Question
Download Solution PDF'आगरा बाजार' नाटक का आरंभ किस नज्म से होता है?
Answer (Detailed Solution Below)
Detailed Solution
Download Solution PDF'आगरा बाजार' नाटक का आरंभ 'शहर शोआब नज्म से होता है।
Key Points
- आगरा बाजार –
- नाटक का आरंभ दो फकीर 'शहर शोआब' (नगर की दुर्दशा का वर्णन करने वाली) गाते हुए प्रवेश करता है।
- आगरा बाजार नाटक का रचनाकाल 1954 है स्थान 'आगरा' के 'किनारी बाजार' का एक 'चौराहा'
- नाटक के 2 अंक के नाटक में हास्य रस का प्रयोग अधिक है।
- हबीब तनवीर ने इस नाटक का 2 बार संशोधन 1970 और 1989 में किया।
- आगरा बाजार नाटक की रचना हबीब तनवीर ने 18वीं सदी के भारतीय शायर एवं नजम के पिता कहे जाने वाले नजीर अकबराबादी को प्रतिष्ठित करने के लिए किया है।
- आगरा बाजार नाटक हबीब तनवीर का मौलिक नाटक नहीं है या नजीर अकबराबादी के नज्मो पर आधारित है 'मेरे बंद' रचना ग़ालिब के गजलो पर आधारित है।
Important Points
- आगरा बाजार नाटक-
- इस नाटक में सामाजिक और सांस्कृतिक समस्याओं का चित्रण किया गया।
- नाटक में स्थानीय संस्कृति लोक जीवन और लोक परंपराओं का भी चित्रण है।
- इसमें पुलिस व्यवस्था की कार्यशैली और व्यापारियों के दर्द का चित्रण है।
- व्यापारियों का दर्द इतिहास के फलक पर आधुनिक समस्याओं के रूप में चित्रण किया गया है।
- इस नज्म के पितामह नजीर अकबराबादी को प्रतिष्ठित करना था।
- इस नाटक को जब ओखला में खेला गया तब 75 आदमी मंच पर आए थे।
- हबीब तनवीर के मुख्य बहुचर्चित नाटक-
- आगरा बाजार 1954
- मिट्टी की गाड़ी 1958
- चरणदास चोर 1975
- अन्य नाटक –
- शतरंज के मोहरे 1954
- लाला शोहरत राय 1954
- मिट्टी की गाड़ी 1958
- गांव का नाम ससुराल हमारा नाम दामाद 1973
- हिरमा की अमर कहानी उत्तररामचरित 1977
- पोंगा पंडित 1990
- जिन लाहौर नहीं देख्या 1990
- कामदेव का अपना बसंत ऋतु का सपना 1993
- ब्रोकन ब्रिज 1995
- जहरीली हवा 2002
- राज रक्त 2006.
Additional Information
- आगरा बाजार नाटक
- इसमें करीमन और चमेली दोनों हिजड़े बाजार में आते हैं दोनों कृष्ण के ऊपर गीत गाते हैं-
- "ऐसा था बांसुरी का बजैया का बालपन क्या -क्या कहूं
- किशन कन्हैया का बालपन!"
- आगरा बाजार नाटक में दूसरी तरफ हिंदू टोली 'बलदेव का मेला' शीर्षक वाली नज्म गाती हुई बाएं तरफ से घूसती है-
- "क्या वह दिलबर कोई नवेला है, नाथ है कहीं वह चेला है "।
- आगरा बाजार नाटक के दूसरे अंक में
- फकीर 'आदमी नामा' गाते हुए बाजार में प्रवेश करते हैं और सभी लोग इस कोरस में शामिल होकर गाते हैं।
- "दुनिया में बादशाह है सो भी आदमी,
Last updated on Jun 27, 2025
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