करुण रस MCQ Quiz in मराठी - Objective Question with Answer for करुण रस - मोफत PDF डाउनलोड करा

Last updated on Mar 30, 2025

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करुण रस Question 1:

निम्नलिखित पंक्ति किस रस का उदाहरण है?

हा ! इसी अयश के हेतु जनन था मेरा,
निज जननी ही के हाथ हनन था मेरा ।

  1. रौद्र रस 
  2. करुण रस 
  3. वीर रस 
  4. भयानक रस 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : करुण रस 

करुण रस Question 1 Detailed Solution

दिए गए विकल्पों में सही उत्तर विकल्प 2 ‘करुण रस’ है। अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं।

Key Points

रस

परिभाषा

 

करुण रस

(स्थाई भाव शोक है)

 

 

किसी प्रिय व्यक्ति के विरह से उत्पन्न होने वाली शोकावस्था।

जैसे – सोक विकल सब रोंवही रानी। रूपु सीलु बलु तेज बखानी। करहिं मिलाप अनेक प्रकार। परहिं भूमि तल बारहिं बारा।

 

अन्य विकल्प

रस

परिभाषा

वीर रस

(स्थाई भाव उत्साह है)

 

उत्साह नामक स्थाई भाव जब विभावादी के संयोग से परिपक्व होकर रस रूप में परिणत हो। जैसे वीर तुम बढ़े चलो, धीर तुम बढ़े चलो। सामने पहाड़ हो सिंह की दहाड़ हो। तुम कभी रूको नहीं, तुम कभी झुको नहीं।

रौद्र रस 

(इसका स्थाई भाव क्रोध है)

 

किसी व्यक्ति के द्वारा क्रोध में किए गए अपमान आदि से उत्पन्न हुआ भाव।

जैसे - अविरत बोले वचन कठोर, बेगी देखाउ मूढ नत आजू। उलतऊँ माहि जंह लग तवराजू।

भयानक रस 

(इसका स्थाई भाव भय है)

किसी भयानक दृश्य को देखने से उत्पन्न हुई भय की अवस्था

जैसे - उधर गरजती सिंधु लहरिया कुटिल काल के जालों सी। चली आ रही फेंन उगलती, फेंन फैलाएं व्यालो सी।

 

Additional Information

रस

काव्य को पढ़ने, सुनने से उत्पन्न होने वाले आनंद की अनुभूति को साहित्य के अंतर्गत रह कहा जाता है।  हिंदी में ‘स्थायी भाव’ के आधार पर काव्य में ‘नौ’ रस बताए गए हैं, जो निम्नलिखित हैं:-

 

रस और उनके स्थायीभाव -

रस

स्थायी भाव

शृंगार रस

रति

हास्य रस

हास

करुण रस

शोक

रौद्र रस

क्रोध

वीर रस

उत्साह

भयानक रस

भय

वीभत्स रस

जुगुप्सा

अद्भुत रस

विस्मय

शांत

निर्वेद

 

इसके अलावा 2 और रस माने जाते हैं। वे हैं-

वात्सल्य

स्नेह

भक्ति

वैराग्य

करुण रस Question 2:

देखि सुदामा की दीनदशा, करुणा करिकै करुनानिधि रोये में कौन सा रस है?

  1. वियोग (श्रृंगार)
  2. रौद्र
  3. करुण
  4. शान्त

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : करुण

करुण रस Question 2 Detailed Solution

इसका सही उत्तर विकल्प 2 ‘करुण रस’ होगा। अन्य विकल्प सही उत्तर नहीं हैं।

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  • 'देखि सुदामा की दीन दसा करूना करि कै करुनानिधि रोये।'- में ‘करुण रस’ है।
  • यहाँ पर श्रीकृष्ण की करुणा के बारे में बताया गया हैं जब सुदामा और उनकी दशा को देख कर श्री कृष्ण रोने लगे थे। इसलिए यहाँ पर करुण रस है।

