प्रसाद युगीन नाटक MCQ Quiz - Objective Question with Answer for प्रसाद युगीन नाटक - Download Free PDF
Last updated on Jun 4, 2025
Latest प्रसाद युगीन नाटक MCQ Objective Questions
प्रसाद युगीन नाटक Question 1:
"अतीत सुखों के लिये सोच क्यों, अनागत भविष्य का भय क्यों?" चन्द्रगुप्त नाटक में यह कथन किस अंक से लिया गया है?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रसाद युगीन नाटक Question 1 Detailed Solution
"अतीत सुखों के लिये सोच क्यों, अनागत भविष्य का भय क्यों?" चन्द्रगुप्त नाटक में यह कथन प्रथम अंक से लिया गया है।
- "अतीत सुखों के लिये सोच क्यों, अनागत भविष्य का भय क्यों?" — सिंहरण
प्रसाद युगीन नाटक Question 2:
'करुणालय' के रचनाकार कौन हैं?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रसाद युगीन नाटक Question 2 Detailed Solution
'करुणालय' के रचनाकार है- जयशंकर प्रसाद
Key Pointsजयशंकर प्रसाद-
- जन्म-1889-1937 ई.
- बाल्य नाम-झारखंडी
- छायावादी युग के महत्त्वपूर्ण कवि है।
- नाटक-
- सज्जन(1910ई.)
- कल्याणी परिणय(1912ई.)
- करुणालय(1912ई.)
- राज्यश्री(1915ई.)
- विशाख(1921ई.)
- अजातशत्रु(1922ई.)
- स्कंदगुप्त(1928ई.) आदि।
- रचनाएँ-
- उर्वशी(1909 ई.)
- वन मिलन(1909 ई.)
- कानन कुसुम(1913 ई.)
- प्रेमपथिक(1913 ई.)
- चित्राधार(1918 ई.)
- झरना(1918 ई.)
- आँसू(1925 ई.) आदि।
Important Pointsसूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'-
- जन्म-1899-1961 ई.
- छायावादी प्रमुख रचनाकार है।
- काव्य रचनाएँ-
- अनामिका(1923 ई.)
- परिमल(1930 ई.)
- गीतिका(1936 ई.)
- तुलसीदास(1938 ई.)
- कुकुरमुत्ता(1942 ई.)
- नये पत्ते(1946 ई.) आदि।
अज्ञेय-
- जन्म-1911-1987 ई.
- काव्य रचनाएँ-
- भग्नदूत (1933 ई.)
- चिंता (1942 ई.)
- हरी घास पर क्षण भर (1949 ई.)
- बावरा अहेरी (1954 ई.)
- आंगन के पार द्वार (1961 ई.)
- कितनी नावों में कितनी बार (1967 ई.) आदि।
भारतेन्दु-
- जन्म-1850-1885 ई.
- निबंध-
- मणिकर्णिका
- कश्मीर कुसुम
- बादशाह दर्पण
- तदीय सर्वस्व
- संगीत सार
- अंग्रेज स्त्रोत्र
- भारत-वर्षोंन्नति कैसे हो सकती है? आदि।
प्रसाद युगीन नाटक Question 3:
'ध्रुवस्वामिनी' नाटक के संदर्भ में निम्न में से कौन से कथन सत्य हैं ?
(A) ध्रुवदेवी को लेकर क्या साम्राज्य से भी हाथ धोना पड़ेगा ?
(B) मैं उपहार में देने की वस्तु हूँ।
(C) यहाँ ऐसी निर्लज्जता का नाटक मैं नहीं देखना चाहती।
(D) यह मर्द रामगुप्त अपने पिता की तरह दिग्विजय करने निकला था।
(E) तुम्हारा और मेरा जीवन मरण साथ नहीं हो सकता।
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर का चयन कीजिए:
Answer (Detailed Solution Below)
प्रसाद युगीन नाटक Question 3 Detailed Solution
सही उत्तर है- केवल (A), (C)
Key Pointsध्रुवस्वामिनी-
- रचनाकार-जयशंकर प्रसाद
- प्रकाशन वर्ष-1933 ई.
