साहित्य MCQ Quiz - Objective Question with Answer for साहित्य - Download Free PDF
Last updated on Jun 16, 2025
Latest साहित्य MCQ Objective Questions
साहित्य Question 1:
गुरु नानक का जन्म कब हुआ था ?
Answer (Detailed Solution Below)
साहित्य Question 1 Detailed Solution
गुरु नानक का जन्म हुआ था - 1469 ई.
Key Pointsगुरु नानक-
- (15 अप्रैल 1469 - 22 सितंबर 1539),
- जिन्हें बाबा नानक ('पिता नानक')के नाम से भी जाना जाता है,
- एक भारतीय आध्यात्मिक शिक्षक, रहस्यवादी और कवि थे,
- जिन्हें सिख धर्म का संस्थापक माना जाता है सिख गुरुओं में से पहले हैं।
- गुरु नानक का मुख्य ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब है।
- यह सिखों का सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक ग्रंथ है और इसे सिखों का शाश्वत गुरु माना जाता है।
- गुरु ग्रंथ साहिब में गुरु नानक देव जी के 974 भजन और अन्य सिखों के उपदेश शामिल हैं।
Additional Information
- दस सिख गुरु भारत में स्थापित सिख धर्म के पहले दस नेता थे।
- उनमें गुरु नानक, गुरु अंगद, गुरु अमर, गुरु राम दास, गुरु अर्जन, गुरु हरगोबिंद,
- गुरु हर राय, गुरु हर कृष्ण, गुरु तेग बहादुर और गुरु गोबिंद सिंह शामिल हैं।
- सिख धर्मग्रंथ, जिसे गुरु ग्रंथ साहिब कहा जाता है, को अंतिम गुरु कहा जाता है।
साहित्य Question 2:
जौनसार में स्थानीय ज्योतिष की भाषा जिस पुस्तक में लिखी गई है, उसे कहते हैं।
Answer (Detailed Solution Below)
साहित्य Question 2 Detailed Solution
जौनसार में स्थानीय ज्योतिष की भाषा जिस पुस्तक में लिखी गई है, उसे जनम पौत्री कहते हैं।
Key Points
- जौनसार बावर में स्थानीय ज्योतिष या खगोल विज्ञान की भाषा, मुख्यतः जौनसारी भाषा है।
- जौनसारी भाषा, पश्चिमी पहाड़ी भाषाओं के समूह की एक इंडो-आर्यन भाषा है,
- यह भाषा गढ़वाली से मिलती-जुलती है, लेकिन शिमला और सिरमौर क्षेत्रों की भाषाओं से भी कुछ समानताएं हैं।
साहित्य Question 3:
पालि भाषा का संबंध निम्न में से किस साहित्य से मुख्य रूप से जुड़ा हुआ है?
Answer (Detailed Solution Below)
साहित्य Question 3 Detailed Solution
पालि भाषा का संबंध बौद्ध साहित्य से मुख्य रूप से जुड़ा हुआ है
Key Pointsबौद्ध धर्म का साहित्य-
- बौद्ध धर्म के सबसे महत्वपूर्ण स्रोत पाली भाषा में लिखे गए त्रिपिटक हैं। वे हैं:
- सुत्त पिटक
- विनय पिटक
- अभिधम्म पिटक
- जातक बौद्ध कला और साहित्य का एक महत्वपूर्ण अंग हैं।
- वे बुद्ध (प्रबुद्ध एक) के पिछले अस्तित्व या जन्मों का वर्णन करते हैं, जब वे बोधिसत्व (ऐसे प्राणी जिन्हें अभी ज्ञान या मोक्ष प्राप्त होना बाकी है) के रूप में मानव और गैर-मानव दोनों रूपों में प्रकट हुए थे।
