नाटक MCQ Quiz in தமிழ் - Objective Question with Answer for नाटक - இலவச PDF ஐப் பதிவிறக்கவும்
Last updated on Mar 24, 2025
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नाटक Question 1:
'भारत दुर्दशा' नाटक के संबंध में निम्नलिखित बातों पर विचार कीजिए:
A. 'भारत के भुजबल जग रक्षित। भारत विद्या लहि जग सिच्छित' - यह पँक्ति नाटक के पाँचवे अंक की है।
B. 'भारत दुर्दशा' नाटक का प्रकाशन सन् 1880 ई. में हुआ।
C. इसके पाँचवे अंक का स्थान 'गंभीर वन का मध्यभाग' है।
D. 'जागो जागो रे भाई' गीत को राग चैती गोरी में प्रस्तुत करने का निर्देश नाटककार द्वारा दिया गया है।
E. ' भारत दुर्दशा' नाटक को भारतेन्दु हरिश्चंद्र ने 'नाट्यरासक' की संज्ञा दी है।
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर का चयन कीजिए:
Answer (Detailed Solution Below)
नाटक Question 1 Detailed Solution
'भारत दुर्दशा' नाटक के संबंध में सही बातें हैं-
- B. 'भारत दुर्दशा' नाटक का प्रकाशन सन् 1880 ई. में हुआ।
- D. 'जागो जागो रे भाई' गीत को राग चैती गोरी में प्रस्तुत करने का निर्देश नाटककार द्वारा दिया गया है।
- E. 'भारत दुर्दशा' नाटक को भारतेन्दु हरिश्चंद्र ने 'नाट्यरासक' की संज्ञा दी है।
Key Pointsसही है-
- A. 'भारत के भुजबल जग रक्षित। भारत विद्या लहि जग सिच्छित' - यह पँक्ति नाटक के छठा अंक की है।
-
C. इसके पाँचवे अंक का स्थान 'किताबखाना' है।
Important Pointsभारत दुर्दशा-
- रचनाकार- भारतेन्दु
- विधा- नाटक
- प्रकाशन वर्ष- 1880ई.
- पात्र-
- भारत भाग्य,भारत दुर्दैव,अंधकार,डिसलॉयल्टी,मदिरा,रिपोर्टर,आलस्य आदि।
- विषय-
- 6 अंकों का नाट्य रासक है।
- भारत की दुर्दशा को चित्रित किया गया है।
- अंग्रेजी शासन व्यवस्था पर व्यंग किया गया है।
- मनोभावों का मानवीकरण किया गया है।
Additional Informationभारतेन्दु हरिश्चंद्र-
- जन्म- 1850-1885ई.
- हिन्दी के प्रमुख नाटककार के रूप में विख्यात है।
- मौलिक नाटक-
- वैदिकी हिंसा हिंसा न भवति(1873ई.)
- चंद्रावली(1876ई.)
- नील देवी(1881ई.)
- सती प्रताप(1883ई.) आदि।
- अनूदित नाटक-
- रत्नावली(1868ई.)
- विद्यासुंदर(1868ई.)
- पाखंड विडंबन(1872ई.)
- धनंजय विजय(1873ई.)