- विषय-
- यह नाटक 3 अंकों में विभक्त है।
- इसमें स्त्री-पुनर्विवाह का चित्रण किया गया है।
- साथ ही स्त्री-पात्रों की सशक्तिकरण का चित्रण भी किया गया है।
- पुरुष पात्र-
- चन्द्रगुप्त,रामगुप्त,शिखरस्वामी,शकराज आदि।
- स्त्री पात्र-
- ध्रुवस्वामिनी,मन्दाकिनी,कोमा आदि।
Important Pointsजयशंकर प्रसाद-
- जन्म-1889-1937ई.
- अन्य नाटक-
- सज्जन(1910 ई.)
- कल्याणी परिणय(1912 ई.)
- करुणालय(1912 ई.)
- विशाख(1921 ई.)
- कामना(1927 ई.) आदि।
प्रसाद युगीन नाटक Question 4:
'चन्द्रगुप्त' नाटक के संबंध में सही है-
A. "तुम कनक किरन के अंतराल में लुक छिपकर चलते हो क्यों?" - सुवासिनी
B. "यदि प्रेम ही जीवन का सत्य है तो संसार ज्वालामुखी है।" - कार्नेलिया
C. "युद्ध तो करना ही पड़ता है। अपनी सत्ता बनाये रखने के लिये यह आवश्यक है।" - चाणक्य
D. "युद्ध देखना चाहो तो मेरा हृदय फाड़कर देखो मालविका।" - चंद्रगुप्त
E. "पतन और कहाँ तक हो सकता है! ले लो मौर्य चंद्रगुप्त अपना अधिकार छीन लो।" - चाणक्य
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प का चयन कीजिए-
Answer (Detailed Solution Below)
प्रसाद युगीन नाटक Question 4 Detailed Solution
सही उत्तर है- केवल A, B, D, E
Key Points
- "युद्ध तो करना ही पड़ता है। अपनी सत्ता बनाये रखने के लिये यह आवश्यक है।" - कुमारगुप्त
- स्कंदगुप्त नाटक का कथन है।
Important Pointsचन्द्रगुप्त -
- रचनाकार - जयंशकर प्रसाद
- विधा - नाटक
- प्रकाशन वर्ष - 1931 ई.
- प्रमुख पात्र -
- चन्द्रगुप्त, चाणक्य (विष्णुगुप्त), नन्द, सिकंदर, अलका, कल्याणी, कार्नेलिया आदि।
- विषय -
- यह नाटक प्राचीन मगध साम्राज्य पर आधारित है,
इसमें चंद्रगुप्त मौर्य के राजा बनने की ऐतिहासिक घटनाओं को दिखाया गया है।
- यह नाटक प्राचीन मगध साम्राज्य पर आधारित है,
Additional Informationजयंशकर प्रसाद-
- (1889-1937 ई.)
- हिन्दी कवि, नाटककार, कहानीकार, उपन्यासकार तथा निबन्ध-लेखक थे।
- नाटक-
- कल्याणी परिणय (1912)
- करुणालय (1913),
- अजातशत्रु (1922)
- कामना (1923)
- जनमेजय का नागयज्ञ (1926)
- स्कंदगुप्त (1928),
- एक घूँट (1929) आदि।
प्रसाद युगीन नाटक Question 5:
'ध्रुवस्वामिनी' नाटक में ध्रुवस्वामिनी के संवादों को पहले से बाद के क्रम में लगाएँ :