- इन कहानियों से हमें पता चलता है कि विभिन्न सिद्धियाँ या पारलौकिक गुण (जिन्हें आमतौर पर पारमिता कहा जाता है) का अभ्यास करना, आत्मज्ञान (मोक्ष) प्राप्त करने या पुनर्जन्म के अंतहीन चक्र, संसार से मुक्ति के लिए बौद्ध विचारों की कुंजी है।
Important Pointsजैन साहित्य को दो प्रमुख श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है:
- आगम साहित्य (आगम सूत्र) -
- भगवान महावीर का उपदेश विधिपूर्वक उनके तात्कालिक शिष्यों द्वारा संकलित किया गया था, जिन्हें गंधार के रूप में जाना जाता था, और बड़े भिक्षुओं को श्रुत-केवली के रूप में जाना जाता था, जिन्हें विभिन्न ग्रंथों में सूत्र के रूप में जाना जाता है।
- ये सूत्र सामूहिक रूप से जैन धर्म के पवित्र ग्रंथ आगम या आगम सूत्र के रूप में जाने जाते हैं।
- इसलिए, जैन धर्म में बाइबल या कुरान जैसी एक पवित्र ग्रंथ नहीं है, लेकिन इसमें गंधार और श्रुत-केवली द्वारा संकलित विभिन्न ग्रंथ हैं।
- गैर-आगम साहित्य में आगम साहित्य की व्याख्या और भाष्य, तथा तपस्वियों और विद्वानों द्वारा संकलित स्वतंत्र रचनाएँ शामिल हैं।
सिद्ध साहित्य-
- सिद्ध साहित्य ब्रजयानी सिद्धों के द्वारा रचा गया साहित्य है।
- इनका संबंध बौद्ध धर्म से है। ये भारत के पूर्वी भाग में सक्रिय थे।
- इनके ग्रंथों की संख्या 84 मानी जाती है सिद्ध साहित्य का प्रारंभ आठवीं सदी से लेकर तेरे सदी मन जाती है।
- जिनमें सरहप्पा, शबरप्पा, लुइप्पा, डोम्भिप्पा, कुक्कुरिप्पा (कणहपा) आदि मुख्य हैं।
- इन्होंने अपभ्रंश मिश्रित पुरानी हिंदी तथा अपभ्रंश में रचनाएं की हैं।
साहित्य Question 4:
प्राकृत किस परिवार की भाषा है?
Answer (Detailed Solution Below)
साहित्य Question 4 Detailed Solution
प्राकृत आर्य परिवार की भाषा है
Key Pointsहिन्दी भाषा के इतिहास को तीन भागों में विभाजित किया गया है -
- प्राचीन भारतीय आर्य भाषा (1500 ई.पू. - 500 ई.पू.)
- वैदिक संस्कृत (1500 ई. पू. - 1000 ई. पू.)
- लौकिक संस्कृत (1000 ई. पू. - 500 ई. पू.)
- मध्यकालीन भारतीय आर्य भाषा (500 ई.पू. - 1000 ई.)
- पाली (500 ई. पू .- 1 ई.)
- पश्चिमोत्तरीय
- मध्यदेशीय
- पूर्वी
- दक्षिणी
- प्राकृत (1 ई. - 500 ई.)
- शौरसेनी
- पैशाची
- महाराष्ट्री
- मागधी
- अर्धमागधी
- अपभ्रंश (500 ई. - 1000 ई.)
- शौरसेनी - पश्चिमी हिन्दी (ब्रजभाषा, खड़ी बोली, बांगरु, कन्नौजी, बुंदेली), गुजराती, राजस्थानी (मेवाती, मारवाड़ी, मालवी, जयपुरी)
- पैशाची - लहंदा, पंजाबी
- महाराष्ट्री - मराठी
- मागधी - बिहारी (भोजपुरी, मैथिली, मगही), बंगला, उड़िया, असमिया
- अर्धमागधी - पूर्वी हिन्दी (अवधी, बघेली, छत्तीसगढ़ी)
- खस / मागधी - पहाड़ी हिन्दी)
- पाली (500 ई. पू .- 1 ई.)
- आधुनिक भारतीय आर्य भाषा (1000 ई. - अब तक)
- पश्चिमी हिंदी उपभाषा
- पूर्वी हिंदी उपभाषा
- राजस्थानी उपभाषा
- बिहारी उपभाषा
- पहाड़ी उपभाषा
साहित्य Question 5:
केंद्रीय हिंदी संस्थान का मुख्यालय कहाँ है?
