दो परिनालिका S1 और S2 की लंबाई समान है जो कि 2 m है और परिनालिका S1 को परिनालिका  S2 के अंदर सह-अक्षीय रूप से रखा गया है। दोनों परिनालिकाओं की प्रति इकाई लंबाई में फेरों की संख्या 100 है। परिनालिका S1 और S2 की त्रिज्या क्रमशः 7 cm और14 cm है, तो अन्योन्य प्रेरकत्व ज्ञात कीजिए ?

  1. 9.68×10-5 H
  2. 8.48×10-5 H
  3. 9.68×10-7 H
  4. इनमें से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : 9.68×10-5 H

Detailed Solution

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अवधारणा:

अन्योन्य प्रेरकत्व

  • जब दो कुण्डलियाँ एक दूसरे के समीप लायी जाती हैं तो एक कुण्डली का चुंबकीय क्षेत्र दूसरे से जुड़ने की प्रवृत्ति रखता है। यदि पहली कुंडली के इस चुंबकीय क्षेत्र को बदल दिया जाता है तो दूसरी कुंडली से जुड़े चुंबकीय अभिवाह में परिवर्तन होता है और इससे दूसरी कुंडली में वोल्टेज उत्पन्न होता है।
  • कुंडली का यह गुण जो द्वितीयक कुंडली में धारा और वोल्टेज को प्रभावित करता है या बदल देता है, अन्योन्य प्रेरकत्व कहलाता है।
  • अन्योन्य प्रेरकत्व की SI इकाई हेनरी है।
  • मान लीजिए N1 और N2 फेरों की संख्या वाली दो कुण्डलियाँ एक-दूसरे के पास रखी गई हैं। फिर कुंडली 2 के संबंध में कुंडली 1 का अन्योन्य प्रेरकत्व इस प्रकार होगा-

जहाँ N1 = कुंडली 1 में फेरों की संख्या, ϕ1 =कुंडली 1 से जुडा अभिवाह, और  I2 कुंडली 2 में धारा

दो समाक्षीय रूप से रखी परिनालिका के लिए अन्योन्य प्रेरकत्व है:

  • मान लीजिए कि समान लंबाई की दो परिनालिका S1 और S2 को समाक्षीय रूप से रखा गया है जैसा कि आकृति में दिखाया गया है।
  • परिनालिका S1 को परिनालिका S2 के अंदर रखा गया है।
  • दोनों परिनालिका का अन्योन्य प्रेरकत्व समान होगा और यह इस प्रकार दिया गया है,

μr, की सापेक्ष पारगम्यता वाले माध्यम के लिए

जहाँ n1 = कुंडली 1 की प्रति इकाई लंबाई में फेरों की संख्या , n2 = परिनालिका 2  की प्रति इकाई लंबाई में फेरों की संख्या, r1 =आंतरिक परिनालिका की त्रिज्या, और l = दोनों परिनालिका की लंबाई

व्याख्या:

दिया गया है:

l = 2 m, n1 = n2 = 100, r1 = 7 cm = 7×10-2 m, और r2 = 14 cm = 14×10-2 m

  • हम जानते हैं कि यदि समान लंबाई के दो परिनालिकाएं हों और एक परिनालिका को दूसरे परिनालिका के अंदर समाक्षीय रूप से रखा जाए तो परिनालिका 2 के संबंध में परिनालिका 1 का अन्योन्य प्रेरकत्व परिनालिका 1 के संबंध में परिनालिका 2 के अन्योन्य प्रेरकत्व के बराबर होगा।
  • दोनों परिनालिका का अन्योन्य प्रेरकत्व इस प्रकार दिया गया है,

     -----(1)

जहाँ n1 = कुंडली 1 की प्रति इकाई लंबाई में फेरों की संख्या , n2 = परिनालिका 2  की प्रति इकाई लंबाई में फेरों की संख्या, r1 =आंतरिक परिनालिका की त्रिज्या, और l = दोनों परिनालिका की लंबाई

समीकरण 1 द्वारा दोनों परिनालिका अन्योन्य प्रेरकत्व इस प्रकार दिया गया है,

     -----(2)

हम जानते हैं कि,

     -----(3)

समीकरण 2 और समीकरण 3 से,

⇒ M = 9.68×10-5 H

  • अतः विकल्प 1 सही है।

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