A. लौट जाओ, इस तुच्छ नारी - जीवन के लिए इतने महान उत्सर्ग की आवश्यकता नहीं।
B. चन्द्रे ! तुम मुझे दोनों ओर से नष्ट न करो। यहाँ से लोट जाने पर भी क्या मैं गुप्तकुल के अन्तःपुर में रहने पाऊँगी?
C. तो फिर मेरा और तुम्हारा जीवन - मरण साथ ही होगा।
D. चन्द्रे ! मेरे भाग्य के आकाश में धूमकेतु - सी अपनी गति बंद करो।
E. अपनी कामना की वस्तु न पाकर यह आत्महत्या जैसा प्रसंग तो नहीं है।
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर का चयन कीजिए:
Answer (Detailed Solution Below)
प्रसाद युगीन नाटक Question 5 Detailed Solution
सही उत्तर है - A, E, B, D, C
Key Points'ध्रुवस्वामिनी' नाटक में ध्रुवस्वामिनी के संवादों को पहले से बाद के क्रम -
- A. लौट जाओ, इस तुच्छ नारी - जीवन के लिए इतने महान उत्सर्ग की आवश्यकता नहीं।
- E. अपनी कामना की वस्तु न पाकर यह आत्महत्या जैसा प्रसंग तो नहीं है।
- B. चन्द्रे ! तुम मुझे दोनों ओर से नष्ट न करो। यहाँ से लोट जाने पर भी क्या मैं गुप्तकुल के अन्तःपुर में रहने पाऊँगी?
- D. चन्द्रे ! मेरे भाग्य के आकाश में धूमकेतु - सी अपनी गति बंद करो।
- C. तो फिर मेरा और तुम्हारा जीवन - मरण साथ ही होगा।
Important Pointsध्रुवस्वामिनी -
- रचनाकार - जयशंकर प्रसाद
- विधा - नाटक
- प्रकाशन वर्ष - 1933 ई.
- विषय - इसमें स्त्री की स्वाधीनता और समता की, उसके सम्मान और अधिकारों की रक्षा की जरूरत को उजागर करना है।
Additional Informationजयंशकर प्रसाद-
- जन्म- 1889-1937 ई.
- हिन्दी कवि, नाटककार, कहानीकार, उपन्यासकार तथा निबन्ध-लेखक थे।
- कहानी-संग्रह- छाया (1912 ई.), प्रतिध्वनि (1926 ई.), आकाशदीप (1929 ई.), आँधी (1931 ई.), इन्द्रजाल (1936 ई.) आदि।
- नाटक - चन्द्रगुप्त (1931 ई.), स्कन्दगुप्त (1928 ई.), जनमेजय का नागयज्ञ (1926 ई.), एक घूँट (1930 ई.), विशाख (1921 ई.), अजातशत्रु (1922 ई.) आदि।
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प्रसाद युगीन नाटक Question 6:
ध्रुवस्वामिनी नाटक में कितने अंक हैं?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रसाद युगीन नाटक Question 6 Detailed Solution
सही उत्तर है - तीन।
Key Points
- 'ध्रुवस्वामिनी' नाटक जयशंकर प्रसाद द्वारा कृत है।
- प्रकाशन वर्ष-1933 ई.
- यह नाटक 3 अंकों में विभक्त है तथा इसमें स्त्री-पुनर्विवाह का चित्रण किया गया है।
- साथ ही स्त्री-पात्रों की सशक्तिकरण का चित्रण भी किया गया है।
- पात्र:
- पुरुष पात्र-चन्द्रगुप्त,रामगुप्त,शिखरस्वामी,शकराज आदि।
- स्त्री पात्र-ध्रुवस्वामिनी,मन्दाकिनी,कोमा आदि।
प्रसाद युगीन नाटक Question 7:
प्रसाद की किस कृति का अन्य भाषाओं में भी अनुवाद हुआ है ?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रसाद युगीन नाटक Question 7 Detailed Solution
प्रसाद की स्कंदगुप्त कृति का अन्य भाषाओं में भी अनुवाद हुआ है।
- स्कंदगुप्त प्रसाद द्वारा रचित एक नाटक है।
Key Pointsस्कंदगुप्त-
- रचनाकार- जयशंकर प्रसाद
- प्रकाशन वर्ष- 1928 ई.