Answer (Detailed Solution Below)
साहित्य Question 5 Detailed Solution
सही उत्तर ‘आगरा’ है।
Key Points
- केंद्रीय हिंदी संस्थान भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधीन एक उच्चतर शैक्षणिक एवं शोध संस्थान है।
- इसका मुख्यालय आगरा में है।
- इसके आठ केंद्र- दिल्ली, हैदराबाद, गुवाहाटी, शिलांग, मैसूर, दीमापुर, भुवनेश्वर तथा अहमदाबाद हैं।
Top साहित्य MCQ Objective Questions
राजस्थानी में रामकथा रै आधार पर 'रामायण' सिरैनांव सूं आख्यान काव्य कुण लिख्यौ ?
Answer (Detailed Solution Below)
साहित्य Question 6 Detailed Solution
Download Solution PDFराजस्थानी में रामकथा के आधार पर 'रामायण' शीर्षक से आख्यान काव्य मेहोजी गोदारा द्वारा लिखा गया है।
Key Points
- राजस्थानी साहित्य में रामकथा का महत्वपूर्ण स्थान है,
- और इस पर आधारित 'रामायण' शीर्षक से आख्यान काव्य मेहोजी गोदारा द्वारा लिखा गया है।
- मेहोजी गोदारा एक प्रमुख साहित्यकार थे जिन्होंने राजस्थानी भाषा में काव्य रचनाएँ कीं
- और रामकथा को राजस्थानी भाषा की साहित्यिक परंपरा में शामिल किया।
Additional Information
- पदम भगत: पदम भगत राजस्थानी साहित्य के एक प्रमुख साहित्यकार हैं।
- उनकी प्रमुख रचनाओं में "मरुभूमि", "अकाल", "जंगल" और "धूल" शामिल हैं।
- मुंहता रुघनाथ: मुहता नैणसी राजस्थानी साहित्य के एक प्रसिद्ध कवि और लेखक थे।
- उनकी प्रमुख रचनाएँ हैं "मारवाड़ रा परगना री विगत" और "नैणसी री ख्यात"।
- सरवण भूकर: सरवण भूकर राजस्थानी साहित्य के एक अन्य प्रमुख साहित्यकार हैं।
- उनकी प्रमुख रचनाएँ हैं धनजी की जुगनी, मरुधरा की महक, गांव आ बुहारण, गवर-गूंगा।
प्रयोगवाद के प्रवर्तक के अनुसार प्रयोगवादी कवि का मुख्य तथ्य क्या था?
Answer (Detailed Solution Below)
साहित्य Question 7 Detailed Solution
Download Solution PDFप्रयोगवाद के प्रवर्तक के अनुसार प्रयोगवादी कवि का मुख्य तथ्य था- 'भावुकता के स्थान पर बौद्धिकता की प्रतिष्ठा', अन्य विकल्प असंगत है, अत: विकल्प 2 'भावुकता के स्थान पर बौद्धिकता की प्रतिष्ठा' सही उत्तर होगा।
Key Points
- प्रयोगवादी काव्यधारा की प्रमुख प्रवृत्तियाँ (विशेषताएँ) –
- अतियथार्थवादिता
- बौद्धिकता की अतिशयता
- घोर वैयक्तिकता
- वाद व विचारधारा का विरोध
- नवीन उपमानों का प्रयोग
- भाषा की स्वच्छंदता
- निराशावाद
- साहस और जोखिम
- वैचित्र्य प्रदर्शन (शिल्पगत वैशिष्ट्य)