- मुद्रा राक्षस(1878ई.) आदि।
नाटक Question 2:
रचनाकाल के अनुसार भारतेन्दु के नाटकों का सही क्रम है -
Answer (Detailed Solution Below)
नाटक Question 2 Detailed Solution
रचनाकाल के अनुसार भारतेन्दु के नाटकों का सही क्रम है -
नाटक | रचनाकाल |
भारत दुर्दशा | 1880 ई. |
नीलदेवी | 1881 ई. |
अंधेर नगरी | 1881 ई. |
सती प्रताप | 1883 ई. |
Key Pointsकुछ तथ्य-
नाटक | नाट्य प्रकार |
भारत दुर्दशा | रासक |
नीलदेवी | गीतिरूपक |
अंधेर नगरी | प्रहसन |
सती प्रताप | पौराणिक नाटक |
Important Pointsभारत दुर्दशा-
- विषय-
- भारत की तत्कालीन राजनीतिक व सामाजिक दुर्दशा का प्रतीकात्मक चित्रण किया गया है।
नीलदेवी-
- विषय-
- मुगलकालीन शासन की पृष्ठभूमि में नारी-जाति की वीरता व् औजिस्विता का वर्णन किया गया है।
अंधेर नगरी-
- विषय-
- तत्कालीन समय में सत्ता की विसंगतियों,मूर्खताओं और उससे उत्पन्न परिस्थितियों का व्यंग्यात्मक चित्रण किया गया है।
सती प्रताप-
- विषय-
- सावित्री-सत्यवान के महत्तवपूर्ण जीवन पर आधारित नाटक है।
Additional Informationभारतेंदु हरिश्चंद्र-
- खड़ी बोली में हिंदी नाटक लिखने का श्रय इन्हें ही जाता है।
- अन्य नाटक-
- वैदिकी हिंसा हिंसा न भवति(1873 ई.),प्रेम जोगिनी(1875 ई.),चन्द्रावली(1876 ई.) आदि।
नाटक Question 3:
कालिदास और मल्लिका से सम्बन्धित नाटक है:-
Answer (Detailed Solution Below)
नाटक Question 3 Detailed Solution
"आषाढ़ का एक दिन", "कालिदास और मल्लिका" से संबंधित नाटक है। उपयुक्त विकल्पों में से विकल्प (2) आषाढ़ का एक दिन सही है तथा अन्य विकल्प असंगत हैं।
- आषाढ़ का एक दिन (1958) मोहन राकेश का नाटक है।
- प्रमुख पात्र:- अंबिका, मल्लिका, कालिदास, निक्षेप, विलोम, दन्तुल, अतुल, रंगिणी, संगिनी, अनुस्वार, अनुनासिक, प्रियंगु मंजरी
Important Points
- मोहन राकेश :- (8जनवरी1925 - 3 जनवरी 1972)
- मोहन राकेश के उपन्यास :-
- अंधेरे बंद कमरे
- अन्तराल
- न आने वाला कल
- मोहन राकेश के नाटक:-
- आषाढ़ का एक दिन (1958)
- लहरों के राजहंस (1963)
- आधे अधूरे (1969)
- पैैैर तले की जमीन (अधूरा, कमलेश्वर ने पूरा किया)
- सम्मान:- संगीत नाटक सम्मान (1972)
- बकरी (1974) सर्वेश्वर दयाल सक्सेना का नाटक है।
- शंकर शेष का एक और द्रोणाचार्य नाटक 1972 में प्रकाशित हुआ।
नाटक Question 4:
अंधा युग नाटक का नायक कौन है?
Answer (Detailed Solution Below)
नाटक Question 4 Detailed Solution
"अश्वत्थामा", "अंधा युग नाटक" के नायक हैं। अतः उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प (4) अश्वत्थामा सही है तथा अन्य विकल्प असंगत है।
- अंधा युग नाटक धर्मवीर भारती का नाटक है।
- इसका रचना वर्ष 1955 ईस्वी है।
- प्रमुख पात्र:- अश्वत्थामा, धृतराष्ट्र, कृतवर्मा, संजय, वृद्धयाचक, व्यास, कृष्ण, युधिष्ठिर, विदुर, कृपाचार्य, युयुत्सु, गूंगा, भिखारी, बलराम।
- धर्मवीर भारती (25 दिसंबर, 1926- 4 सितंबर,1997) आधुनिक हिन्दी साहित्य के प्रमुख लेखक, कवि, नाटककार और सामाजिक विचारक थे।
- साप्ताहिक पत्रिका धर्मयुग के प्रधान संपादक भी थे।
- डॉ धर्मवीर भारती को1972 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया।
- उनका उपन्यास गुनाहों का देवता सदाबहार रचना मानी जाती है।
नाटक Question 5:
'अंधेर नगरी' के आधार पर कहा जा सकता है कि भारतेन्दु की साहित्य - संबंधी अवधारणा है
Answer (Detailed Solution Below)
नाटक Question 5 Detailed Solution
'अंधेर नगरी' के आधार पर कहा जा सकता है कि भारतेन्दु की साहित्य संबंधी अवधारणा है-साहित्य की सामाजिक भूमिका होती है।
Key Points'अंधेर नगरी' -
- प्रकाशन वर्ष-1881ई.