- विधा- नाटक
- विषय-
- भारतीय व यूरोपीय नाटकों का समन्वय किया गया है।
- कुमारगुप्त के विलासी साम्राज्य की आंतरिक स्थिति का चित्रण किया है।
- पात्र-
- स्कंदगुप्त, कुमारगुप्त, पर्णदत्त, चक्रपालित, देवकी, आनंतदेवी, देवसेना, विजया आदि।
लहर-
- रचनाकार- जयशंकर प्रसाद
- विधा- काव्य
- प्रकाशन वर्ष- 1933 ई.
- यह गीतिकाव्य है।
कामायनी-
- रचनाकार - जयशंकर प्रसाद
- प्रकाशन वर्ष -1935 ई.
- मुख्य पात्र -
- मनु, श्रद्धा, इड़ा और कुमार।
- कामायनी में कुल 15 सर्ग हैं-
- चिंता, आशा, श्रद्धा, काम, वासना, लज्जा, कर्म, ईर्ष्या, इड़ा ,स्वप्न, संघर्ष, निर्वेद, दर्शन, रहस्य और आनंद।
- मुख्य रस - निर्वेद(शांत रस)
- मुख्य छंद - ताटंक
- विषय-
- इनकी कथावस्तु का आधार ऋग्वेद, छंदोग्य उपनिषद, शतपथ ब्राह्मण और श्रीमद्भागवात है।
- इसमें मनोभावों को पात्रों के रूप में रूपांतरित किया है।
Important Points
जयशंकर प्रसाद-
- जन्म-1889-1937 ई.
- बाल्य नाम-झारखंडी
- छायावादी युग के महत्त्वपूर्ण कवि व प्रसिद्ध नाटककार है।
- नाटक-
- सज्जन(1910 ई.)
- कल्याणी परिणय(1912 ई.)
- करुणालय(1912 ई.)
- विशाख(1921 ई.)
- कामना(1927 ई.) आदि।
- काव्य रचनाएँ-
- उर्वशी(1909 ई.)
- वन मिलन(1909 ई.)
- प्रेमराज्य(1909 ई.)
- कानन कुसुम(1913 ई.)
- प्रेमपथिक(1913 ई.)
- चित्राधार(1918 ई.)
- झरना(1918 ई.)
- आँसू(1925 ई.)
- लहर(1933 ई.)
- कामायनी(1935 ई.) आदि।
प्रसाद युगीन नाटक Question 8:
'स्कंदगुप्त' नाटक के प्रथम अंक में आए संवादों को पहले से बाद के क्रम में लगाइये:
A. कविता करना अनंत पुण्य का फल है।
B. अधिकार-सुख कितना मादक और सारहीन है।
C. केवल संधि-नियम से ही हम लोग बाध्य नहीं हैं -शरणागत की रक्षा भी क्षत्रिय का धर्म है।
D. राष्ट्रनीति, दार्शनिकता और कल्पना का लोक नहीं है।
E. पुरुष है कुतूहल और प्रश्र, और स्त्री है विश्लेषण, उत्तर और सब बातों का समाधान।
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर का चयन कीजिए:
Answer (Detailed Solution Below)
प्रसाद युगीन नाटक Question 8 Detailed Solution
'स्कंदगुप्त' नाटक के प्रथम अंक में आए संवादों का पहले से बाद का सही क्रम है-
- B. अधिकार-सुख कितना मादक और सारहीन है।- स्कंदगुप्त
- D. राष्ट्रनीति, दार्शनिकता और कल्पना का लोक नहीं है।- पर्णदत्त स्कंदगुप्त से
- C. केवल संधि-नियम से ही हम लोग बाध्य नहीं हैं -शरणागत की रक्षा भी क्षत्रिय का धर्म है।- स्कंदगुप्त दूत से
- A. कविता करना अनंत पुण्य का फल है।- मातृगुप्त
- E. पुरुष है कुतूहल और प्रश्र, और स्त्री है विश्लेषण, उत्तर और सब बातों का समाधान।- धातुसेन मातृगुप्त से
Important Pointsस्कंदगुप्त-
- रचनाकार- जयशंकर प्रसाद
- विधा- नाटक
- प्रकाशन वर्ष- 1928 ई.