  • किसी प्रिय व्यक्ति या वस्तु के विनाश या अनिष्ट की आशंका से जो भाव मन में पुष्ट होते हैं तो करुण रस होता है।

  • जैसे- करि विलाप सब रोबहिं रानी, महाविपति कीमि जाय बखानी। सुनी विलाप दुखद दुख लागा, धीरज छूकर धीरज भागा।  

अन्य विकल्प:

रस

परिभाषा

उदाहरण

शांत रस

शांति रस का विषय वैराग्य है। जहां संसार की अनिश्चित एवं दु:ख की अधिकता को देखकर हृदय में विरक्ति उत्पन्न हो।

चलती चाकी देखकर दिया कबीरा रोय।

दुइ पाटन के बीच में साबुत बचा न कोय।

हास्य रस

किसी वस्तु या व्यक्ति की वेश-भूषा, उसका आकार, चाल-ढाल किसी घटना और भावना से उत्पन्न रस को हास्य रस कहते हैं।

बिहसि लखन बोले मृदु बानी। अहो मुनीसु महाभर यानी।। पुनि पुनि मोहि देखात कुहारु। चाहत उड़ावन कुंकी पहारू।।

वीर रस

युद्ध और कठिन कार्य करने के लिए जागा उत्साह भाव विभावादि से पुष्ट होकर वीर रस बन जाता है।

बुंदेले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी,

खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।

वात्सल्य रस

बच्चों के प्रति स्नेह, अपने से बड़ों , गुरुजनों एवं मटा का पुत्र के प्रति आदि का प्रेम स्नेह कहलाता है और यही प्रेम पुष्ट होकर वात्सल्य कहलाता है।

चालत देखि जसुमति सुख पावै। ठुमकि ठुमकि पग धरनी रेंगत, जननी देखि दिखावै।

 

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  • श्रव्य काव्य के पठन अथवा श्रवण एवं दृश्य काव्य के दर्शन तथा श्रवण में जो अलौकिक आनन्द प्राप्त होता है, वही काव्य में रस कहलाता है।
  • रस के जिस भाव से यह अनुभूति होती है कि वह रस है वह स्थायी भाव होता है। 
  • रस, छंद और अलंकार - काव्य रचना के आवश्यक अव्यय हैं।
  • रस का शाब्दिक अर्थ है - आनन्द। काव्य में जो आनन्द आता है वह ही काव्य का रस है। 
  • काव्य में आने वाला आनन्द अर्थात् रस लौकिक न होकर अलौकिक होता है। रस काव्य की आत्मा है। 
  • संस्कृत में कहा गया है कि "रसात्मकम् वाक्यम् काव्यम्" अर्थात् रसयुक्त वाक्य ही काव्य है।

करुण रस Question 3:

दिए गए विकल्पों में रस और उसके स्थायी भाव के उचित क्रम को पहचानिए। 

  1. करुण रस - शोक
  2. रौद्र रस - रति
  3. हास्य रस - क्रोध
  4. शृंगार रस - हास 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : करुण रस - शोक

करुण रस Question 3 Detailed Solution

दिए गए विकल्पों में सही उत्तर विकल्प 1 ‘करुण रस - शोक’ है। अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं।

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  • दिए गए विकल्पों में 'करुण रस - शोक' ये विकल्प उचित है। 
  • करुण रस का स्थायी भाव शोक होता है। 

 

रस

परिभाषा

करुण रस

किसी प्रिय व्यक्ति के विरह से उत्पन्न होने वाली शोकावस्था।

जैसे – सोक विकल सब रोंवही रानी। रूपु सीलु बलु तेज बखानी। करहिं मिलाप अनेक प्रकार। परहिं भूमि तल बारहिं बारा।

 

अन्य विकल्प: 

  1. रौद्र रस का स्थायी भाव 'क्रोध' है।  
  2. हास्य रस का स्थायी भाव 'हास' है।  
  3. शृंगार रस का स्थायी भाव 'रति' है।  

 

Additional Information

रस - काव्य को पढ़ने, सुनने से उत्पन्न होने वाले आनंद की अनुभूति को साहित्य के अंतर्गत रह कहा जाता है।  हिंदी में ‘स्थायी भाव’ के आधार पर काव्य में ‘नौ’ रस बताए गए हैं, जो निम्नलिखित हैं:-

 

रस

स्थायी भाव

1.