- निरंतर प्रयोगशीलता
- व्यापक अनास्था की भावना
- सामाजिक यथार्थवाद की भावना
- शृंगार का उन्मुक्त चित्रण
- क्षणवाद
- कुण्ठा और निराशा का चित्रण
- नग्नता (भदेस) का निरुपण
मानहेरा टीब्बा ___________ का प्रमुख खनन क्षेत्र है।
Answer (Detailed Solution Below)
साहित्य Question 8 Detailed Solution
Download Solution PDFमानहेरा टीब्बा प्राकृतिक गैस का प्रमुख खनन क्षेत्र है।
Key Points
- मनहेरा टीब्बा राजस्थान के जैसलमेर बेसिन में प्राकृतिक गैस का एक प्रमुख खनन क्षेत्र है,
- यह क्षेत्र ओएनजीसी (ONGC), ऑयल इंडिया लिमिटेड (OIL) और फोकस एनर्जी (Focus Energy) द्वारा अन्वेषण और उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण है।
Additional Informationपेट्रोलियम -
- पेट्रोलियम एक तरल हाइड्रोकार्बन है जिसे क्रूड ऑयल के नाम से भी जाना जाता है। यह मुख्य रूप से ज्वलनशील हाइड्रोकार्बनों और उथले समुद्री जीवों के अवशेष से बना होता है।
- भारत के विभिन्न राज्यों में पेट्रोलियम के भंडार पाए जाते हैं। प्रमुख क्षेत्रों में असम, गुजरात, मुम्बई हाई (अफशोर), राजस्थान (बाड़मेर बेसिन), कावेरी बेसिन, कृष्णा-गोदावरी बेसिन आदि शामिल हैं।
- पेट्रोलियम का उपयोग ईंधन (जैसे पेट्रोल, डीज़ल, केरोसिन), रसायन, प्लास्टिक, खादों, औषधियों और अन्य उत्पादों के निर्माण में किया जाता है।
लिग्नाइट -
- लिग्नाइट, जिसे ब्राउन कोल के नाम से भी जाना जाता है, कोयले का एक निम्न श्रेणी का प्रकार है जिसमें कम प्राथमिक कार्बन होता है और यह सापेक्षिक ऊष्मा मूल्य भी कम होता है।
- भारत में लिग्नाइट के प्रमुख भंडार तमिलनाडु (नीवेली), राजस्थान (पालाना, कापूरडी), गुजरात और जम्मू कश्मीर में पाए जाते हैं।
- लिग्नाइट का उपयोग ज्यादातर ऊर्जा उत्पादन के लिए थर्मल पावर प्लांट्स में किया जाता है। नीवेली में लिग्नाइट पर आधारित कई पावर प्लांट्स स्थापित हैं।
चूना पत्थर -
- चूना पत्थर एक अवसादी चट्टान है जिसमें प्रमुख घटक कैल्शियम कार्बोनेट (CaCO3) होता है। यह ज्यादातर जीवाश्म अवशेषों से बना होता है।
- भारत में चूना पत्थर के भंडार राजस्थान, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात और छत्तीसगढ़ में पाए जाते हैं।
- चूना पत्थर का उपयोग सीमेंट उत्पादन, चूना उत्पादन, निर्माण सामग्री, स्टील प्लांट्स में फ्लक्स के रूप में और कागज व रसायन उद्योग में किया जाता है।
जसनाथी सम्प्रदाय री प्रधान पीठ कठीनै है ?