- विषय-
- भारतीय व यूरोपीय नाटकों का समन्वय किया गया है।
- कुमारगुप्त के विलासी साम्राज्य की आंतरिक स्थिति का चित्रण किया है
- पुरुष पात्र-
- स्कंदगुप्त-- युवराज (विक्रमादित्य)
- कुमारगुप्त-- मगध का सम्राट
- गोविन्दगुप्त-- कुमारगुप्त का भाई
- पर्णदत्त-- मगध का महानायक
- चक्रपालित-- पर्णदत्त का पुत्र
- बन्धुवर्मा-- मालव का राजा
- भीमवर्मा-- उसका भाई
- मातृगुप्त-- काव्यकर्ता (कालिदास)
- प्रपंचबुद्धि-- बौद्ध कापालिक
- शर्वनाग-- अन्तर्वेद का विषयपति
- कुमारदास (धातुसेन)-- सिंहल का राजकुमार
- पुरगुप्त-- कुमारगुप्त का छोटा पुत्र
- भटार्क-- नवीन महाबलाधिकृत
- पृथ्वीसेन-- मंत्री कुमारामात्य
- खिगिल-- हूण आक्रमणकारी
- मुगल-- विदूषक
- प्रख्यातकीर्ति-- लंकाराज-कुल का श्रमण, महा-बोधिबिहार-स्थविर
- अन्य-- महाप्रतिहार, महादंडनायक, नन्दी-ग्राम का दंडनायक, प्रहरी, सैनिक इत्यादि।
- नारी पात्र-
- देवकी-- कुमारगुप्त की बड़ी रानी, (स्कंद की माता)
- अनन्तदेवी-- कुमारगुप्त की छोटी रानी (पुरगुप्त की माता)
- जयमाला-- बंधुवर्मा की स्त्री, (मालव की रानी)
- देवसेना-- बंधुवर्मा की बहिन
- विजया-- मालव के धनकुबेर की कन्या
- कमला-- भटार्क की जननी
- रामा-- शर्वनाग की स्त्री
- मालिनी-- मातृगुप्त की प्रणयिनी
- अन्य-- सखी, दासी इत्यादि।
Additional Informationजयशंकर प्रसाद-
- जन्म-1889-1937 ई.
- छायावाद के महत्तवपूर्ण कवि रहे है।
- इन्हें प्रेम और मस्ती का कवि कहा जाता है।
- रचनाएँ-
- काव्य संग्रह-
- उर्वशी(1909 ई.)
- वन मिलन(1909 ई.)
- कानन कुसुम(1913 ई.)
- प्रेमपथिक(1913 ई.) आदि।
- नाटक-
- सज्जन(1910 ई.)
- कल्याणी परिणय(1912 ई.)
- करुणालय(1912 ई.)
- अजात शत्रु(1922 ई.)
- चन्द्रगुप्त(1931 ई.) आदि।
प्रसाद युगीन नाटक Question 9:
निम्नलिखित में से कौन-सा पात्र 'चन्द्रगुप्त' नाटक से संबंधित नहीं है?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रसाद युगीन नाटक Question 9 Detailed Solution
'चन्द्रगुप्त' नाटक से संबंधित पात्र नहीं है- जयमाला
- 'जयमाला' जयशंकर प्रसाद कृत स्कंदगुप्त नाटक की स्त्री पात्र है।
Key Pointsचन्द्रगुप्त-
- रचनाकार-जयशंकर प्रसाद
- प्रकाशन वर्ष-1931ई.
- विषय-
- इसमें विदेशियों से भारत का संघर्ष और उस संघर्ष में भारत की विजय की बात उठायी गयी है।
- चन्द्रगुप्त नाटक चाणक्य के प्रतिशोध और विश्वास की कहानी कहता है।
- पात्र-
- चाणक्य, चन्द्रगुप्त, सिंहरण, दाण्ड्यायन, नन्द, वररुचि, कार्नेलिया, अलका, सुवासिनी आदि।
Important Pointsजयशंकर प्रसाद-
- जन्म-1889-1937 ई.