शृंगार रस

रति

2.

हास्य रस

हास

3.

करुण रस

शोक

4.

रौद्र रस

क्रोध

5.

वीर रस

उत्साह

6.

भयानक रस

भय

7.

वीभत्स रस

जुगुप्सा

8.

अद्भुत रस

विस्मय

9.

शांत

निर्वेद

इसके अलावा 2 और रस माने जाते हैं। वे हैं-

10.

वात्सल्य

स्नेह

11.

भक्ति

वैराग्य

 

करुण रस Question 4:

"आँसू" में किस रस की प्रधानता है?

  1. शांत रस
  2. करुण रस
  3. अद्भुत रस
  4. हास्य रस

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : करुण रस

करुण रस Question 4 Detailed Solution

"आँसू" में करुण रस रस की प्रधानता है।

Key Points"आँसू काव्य'- 

  • यह जयशंकर प्रसाद द्वारा लिखित गीतिकाव्य है।
  • इसका प्रकाशन 1925ई. में हुआ था।
  • यह वेदना का काव्य है।

करुण रस-

  • जब किसी दीर्घकालिक वियोग या अपने प्रेमी से बिछुड़ जाने का वेदना उत्पन्न हो वहां करुण रस होता है।
  • इसका स्थायी भाव शोक है।

Additional Information

जयशंकर प्रसाद-(1889-1937)

  • हिन्दी के कवि, नाटककार, कहानीकार, उपन्यासकार तथा निबन्ध-लेखक थे।
  • वे हिन्दी के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक हैं। 

प्रमुख रचनाएँ-

  • प्रेमपथिक 1909
  • झरना 1918
  • आँसूं 1924
  • करुणालय 1913
  • चित्राधार 1918
  • महाराणा का महत्त्व 1914 आदि।

करुण रस Question 5:

निम्नलिखित में से "माता की मृत्यु" के वर्णन में कौन-सा रस रहता है ?

  1. वीर रस
  2. हास्य रस
  3. श्रृंगार रस
  4. करुण रस

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : करुण रस

करुण रस Question 5 Detailed Solution

सही उत्तर सही - करुण रस

Key Points

  • जहां किसी हानि के कारण शोक भाव उपस्थित होता है, वहां ‘करुण रस’ उपस्थित होता है। पर हानि किसी अनिष्ट किसी के निधन अथवा प्रेमपात्र
    के चिर वियोग के कारण संभव होता है।
  • शास्त्र के अनुसार ‘शोक’ नामक स्थाई भाव अपने अनुकूल विभाव, अनुभाव एवं संचारी भावों के सहयोग से अभिव्यक्त होकर जब आस्वाद का रूप
    धारण कर लेता है तब उसे करुण रस कहा जाता है।
  • करुण रस के अनुभाव:- रोना, जमीन पर गिरना, प्रलाप करना, छाती पीटना, आंसू बहाना, छटपटाना आदि अनुभाव है।

Additional Information रस के प्रकार और स्थायी भाव:

रस का प्रकार स्थायी भाव
श्रृंगार रस
रति
हास्य रस हास
करुण रस
शोक
रौद्र रस क्रोध

वीर रस

उत्साह
भयानक रस भय
वीभत्स रस
जुगुप्सा
अद्भुत रस विस्मय
शांत रस निर्वेद
वात्सल्य रस
वत्सलता
भक्ति रस  अनुराग

करुण रस Question 6:

‘राम राम कही राम कही राम राम कही राम, तनु परिहरि रघुवर बिरह राउ गयऊ सुरधाम।‘ काव्य पंक्ति में निम्न में से कौन सा रस है?

