Question
Download Solution PDFयदि हम एक प्रेरित्र में धारा बढ़ाते हैं तो प्रेरित्र का स्व-प्रेरकत्व __________।
Answer (Detailed Solution Below)
Detailed Solution
Download Solution PDFअवधारणा:
स्व-प्रेरण:
- जब भी किसी कुंडली से गुजरने वाली विद्युत धारा बदलती है, तो उससे जुड़ा चुंबकीय प्रवाह भी बदल जाएगा।
- फैराडे के विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के नियमों के अनुसार, कुंडली में एक emf प्रेरित होता है जो उस परिवर्तन का विरोध करता है जिस से यह निर्मित होता है।
- इस परिघटना को 'स्व-प्रेरण' कहा जाता है और प्रेरित emf को पश्च emf कहा जाता है, इसलिए कुंडली में निर्मित धारा को प्रेरित धारा कहा जाता है।
- परिनालिका का स्व-प्रेरण इस प्रकार है-
\(L = \frac{{{μ _o}{N^2}A}}{l}\)
व्याख्या:
- परिनालिका का स्व-प्रेरण इस प्रकार है-
उपरोक्त समीकरण से यह स्पष्ट है कि कुंडली का स्व-प्रेरकत्व इससे गुजरने वाली धारा की मात्रा के व्युत्क्रमानुपाती होता है अर्थात,
\(\Rightarrow L \propto {1 \over l}\)
- उपरोक्त समीकरण से, यह स्पष्ट है कि एक सोलनॉइड का स्व-प्रेरकत्व कोर वस्तु की ज्यामिति और चुंबकीय पारगम्यता पर निर्भर करता है।
- यह धारा से स्वतंत्र है, इसलिए यदि हम एक प्रारंभ करनेवाला में धारा बढ़ाते हैं, तो प्रारंभ करनेवाला के स्व-प्रेरकत्व में कोई परिवर्तन नहीं होगा। अतः सही उत्तर विकल्प 3 है।
Last updated on Jul 4, 2025
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