- छायावादी प्रमुख स्तम्भ है।
- काव्य संग्रह-
- उर्वशी(1909 ई.)
- वन मिलन(1909 ई.)
- कानन कुसुम(1913 ई.)
- प्रेम पथिक(1913 ई.)
- चित्राधार(1918 ई.)
- झरना(1918 ई.)
- आँसू(1925 ई.) आदि।
- उपन्यास-
- कंकाल(1929 ई.)
- तितली(1934 ई.)
- इरावती(1936 ई.) आदि।
- नाटक-
- सज्जन(1910 ई.)
- कल्याणी परिणय(1912 ई.)
- करुणालय(1912 ई.)
- विशाख(1921 ई.)
- अजातशत्रु(1922 ई.)
- स्कंदगुप्त(1928 ई.)
- ध्रुवस्वामिनी(1933 ई.) आदि।
- निबंध-
- काव्य और कला तथा अन्य निबंध(1959 ई.)
- यथार्थवाद और छायावाद
- रहस्यवाद
- नाटकों का आरंभ आदि।
प्रसाद युगीन नाटक Question 10:
कौन-सा नाटक जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित नहीं है?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रसाद युगीन नाटक Question 10 Detailed Solution
मत्स्यगंधा नाटक जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित नहीं है।
- मत्स्यगंधा नाटक उदयशंकर भट्ट द्वारा रचित है।
- उदयशंकर भट्ट का जन्म वर्ष 1898 मे उत्तर प्रदेश के इटावा जिले मे हुआ था।
- 1931 मे इनका पहला काव्य संग्रह तक्षशिला प्रकाशित हुआ था
- उदयशंकर भट्ट के अन्य नाटक -
- नहुष निपात, एकला चलो रे, आदिम युग, धूमशिखा आदि है।
Key Pointsअन्य सभी विकल्प के नाटक स्कंदगुप्त(1928), चंद्रगुप्त(1931) तथा कामना(1924) जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित है।
जयशंकर प्रसाद की अन्य कृतियाँ तथा उनके प्रकाशन वर्ष -
कामायनी (1936), छाया (1912), लहर (1933), आंधी (1931) आदि।
Additional Informationउदयशंकर भट्ट एक सुप्रसिद्ध लेखक व कवि थे।
- उदयशंकर भट्ट द्वारा रचित उपन्यास -
- वह जो मैंने देखा, नए मोड़, सागर, लहरें आदि है।
प्रसाद युगीन नाटक Question 11:
प्रकाशन वर्ष के अनुसार जयशंकर प्रसाद के नाटकों का सही अनुक्रम है -
(A) अजातशत्रु
(B) ध्रुवस्वामिनी
(C) राज्यश्री
(D) स्कन्दगुप्त
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर का चयन चुनिए -
Answer (Detailed Solution Below)
प्रसाद युगीन नाटक Question 11 Detailed Solution
प्रकाशन वर्ष के अनुसार जयशंकर प्रसाद के नाटकों का सही अनुक्रम हैं-(C)राज्यश्री,(A)अजातशत्रु,(D)स्कन्दगुप्त,(B)ध्रुवस्वामिनी।
Key Points
- जयशंकर प्रसाद के नाम से ही नाटकों में प्रसाद युग की शुरूआत मानी जाती है।
Important Points
- राज्यश्री(1915) नाटक 'हर्षचरित' तथा चीनी यात्री ह्वेनसांग की कथा को आधार बनाकर लिखा गया है।
- अजातशत्रु(1922) नाटक मगध,काशी,कौशाम्बी व कोशल राज्यों को केंद्र बनाकर लिखा गया है।
- स्कन्दगुप्त(1928) नाटक भारतीय व यूरोपीय नाटकों का समन्वय है तथा इसमें कुमारगुप्त के विलासी साम्राज्य की आंतरिक स्थिति का चित्रण है।
