Question
Download Solution PDF___ साहित्य शास्त्र में काव्य शोभा के जनक हैं।
Answer (Detailed Solution Below)
Detailed Solution
Download Solution PDFअत: सही उत्तर विकल्प 3 'गुण' है। अन्य विकल्प असंगत हैं।
Key Points
- गुण साहित्य शास्त्र में काव्य शोभा के जनक हैं।
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शब्द और अर्थ के शोभाकारक धर्म को गुण कहा जाता है।
अन्य विकल्प -
- शब्द शक्ति - शब्द को सुनते ही अथवा पढ़ते ही श्रोता या पाठक उसके सबसे सरल, प्रचलित अर्थ को बिना अवरोध के ग्रहण करता है, वह अभिधा शब्द शक्ति, कहलाती है।
- छंद - छंद शब्द 'चद्' धातु से बना है जिसका अर्थ है 'आह्लादित करना', 'खुश करना'। यह आह्लाद वर्ण या मात्रा की नियमित संख्या के विन्यास से उत्पन्न होता है। 'वर्णों या मात्राओं के नियमित संख्या के विन्यास से यदि आह्लाद पैदा हो, तो उसे छंद कहते हैं'।
- रस - रस का शाब्दिक अर्थ है 'आनन्द'। काव्य को पढ़ने या सुनने से जिस आनन्द की अनुभूति होती है, उसे रस कहा जाता है।
Additional Information
काव्य गुण - जिस प्रकार मनुष्य के शरीर में शूरवीरता, सच्चरित्रता, उदारता, करुणा, परोपकार आदि मानवीय गुण होते हैं, ठीक उसी प्रकार काव्य में भी प्रसाद, ओज, माधुर्य आदि गुण होते हैं। अतएव जैसे चारित्रिक गणों के कारण मनुष्य की शोभा बढ़ती है वैसे ही काव्य में भी इन गुणों का संचार होने से उसके आत्मतत्त्व या रस में दिव्य चमक सी आ जाती है। यह मुख्य रूप से तीन होते हैं - |
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गुण का नाम |
परिभाषा |
प्रसाद गुण |
ऐसी काव्य रचना जिसको पढ़ते ही अर्थ ग्रहण हो जाता है, वह प्रसाद गुण से युक्त मानी जाती है। अर्थात् जब बिना किसी विशेष प्रयास के काव्य का अर्थ स्वतः ही स्पष्ट हो जाता है, उसे प्रसाद गुण युक्त काव्य कहते है। |
ओज गुण |
ऐसी काव्य रचना जिसको पढ़ने से चित्त में जोश, वीरता, उल्लास आदि की भावना उत्पन्न हो जाती है, वह ओजगुणयुक्त काव्य रचना मानी जाती है। |
माधुर्य गुण |
हृदय को आनन्द उल्लास से द्रवित करने वाली कोमल कांत पदावली से युक्त रचना माधुर्य गुण सम्पन्न होती है। अर्थात् ऐसी काव्य रचना जिसको पढ़कर चित्त में श्रृंगार, करुणा या शांति के भाव उत्पन्न होते हैं, वह माधुर्य गुणयुक्त रचना मानी जाती है। |
Last updated on Feb 6, 2025
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