  1. वियोग शृंगार
  2. संयोग शृंगार
  3. करुण रस
  4. शांत रस

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : करुण रस

करुण रस Question 6 Detailed Solution

राम राम कही राम कही राम राम कही राम, तनु परिहरि रघुवर बिरह राउ गयऊ सुरधाम।‘ इस काव्य पंक्ति में करुण रस है। अतः इसका सही उत्तर विकल्प 3 ‘करुण रस’ है। अन्य विकल्प सही उत्तर नहीं हैं।

Key Points

  • प्रस्तुत पंक्ति रामचरित्र मानस से लिया गया है।
  • अपने पुत्र राम के वन गमन के उपरांत राजा दशरथ पुत्र वियोग में सब कुछ भूल चुके हैं। वह  केवल राम– राम की जाप कर रहे हैं। राम-राम की जाप करते हुए अंततः उन्होंने प्राण त्याग दिए। यह दृश्य राम चरित्र मानस में करुण रस की प्रबल प्रस्तुति करता है।
     

रस

परिभाषा

उदाहरण

करुण रस

अपने प्रिय जनों के बिछड़ जाने या किसी ऐसे प्रिय वस्तु का अनिष्ट हो जाने पर व्यक्ति में शोक का भाव जागृत होता है। उस भाव को करुण रस कहते हैं।

हाय राम कैसे झेलें हम, अपनी लज्जा अपना शोक।

गया हमारे ही हाथों से’ अपना राष्ट्र पिता परलोक।।

Additional Information

रस

परिभाषा

उदाहरण

संयोग शृंगार रस

 जब नायक नायिका के परस्पर मिलन, स्पर्श, आलिंगन,   वार्तालाप आदि का वर्णन होता   है तब वहां पर संयोग श्रृंगार रस होता है।

बैठि रही अति सघन बन, पैठि सदन तन माँह।

देखि दुपहरी जेठ की छाँहौं चाहति छाँह॥

शांत रस

किसी प्रिय व्यक्ति या वस्तु के विनाश या अनिष्ट की आशंका से जो भाव मन में पुष्ट होते हैं।

लम्बा मारग दूरि घर विकट पंथ बहु मार, कहौ संतो क्यूं पाइए दुर्लभ हरि दीदार।

वियोग शृंगार रस

 वियोग श्रृंगार को विप्रलंभ श्रृंगार भी माना गया है। वियोग श्रृंगार की अवस्था वहां होती है, जहां नायक–नायिका पति-पत्नी का वियोग होता है। दोनों मिलन के लिए व्याकुल होते हैं, यह बिरह इतनी तीव्र होती है कि सबकुछ जलाकर भस्म   करने को सदैव आतुर रहती है।

इत लखियत यह तिय नहीं उत लखियत नहि पीय।

आपुस माँहि दुहून मिलि पलटि लहै हैं जीय॥


विशेष:

रस

परिभाषा

रस

कविता, कहानी, नाटक आदि पढ़ने, सुनने या देखने से पाठक को जो एक प्रकार के विलक्षण आनन्द की अनुभूति होती है उसे रस कहते हैं।

 

करुण रस Question 7:

जब किसी प्रिय वस्तु अथवा व्यक्ति के अनिष्ट की आंशका या इनके विनाश से 'हृदय को' जो क्षोभ होता है, वहाँ किस रस की निष्पत्ति होती है?

  1. रौद्र रस
  2. भयानक रस
  3. करुण रस
  4. वीभत्स रस

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : करुण रस

करुण रस Question 7 Detailed Solution

दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर विकल्प 3 'करुण रस’ है। अन्य विकल्प इसके गलत उत्तर हैं। 

Key Points

  • जब किसी प्रिय वस्तु अथवा व्यक्ति के अनिष्ट की आंशका या इनके विनाश से 'हृदय को' जो क्षोभ होता है, वहाँ 'करुण रस' की निष्पत्ति होती है। 
  • उदाहरण - करि विलाप सब रोबहिं रानी, महाविपति कीमि जय बखानी। सुनी विलाप दुखद दुख लगा, धीरज छूकर धीरज भागा।  
  • अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं। 

Additional Information

काव्य को पढ़ने, सुनने से उत्पन्न होने वाले आनंद की अनुभूति को साहित्य के अंतर्गत रह कहा जाता है। हिंदी में ‘स्थायी भाव’ के आधार पर काव्य में ‘नौ’ रस बताए गए हैं, जो निम्नलिखित हैं:-

 

रस

स्थायी भाव

1.

