी "
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