Answer (Detailed Solution Below)
साहित्य Question 9 Detailed Solution
Download Solution PDFसही उत्तर है - कतरियासर
Key Points
- जसनाथी सम्प्रदाय की प्रधान पीठ राजस्थान के बीकानेर जिले में स्थित कतरियासर गाँव में है।
- कतरियासर को जसनाथी सम्प्रदाय के अनुयायी विशेष महत्व देते हैं, क्योंकि यह जसनाथ जी महाराज का प्रमुख स्थल है।
- जसनाथ जी महाराज के अनुयायी उनकी शिक्षाओं का अनुसरण करते हैं, जो आध्यात्मिकता, नैतिकता और समाज सुधार पर केन्द्रित हैं।
- कतरियासर में स्थित जसनाथ जी का मंदिर इस सम्प्रदाय का मुख्य धार्मिक केंद्र है, जहाँ बड़ी संख्या में भक्तजन आते हैं।
Additional Informationपीपासर:-
- पीपासर गाँव राजस्थान के नागौर जिले में स्थित है और इसे झुंझुनू जिले का भी हिस्सा माना जाता है।
- यह स्थान पीपा जी महाराज से जुड़ा हुआ है, जो कि एक संत और भक्त कवि थे।
- लोककथाओं और धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, पीपा जी भक्ति आंदोलन के महत्वपूर्ण संत माने जाते हैं।
मुकाम तालवा:-
- मुकाम गाँव राजस्थान के बीकानेर जिले में स्थित है
- और इसे प्रमुख रूप से गुरु जंबेश्वर जी महाराज (जिसे बिश्नोई समाज के संस्थापक भी माना जाता है) के नाम से जाना जाता है।
- बिश्नोई सम्प्रदाय की प्रधान पीठ मुकाम तालवा में है, जो पर्यावरण संरक्षण, वन्यजीव संरक्षण और नैतिकता पर आधारित जीवन शैली के लिए प्रसिद्ध है।
सिंगरासर:-
- सिंगरासर गाँव भी राजस्थान के बीकानेर जिले में स्थित है।
- यह गाँव बीकानेर पठार पर स्थित है और यहाँ पर ज्यादातर कृषि और पशुपालन से जुड़े लोग रहते हैं।
- यह स्थान जसनाथ जी महाराज के अनुयायियों का भी एक महत्वपूर्ण केंद्र है।
राजस्थानी लोक साहित्य री दीठ सूं 'हरजस' कांई है ?
Answer (Detailed Solution Below)
साहित्य Question 10 Detailed Solution
Download Solution PDFसही उत्तर है - लोकगीत
- लोकगीत राजस्थानी लोक साहित्य का एक महत्वपूर्ण अंग हैं,
- जो विभिन्न अवसरों और घटनाओं के साथ जुड़े होते हैं, जैसे कि विवाह, जन्म, मृत्यु और धार्मिक अनुष्ठान।
Key Points
- राजस्थानी लोक साहित्य में 'हरजस' एक प्रकार का धार्मिक लोकगीत है।
- जो भगवान राम और कृष्ण की भक्ति में गाया जाता है इसका अर्थ है 'हरि का यश' अर्थात् भगवान के गुणगान।
Important Points
- राजस्थानी लोक साहित्य, राजस्थान की लोक संस्कृति की एक महत्वपूर्ण अभिव्यक्ति है,
- जिसमें लोकगीत, लोककथाएँ, लोकनाट्य, लोकगाथाएँ, कहावतें और पहेलियाँ शामिल हैं।
- यह साहित्य जन-साधारण की संस्कृति, रीति-रिवाजों, मान्यताओं और जीवन मूल्यों को दर्शाता है।
Additional Informationलोकगाथा:-
- यह लोक साहित्य की अन्य महत्वपूर्ण विधाएँ हैं,
- जो ऐतिहासिक घटनाओं, पौराणिक कथाओं और लोक कथाओं को दर्शाती हैं।
ख्याल:-
- हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की एक लोकप्रिय गायकी है।
- यह एक ऐसे गीत का रूप है जिसमें दो भाग होते हैं - विलंबित और द्रुत।
- विलंबित भाग में धीमी गति से और द्रुत भाग में तेज गति से संगीत बजाया जाता है।
पवाड़ा:-
- पवाड़ा राजस्थानी साहित्य में एक रचना है,
- जिसमें बहादुरों के विशेष काम, वीरता और पराक्रम का वर्णन किया जाता है।
- यह एक तरह का वीर रस का लोकगीत होता है,
- जो अक्सर किसी वीर पुरुष के पराक्रम को उजागर करने के लिए गाया जाता है।
गुरु नानक का जन्म कब हुआ था ?
Answer (Detailed Solution Below)
साहित्य Question 11 Detailed Solution
Download Solution PDFगुरु नानक का जन्म हुआ था - 1469 ई.