- विधा-नाटक
- रचनाकार-भारतेंदु हरिश्चंद्र
- पात्र-महंत, गोवर्धनदास, नारायण दास, कबाबवाला,घासीवाला आदि।
- यह नाटक छह दृश्यों में विभक्त है।
Additional Informationभारतेंदु हरिश्चंद्र-
- जन्म-1850-1885ई.
- भारतेंदु हरिश्चंद्र आधुनिक हिंदी के पितामह कहे जाते हैं।
- प्रमुख रचनाएँ-
- विद्यासुंदर-1868ई.
- पाखंड विडंबन-1872ई.
- वैदिकी हिंसा हिंसा न भवति -1873ई.
- सत्य हरिश्चन्द्र-1874ई.
- विषस्य विषमौषधम्-1876ई.
- भारत दुर्दशा-1880ई.
- नीलदेवी-1881ई. आदि।
नाटक Question 6:
'चन्द्रगुप्त' नाटक का रचना काल क्या है?
Answer (Detailed Solution Below)
नाटक Question 6 Detailed Solution
चंद्रगुप्त नाटक का रचना काल '1931' ई. हैं।
Key Points
- चंद्रगुप्त नाटक के लेखक जयशंकर प्रसाद (जन्म 1889ई.) है।
इस नाटक का विषय-
- ऐतिहासिक घटनाओं पर आधारित है।
- अलक्षेंद्र का आक्रमण, नंद कुल का विनाश,
- सिल्यूकस का पराभाव
- चंद्रगुप्त की प्रतिष्ठा के आधार पर निर्मित है।
इसके प्रमुख पात्रः-
- चंद्रगुप्त, चाणक्य, शकटार, सिहरण, आम्भीक, राक्षस -पुरुष पात्र
- कार्नेलिया, कल्याणी, एलिस, मालविका, अलका, सुवासिनी - स्त्री पात्र
Additional Informationजयशंकर प्रसाद के नाटक क्रमनुसारः-
नाटक | सज्जन (1910), कल्याणी परिणय (1912), करुणालय(1912), प्रयश्चित(1913), राज्यश्री (1915), विशाख (1921), अजातशत्रु (1922), जनमेजय का नागज्ञ (1926), कामना (1927), स्कंदगुप्त (1928), एक घुँट(1930), चंद्रगुप्त (1931), ध्रुवस्वामिनी (1933)। |
नाटक Question 7:
नारी समस्या का चित्रण प्रसाद के किस नाटक में है:-
Answer (Detailed Solution Below)
नाटक Question 7 Detailed Solution
"ध्रुवस्वामिनी" में नारी समस्या का चित्रण किया गया है। अतः उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प (4) ध्रुवस्वामिनी सही है तथा अन्य विकल्प असंगत है।
- ध्रुवस्वामिनी का प्रकाशन 1933 में हुआ।
- नाटक में नारी के अस्तित्व, अधिकार, और पुनर्लगन, की समस्या को उठाया है।
- इस नाटक में पुरुष सत्तात्मक समाज के शोषण के प्रति नारी का विद्रोह है।
- इसके रचनाकार जयशंकर प्रसाद है।
- प्रमुख पात्र:-
- नारी पात्र:- ध्रुवस्वामिनी, मंदाकिनी, कोमा
- पुरुष पात्र:- चंद्रगुप्त, रामगुप्त, शिखर, स्वामी, पुरोहित, शकराज, खिंगल, मिहिरदेव
जयशंकर प्रसाद के नाटक एवं एकांकी निम्नलिखित है:-
नाटक Question 8:
नारी का आकर्षण पुरुष को पुरुष बनाता है, तो उसका अपकर्षण उसे गौतम बुद्ध बना देता है।' - ये संवाद - अंश किस नाटक का है ?