- ध्रुवस्वामिनी(1933) नाटक 'स्त्री पुनर्विवाह' की ऐतिहासिक घटना पर आधारित है।
Additional Information
- अन्य नाटक-
नाटक | विषय |
सज्जन(1910) | महाभारत के कथानक पर आधारित। |
एक घूँट(1930) | आनंदवादी दर्शन का व्यवहारिक रूप। |
चन्द्रगुप्त(1931) | चन्द्रगुप्त के साहस व चाणक्य की राजनीति का सशक्त उदाहरण पेश है। |
प्रसाद युगीन नाटक Question 12:
'स्कन्दगुप्त' नाटक में स्कन्दगुप्त के उदासीन होने के निम्नलिखित कारणों में से कौन - सा कारण सही नहीं है?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रसाद युगीन नाटक Question 12 Detailed Solution
क्षात्रधर्म का अभाव स्कंद गुप्त नाटक में स्कंदगुप्त के उदासी होने का कारण नहीं था।
स्कन्द गुप्त की उदासी का कारण
गुप्त काल का अव्यवस्थित उत्तराधिकार नियम
भोग विलास के प्रति वितृष्णा
विमाता का षड्यंत्र
वास्तव में अव्यवस्था के प्रति स्कन्दगुप्त विशेष दृष्टि रखता है, तभी तो वह उत्तराधिकार और अन्य प्रश्नों पर भी जब अव्यवस्था अधिक देखता है, तब वह उदास हो जाता है।
स्कंद गुप्त नाटक की रचना जयशंकर प्रसाद ने की है।
इसका रचना वर्ष1928 ईस्वी है।
नारी पात्र:- कमला रामा देव की अनंत देवी जय माल देवसेना विजया मालिनी
पुरुष पात्र:- स्कंद गुप्त, कुमारगुप्त, गोविंद गुप्त, पर्णदत्त, मातृगुप्त, प्रपंच बुद्धि, कुमार दास ,पर गुप्त, भट्टार्क , पृथ्वीसेन, खिंगल, मुद्गल, प्रख्यात कीर्ति
जयशंकर प्रसाद के नाटक एवं एकांकी निम्नलिखित है:-
प्रसाद युगीन नाटक Question 13:
'चंद्रगुप्त' नाटक के चतुर्थ अंक में कुल कितने दृश्य हैं ?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रसाद युगीन नाटक Question 13 Detailed Solution
सही उत्तर है- "14"। अन्य विकल्प असंगत हैं।
- 'चंद्रगुप्त' नाटक के चतुर्थ अंक में कुल 14 दृश्य हैं।
Key Pointsचंद्रगुप्त नाटक-
- रचनाकार- जयशंकर प्रसाद
- विधा- नाटक
- प्रकाशन वर्ष- 1931 ईo
- अंक- 4
- कुल दृश्य- 44
- प्रथम अंक- 11
- द्वितीय अंक- 10
- तृतीय अंक- 9
- चतुर्थ अंक- 14
- गीतों की संख्या- 13
- श्रेणी- ऐतिहासिक नाटक
- विषय-
- चन्द्रगुप्त तथा चाणक्य का अत्याचारी नन्द तथा विदेशी यूनानियों से संघर्ष का चित्रण।
- मुख्य पात्र-
- नाटक के पुरुष पात्र- कुल उन्नीस (19) पुरुष पात्र है।
- चाणक्य- (विष्णुगुप्त) मौर्य साम्राज्य का निर्माता।
- चंद्रगुप्त- मौर्य-सम्राट नाटक का नायक जो निर्भीक, दृढ़ और आत्मविश्वास से परिपूर्ण है।
- नन्द- मगध का सम्राट।
- राक्षस- मगध का अमात्य।
- वररुचि (कात्यायन)- मगध का अमात्य।
- शकटार- मगध का मंत्री।
- आम्भिक- तक्षशिला का राजकुमार।
- पर्वतेश्वर- पंजाब का राजा (पोरस)।
- सिंहरण- मालव गण-मुख्य का कुमार, जो गौण पात्र है।
- सिकंदर- ग्रीक विजेता।
- फिलिप्स- सिकंदर का क्षत्रप।
- मौर्य सेनापति- चन्द्रगुप्त का पिता।