शृंगार रस

रति

2.

हास्य रस

हास

3.

करुण रस

शोक

4.

रौद्र रस

क्रोध

5.

वीर रस

उत्साह

6.

भयानक रस

भय

7.

वीभत्स रस

जुगुप्सा

8.

अद्भुत रस

विस्मय

9.

शांत रस

निर्वेद

करुण रस Question 8:

करुण रस का स्थायी भाव क्या है?

  1. दया
  2. शोक
  3. सहानुभूति
  4. करुणा

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : शोक

करुण रस Question 8 Detailed Solution

सही विकल्प शोक है। अन्य विकल्प असंगत है। 

Key Points

  •  करुण रस का स्थायी भाव शोक है।

रस 

व्याख्या 
करुण रस  इसका स्थायी भाव शोक होता है इस रस में किसी अपने का विनाश या अपने का वियोग, द्रव्यनाश एवं प्रेमी से सदैव विछुड़ जाने या दूर चले जाने से जो दुःख या वेदना उत्पन्न होती है उसे करुण रस कहते हैं।
यधपि वियोग श्रंगार रस में भी दुःख का अनुभव होता है लेकिन वहाँ पर दूर जाने वाले से पुनः मिलन कि आशा बंधी
रहती है।
करुण रस के अवयव (उपकरण) -
  • स्थाई भाव - शोक
  • आलंबन (विभाव) विनष्ट व्यक्ति अथवा वस्तु।
  • उद्दीपन (विभाव) आलम्बन का दाहकर्म, इष्ट के गुण तथा उससे
  • सम्बंधित वस्तुए एवं इष्ट के चित्र का वर्णन ।
  • अनुभाव भूमि पर गिरना, निःश्वास, छाती पीटना, रुदन, प्रलाप,
  • मूर्च्छा, देवनिंदा, कम्प आदि ।
  • संचारी भाव निर्वेद, मोह, अपस्मार, व्याधि, ग्लानि, स्मृति, श्रम,
  • विषाद, जड़ता, दैन्य, उन्माद आदि ।
  • ​मैथिलीशरण गुप्त का करुण रस-

'करुणे, क्यों रोती है? उत्तर में और अधिक तू रोई ।
मेरी विभूति है जो, उसको भवभूति क्यों कहे कोई?|

  • तुलसीदास का करुण रस -

मुख मुखाहि लोचन स्रवहि सोक न हृदय समाइ।
मनहूँ करुन रस कटकई उत्तरी अवध बजाइ।

Additional Information

रस

परिभाषा

उदाहरण

वीर रस

वीर रस जिस प्रसंग अथवा काव्य में वीरता युक्त भाव प्रकट हो , जिसके माध्यम से उत्साह का प्रदर्शन किया गया हो वहां वीर रस होता है। वीर रस शरीर में उत्साह का संचार करते हुए गर्व की अनुभूति कराने में सक्षम है।

फहरी ध्वजा, फड़की भुजा, बलिदान की ज्वाला उठी।

निज जन्मभू के मान में, चढ़ मुण्ड की माला उठी।।

 

शांत रस

शांत रस का स्थायी भाव निर्वेद होता है। शांत रस में तत्व ज्ञान कि प्राप्ति या संसार से वैराग्य मिलने पर, परमात्मा के वास्तविक रूप का ज्ञान प्राप्त होने पर मन को जो शान्ति मिलती है, वहाँ पर शान्त रस की उत्पत्ति होती है।