Answer (Detailed Solution Below)
नाटक Question 8 Detailed Solution
ये संवाद-1)लहरों के राजहंस नाटक का है।
Important Points
- लहरों के राजहंस नाटक कवि मोहन राकेश का है।
- इनका जन्म 8 जनवरी 1925 को अमृतसर में हुआ था।
- 1950 दशक के हिंदी साहित्य पत्रिका में नई कहानी आंदोलन के साहित्यकार थे।
- प्रमुख नाटकों में-आषाढ़ का एक दिन,लहरों के राजहंस और आधे अधूरे आदि मोहन राकेश की कुछ प्रमुख कृतियाँ है।
- इन्हें संगीत नाटक अकादमी द्वारा सम्मानित किया गया था।
Additional Information
- 1968 में लहरों के राजहंस का एक संशोधित परिवर्तित नया रूप प्रकाशित हुआ था।
- इसकी विषयवस्तु में पर्याप्त सघनता, एकाग्रता और संगति नहीं है।
- आषाढ़ का एक दिन(1958) मोहन राकेश द्वारा रचित नाटक है।
- ध्रुवस्वामिनी(1933) और स्कन्दगुप्त(1928) नाटक जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित है।
Hint
- यह कथन सुंदरी पात्र का है।
- सुंदरी संसार का प्रतीक है।
- सुंदरी द्वारा अभिजात वर्ग का सर्वंगीण सौन्द्रर्य ही उसके व्यक्तित्व का प्रमुख आकर्षण है।
नाटक Question 9:
भारतेन्दु द्वारा रचित मौलिक नाटक कौन सा है?
Answer (Detailed Solution Below)
नाटक Question 9 Detailed Solution
- अंधेर नगरी - 1881 भारतेंदु जी का मौलिक नाटक है।
- इस प्रहसन में राजा की मूर्खता, अन्याय, और अंधेरगर्दी पर व्यंग्य है।
- राजनीतिक व्यंग्य का अच्छा उदाहरणI
- भारतेंदु के समस्त मौलिक एवं अनूदित नाटकों की संख्या - 17
- भारतेंदु को ही हिंदी साहित्य में नाट्य विधा का प्रवर्तक माना जाता हैI
- अंधेर नगरी, भारत - जननी, नील देवी, भारत दुर्दशा की रचना देश वस्त्सलता के उद्देश्य से की।
Additional Information
- भारतेंदु के मौलिक नाटक
- विषस्य विषमौषधम - 1876 (भाण -एक पात्रीय नाटक)
- प्रेम जोगिनी - 1875 (4 अंकों की नाटिका)
- चंद्रावली - 1876 (नाटिक)
- भारत दुर्दशा - 1880 (नाट्य रूपक)
- नीलदेवी - 1881 (गीतिरूपक)
- अंधेर नगरी - 1881 (प्रहसन)
- सती प्रताप (यह नाटक अधूरा रहा जिसे राधा कृष्णदास ने पूरा किया) - 1883 (पौराणिक नाटक)
Key Points
- अन्य विकल्प
- मुद्रा राक्षस : मुद्रा राक्षस (1878), संस्कृत के विख्यात नाटककार विशाखदत्त के मुद्राराक्षस का अनुवाद -- भारतेंदु
- विद्या सुंदर :विद्या सुन्दर (1868), बंगला से छायानुवाद -- भारतेंदु
- भारत जननी : भारत जननी (1877), बंगला नाटक ‘भारतमाता’ का भारतेन्दु जी के मित्र ने अनुवाद किया था जिसे उन्होंने संशोधित किया।
नाटक Question 10:
निम्नलिखित में से कौन - सा नाटक उदयशंकर भट्ट का नहीं है ?
Answer (Detailed Solution Below)
नाटक Question 10 Detailed Solution
- नारद की वीणा नाटक उदयशंकर भट्ट का नहीं हैI
- यह लक्ष्मी नारायण मिश्र द्वारा रचित हैI यह नाटक 1946 में लिखा गया थाI
Key Points
- उदयशंकर भट्ट के नाटक विश्वामित्र, मत्स्यगंधा और राधा हैंI
- इनके उपन्यास 'सागर, लहरें और मनुष्य', 'शेष-अशेष' भी लोकप्रिय हैंI
Additional Information
- लक्ष्मी नारायण मिश्र हिन्दी के प्रसिद्ध नाटककार थे इन्होने 100 के लगभग एकांकी और 25 के लगभग नाटकों का सृजन किया हैI
- इनके नाटकों और एकांकी का स्वर `पौराणिक, ऐतिहासिक, तथा मनोवैज्ञानिक हैI
- 'सन्यासी', 'राक्षस का मंदिर', 'नारद की वीणा', 'वितस्ता की लहरें', 'मुक्ति का रहस्य', 'सिन्दूर की होली', आदि इनके प्रमुख नाटक हैंI