Key Pointsगुरु नानक-
- (15 अप्रैल 1469 - 22 सितंबर 1539),
- जिन्हें बाबा नानक ('पिता नानक')के नाम से भी जाना जाता है,
- एक भारतीय आध्यात्मिक शिक्षक, रहस्यवादी और कवि थे,
- जिन्हें सिख धर्म का संस्थापक माना जाता है सिख गुरुओं में से पहले हैं।
- गुरु नानक का मुख्य ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब है।
- यह सिखों का सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक ग्रंथ है और इसे सिखों का शाश्वत गुरु माना जाता है।
- गुरु ग्रंथ साहिब में गुरु नानक देव जी के 974 भजन और अन्य सिखों के उपदेश शामिल हैं।
Additional Information
- दस सिख गुरु भारत में स्थापित सिख धर्म के पहले दस नेता थे।
- उनमें गुरु नानक, गुरु अंगद, गुरु अमर, गुरु राम दास, गुरु अर्जन, गुरु हरगोबिंद,
- गुरु हर राय, गुरु हर कृष्ण, गुरु तेग बहादुर और गुरु गोबिंद सिंह शामिल हैं।
- सिख धर्मग्रंथ, जिसे गुरु ग्रंथ साहिब कहा जाता है, को अंतिम गुरु कहा जाता है।
जौनसार में स्थानीय ज्योतिष की भाषा जिस पुस्तक में लिखी गई है, उसे कहते हैं।
Answer (Detailed Solution Below)
साहित्य Question 12 Detailed Solution
Download Solution PDFजौनसार में स्थानीय ज्योतिष की भाषा जिस पुस्तक में लिखी गई है, उसे जनम पौत्री कहते हैं।
Key Points
- जौनसार बावर में स्थानीय ज्योतिष या खगोल विज्ञान की भाषा, मुख्यतः जौनसारी भाषा है।
- जौनसारी भाषा, पश्चिमी पहाड़ी भाषाओं के समूह की एक इंडो-आर्यन भाषा है,
- यह भाषा गढ़वाली से मिलती-जुलती है, लेकिन शिमला और सिरमौर क्षेत्रों की भाषाओं से भी कुछ समानताएं हैं।
पालि भाषा का संबंध निम्न में से किस साहित्य से मुख्य रूप से जुड़ा हुआ है?
Answer (Detailed Solution Below)
साहित्य Question 13 Detailed Solution
Download Solution PDFपालि भाषा का संबंध बौद्ध साहित्य से मुख्य रूप से जुड़ा हुआ है
Key Pointsबौद्ध धर्म का साहित्य-
- बौद्ध धर्म के सबसे महत्वपूर्ण स्रोत पाली भाषा में लिखे गए त्रिपिटक हैं। वे हैं:
- सुत्त पिटक
- विनय पिटक
- अभिधम्म पिटक
- जातक बौद्ध कला और साहित्य का एक महत्वपूर्ण अंग हैं।
- वे बुद्ध (प्रबुद्ध एक) के पिछले अस्तित्व या जन्मों का वर्णन करते हैं, जब वे बोधिसत्व (ऐसे प्राणी जिन्हें अभी ज्ञान या मोक्ष प्राप्त होना बाकी है) के रूप में मानव और गैर-मानव दोनों रूपों में प्रकट हुए थे।
- इन कहानियों से हमें पता चलता है कि विभिन्न सिद्धियाँ या पारलौकिक गुण (जिन्हें आमतौर पर पारमिता कहा जाता है) का अभ्यास करना, आत्मज्ञान (मोक्ष) प्राप्त करने या पुनर्जन्म के अंतहीन चक्र, संसार से मुक्ति के लिए बौद्ध विचारों की कुंजी है।
Important Pointsजैन साहित्य को दो प्रमुख श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है:
- आगम साहित्य (आगम सूत्र) -