ए जब मै था तब हरि नाहिं अब हरि है मै नाहिं।

सब अँधियारा मिट गया जब दीपक देख्या माहिं।।

करुण रस

प्रिय वस्तु या इष्ट वस्तु के नाश से जो क्षोभ होता है, उसे शोक कहते हैं। यही शोक नामक स्थायी भाव ज़ब विभाव, अनुभाव और व्यभिचारी भावों के संयोग से रस रूप में परिणत होता है, उसे करुण रस कहते हैं।

” राम राम कही राम कही राम राम कही राम ,

तनु परिहरि रघुवर बिरह राउ गयऊ सुरधाम। 

करुण रस Question 9:

'करुण रस' का स्थायी भाव क्या है? 

  1. हास 
  2. रति 
  3. शोक 
  4. उत्साह 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : शोक 

करुण रस Question 9 Detailed Solution

दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर विकल्प 3 ‘शोक’ है। अन्य विकल्प इसके गलत उत्तर हैं। 

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  • दिए गए विकल्पों में से करुण रस का स्थायी भाव 'शोक' है। 
  • रस

    परिभाषा

    उदाहरण

    करुण रस

    किसी प्रिय व्यक्ति या वस्तु के विनाश या अनिष्ट की आशंका से जो भाव मन में पुष्ट होते हैं।

    करि विलाप सब रोबहिं रानी, महाविपति कीमि जय बखानी। सुनी विलाप दुखद दुख लगा, धीरज छूकर धीरज भागा। 

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काव्य को पढ़ने, सुनने से उत्पन्न होने वाले आनंद की अनुभूति को साहित्य के अंतर्गत रह कहा जाता है। हिंदी में ‘स्थायी भाव’ के आधार पर काव्य में ‘नौ’ रस बताए गए हैं, जो निम्नलिखित हैं:-

 

रस

स्थायी भाव

1.

शृंगार रस

रति

2.

हास्य रस

हास

3.

करुण रस

शोक

4.

रौद्र रस

क्रोध

5.

वीर रस

उत्साह

6.

भयानक रस

भय

7.

वीभत्स रस

जुगुप्सा

8.

अद्भुत रस

विस्मय

9.

शांत रस

निर्वेद

इसके अलावा 2 और रस माने जाते हैं। वे हैं-

10.

वात्सल्य

स्नेह

11.

भक्ति

वैराग्य

करुण रस Question 10:

करूण रस का स्थायी भाव क्या है?

  1. हास्य
  2. उत्साह
  3. भय
  4. इनमें से कोई नहीं।

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : इनमें से कोई नहीं।

करुण रस Question 10 Detailed Solution

करूण रस का स्थायी भाव है- शोक

  • अतः विकल्पों के अनुसार सही उत्तर विकल्प 4 इनमें से कोई नहीं होगा।

Key Pointsकरुण रस-

  • जिस रस के आस्वादन से हृदय में शोक का आविर्भाव हो,उसे करुण रस कहते है।
  • स्थायी भाव- शोक
  • संचारी भाव- मोह,विषाद,अश्रु,अपस्मार,उन्माद आदि।
  • गुण- माधुर्य
  • विरोधी रस- हास्य और शृंगार रस।
  • उदाहरण-
    • हाय राम कैसे झेलें हम पनी लज्जा अपना शोक।
      गया हमारे ही हाथों से अपना राष्ट्र पिता परलोक॥

Important Pointsरस के प्रकार हैं-

रस स्थाई भाव
शृंगार रस रति
हास्य रस हास
रौद्र रस क्रोध
वीर रस उत्साह
अद्भुत रस विस्मय
वीभत्स रस जुगुप्सा
शांत रस निर्वेद
वात्सल्य रस वत्सलता

Additional Informationरस-

  • आचार्य भरतमुनि के अनुसार-
    • विभाव, अनुभाव और व्यभिचारी भाव के संयोग से रस की निष्पत्ति होती है।
  • रस के चार अंग हैं-
    • स्थायी भाव
    • विभाव
    • अनुभाव
    • व्यभिचारी/संचारी भाव
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