- एनिसाक्रिटीज- सिकंदर का सहचर।
- देवबल, नागदत्त, गण-मुख्य, मालवा- गणतंत्र के पदाधिकारी।
- साईबर्तियस, मेगास्थनीज- यवन दूत।
- गांधार-नरेश- आम्भिक का पिता।
- सिल्यूकस- सिकंदर का सेनापति।
- दण्डयायन- एक तपस्वी।
- स्त्रीपात्र-
- अलका- तक्षशिला की राजकुमारी
- कल्याणी- मगध-राजकुमारी
- नीला, लीला- कल्याणी की सहेलियाँ
- मालविका- सिन्दू-देश की कुमारी मुख्य नारी पात्र। एक संधर्षशील, स्वाभिमानी स्त्री, जो अशिक्षित भी है।
- कार्नेलिया- सिल्यूकस की पुत्री
- एलिस- कार्नेलिया की सहेली
- नाटक के पुरुष पात्र- कुल उन्नीस (19) पुरुष पात्र है।
Important Pointsजयशंकर प्रसाद-
- जन्म- 1889 - 1937 ईo
- नाटक-
- सज्जन (1910 ईo)
- कल्याणी परिणय (1912 ईo)
- करुणालय (1912 ईo)
- प्रायश्चित (1913 ईo)
- राज्यश्री (1915 ईo)
- अजातशत्रु (1922 ईo)
- जनमेजय का नागयज्ञ (1926 ईo)
- कामना (1927 ईo)
- स्कंदगुप्त (1928 ईo)
- चंद्रगुप्त (1931 ईo)
- ध्रुवस्वामिनी (1933 ईo)
प्रसाद युगीन नाटक Question 14:
ध्रुवस्वामिनी के प्रथम अंक में कितने गीत हैं?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रसाद युगीन नाटक Question 14 Detailed Solution
सही उत्तर है - दो।
Key Points
- धुवस्वामिनी नाटक में कुल चार गीत हैं।
- दो गीत प्रथम अंक में जिन्हे मन्दाकिनी गाती है।
- एक गीत द्वितीय अंक में कोमा गाती है।
- आखिरी गीत द्वितीय अंक में नर्तकियां गाती हैं।
Additional Informationध्रुवस्वामिनी:-
- लेखक:- जयशंकर प्रसाद।
- विधा:- नाटक।
- मूल विषय:- नारी समस्या।
- प्रमुख पात्र:- ध्रुवस्वामिनी, चन्द्रगुप्त, रामगुप्त, शिखरस्वामी, शकराज, मिहिरदेव, कोमा, मन्दाकिनी।
प्रसाद युगीन नाटक Question 15:
इनमे से जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित नाटक कौनसा नहीं है?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रसाद युगीन नाटक Question 15 Detailed Solution
"दुखिनी बाला", "जयशंकर प्रसाद" द्वारा रचित नाटक नहीं है। अतः उपयुक्त विकल्पों में से विकल्प (3) दुखिनी वाला सही है तथा अन्य विकल्प असंगत है।
- दुखिनी बाला राधा कृष्ण दास की रचना है।
- इसका रचना वर्ष 1880 ईसवी है।
- जयशंकर प्रसाद (30 जनवरी 1889 - 15 नवंबर 1937)
- वे हिन्दी के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक हैं।
- वे नागरीप्रचारिणी सभा के उपाध्यक्ष भी थे।
- उनकी सर्वप्रथम छायावादी रचना 'खोलो द्वार' 1914 ई. में इंदु में प्रकाशित हुई।
- सन् 1912 ई. में 'इंदु' में उनकी पहली कहानी 'ग्राम' प्रकाशित हुई।
- हिंदी में 'करुणालय' द्वारा गीत नाट्य का भी आरंभ किया।
- सुमित्रानंदन पंत, कामायनी को 'हिंदी में ताजमहल के समान' मानते हैं।
जयशंकर प्रसाद के नाटक एवं एकांकी निम्नलिखित है:-