- भगवान महावीर का उपदेश विधिपूर्वक उनके तात्कालिक शिष्यों द्वारा संकलित किया गया था, जिन्हें गंधार के रूप में जाना जाता था, और बड़े भिक्षुओं को श्रुत-केवली के रूप में जाना जाता था, जिन्हें विभिन्न ग्रंथों में सूत्र के रूप में जाना जाता है।
- ये सूत्र सामूहिक रूप से जैन धर्म के पवित्र ग्रंथ आगम या आगम सूत्र के रूप में जाने जाते हैं।
- इसलिए, जैन धर्म में बाइबल या कुरान जैसी एक पवित्र ग्रंथ नहीं है, लेकिन इसमें गंधार और श्रुत-केवली द्वारा संकलित विभिन्न ग्रंथ हैं।
- गैर-आगम साहित्य में आगम साहित्य की व्याख्या और भाष्य, तथा तपस्वियों और विद्वानों द्वारा संकलित स्वतंत्र रचनाएँ शामिल हैं।
सिद्ध साहित्य-
- सिद्ध साहित्य ब्रजयानी सिद्धों के द्वारा रचा गया साहित्य है।
- इनका संबंध बौद्ध धर्म से है। ये भारत के पूर्वी भाग में सक्रिय थे।
- इनके ग्रंथों की संख्या 84 मानी जाती है सिद्ध साहित्य का प्रारंभ आठवीं सदी से लेकर तेरे सदी मन जाती है।
- जिनमें सरहप्पा, शबरप्पा, लुइप्पा, डोम्भिप्पा, कुक्कुरिप्पा (कणहपा) आदि मुख्य हैं।
- इन्होंने अपभ्रंश मिश्रित पुरानी हिंदी तथा अपभ्रंश में रचनाएं की हैं।
प्राकृत किस परिवार की भाषा है?
Answer (Detailed Solution Below)
साहित्य Question 14 Detailed Solution
Download Solution PDFप्राकृत आर्य परिवार की भाषा है
Key Pointsहिन्दी भाषा के इतिहास को तीन भागों में विभाजित किया गया है -
- प्राचीन भारतीय आर्य भाषा (1500 ई.पू. - 500 ई.पू.)
- वैदिक संस्कृत (1500 ई. पू. - 1000 ई. पू.)
- लौकिक संस्कृत (1000 ई. पू. - 500 ई. पू.)
- मध्यकालीन भारतीय आर्य भाषा (500 ई.पू. - 1000 ई.)
- पाली (500 ई. पू .- 1 ई.)
- पश्चिमोत्तरीय
- मध्यदेशीय
- पूर्वी
- दक्षिणी
- प्राकृत (1 ई. - 500 ई.)
- शौरसेनी
- पैशाची
- महाराष्ट्री
- मागधी
- अर्धमागधी
- अपभ्रंश (500 ई. - 1000 ई.)
- शौरसेनी - पश्चिमी हिन्दी (ब्रजभाषा, खड़ी बोली, बांगरु, कन्नौजी, बुंदेली), गुजराती, राजस्थानी (मेवाती, मारवाड़ी, मालवी, जयपुरी)
- पैशाची - लहंदा, पंजाबी
- महाराष्ट्री - मराठी
- मागधी - बिहारी (भोजपुरी, मैथिली, मगही), बंगला, उड़िया, असमिया
- अर्धमागधी - पूर्वी हिन्दी (अवधी, बघेली, छत्तीसगढ़ी)
- खस / मागधी - पहाड़ी हिन्दी)
- पाली (500 ई. पू .- 1 ई.)
- आधुनिक भारतीय आर्य भाषा (1000 ई. - अब तक)
- पश्चिमी हिंदी उपभाषा
- पूर्वी हिंदी उपभाषा
- राजस्थानी उपभाषा
- बिहारी उपभाषा
- पहाड़ी उपभाषा
केंद्रीय हिंदी संस्थान का मुख्यालय कहाँ है?
Answer (Detailed Solution Below)
साहित्य Question 15 Detailed Solution
Download Solution PDFसही उत्तर ‘आगरा’ है।
Key Points
- केंद्रीय हिंदी संस्थान भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधीन एक उच्चतर शैक्षणिक एवं शोध संस्थान है।
- इसका मुख्यालय आगरा में है।
- इसके आठ केंद्र- दिल्ली, हैदराबाद, गुवाहाटी, शिलांग, मैसूर, दीमापुर, भुवनेश्वर तथा अहमदाबाद हैं।