व्यतिरेक MCQ Quiz - Objective Question with Answer for व्यतिरेक - Download Free PDF
Last updated on Jun 17, 2025
Latest व्यतिरेक MCQ Objective Questions
व्यतिरेक Question 1:
किस अलंकार में उपमान की अपेक्षा उपमेय को काफी बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया जाता है?
Answer (Detailed Solution Below)
व्यतिरेक Question 1 Detailed Solution
- व्यतिरेक अलंकार में उपमान की अपेक्षा उपमेय को काफी बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया जाता है।
- ‘व्यतिरेक’ का शाब्दिक अर्थ है- ‘आधिक्य’।
Key Pointsव्यतिरेक अलंकार के उदाहरण:
- का सरवरि तेहिं देउं मयंकू।
चांद कलंकी वह निकलंकू।।
स्पष्टीकरण:
- मुख की समानता चन्द्रमा से कैसे दूँ? चन्द्रमा में तो कलंक है, जबकि मुख निष्कलंक है।
कारण सहित उपमेय की श्रेष्ठता बताने से यहाँ व्यतिरेक अलंकार है।
अन्य विकल्प :
- अतिश्योक्ति अलंकार: जब किसी बात का वर्णन बहुत बढ़ा-चढ़ाकर किया जाए तब वहां अतिश्योक्ति अलंकार होता है।
-
जैसे :
आगे नदियाँ पड़ी अपार, घोडा कैसे उतरे पार।
राणा ने सोचा इस पार , तब तक चेतक था उस पार। - स्पष्टीकरण:
यहाँ चेतक की शक्तियों व स्फूर्ति का बहुत बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन किया गया है। अत: यहाँ पर अतिशयोक्ति अलंकार होगा।
-
- रूपक अलंकार : जब उपमान और उपमेय में अभिन्नता या अभेद दिखाया जाए तब यह रूपक अलंकार कहलाता है।
- जैसे:
मैया मैं तो चन्द्र-खिलौना लैहों। -
स्पष्टीकरण:
यहाँ चन्द्रमा एवं खिलोने में समानता न दिखाकर चाँद को ही खिलौना बोल दिया गया है। अत: यह रूपक अलंकार होगा।
- जैसे:
- संदेह अलंकार: जब उपमेय और उपमान में समता देखकर यह निश्चय नहीं हो पाता कि उपमान वास्तव में उपमेय है या नहीं।
जब यह दुविधा बनती है, तब संदेह अलंकार होता है।- जैसे:
सारी बीच नारी है कि नारी बीच सारी है।
सारी ही की नारी है कि नारी की ही सारी है। - स्पष्टीकरण:
साड़ी बीच नारी है या नारी के बीच साड़ी है इसका निश्चय नहीं हो पाने के कारण संदेह अलंकार है।
- जैसे:
Additional Informationअलंकार:
- अलंकार, कविता के सौन्दर्य को बढ़ाने वाले तत्व होते हैं। जिस प्रकार आभूषण से नारी का लावण्य बढ़ जाता है,
उसी प्रका अलंकार से कविता की शोभा बढ़ जाती है। - शब्द तथा अर्थ की जिस विशेषता से काव्य का श्रृंगार होता है उसे ही अलंकार कहते हैं।
- अनुप्रास, उपमा, रूपक, अनन्वय, यमक, श्लेष, उत्प्रेक्षा, संदेह, अतिश्योक्ति, वक्रोक्ति आदि प्रमुख अलंकार हैं। इसके अलावा अन्य अलंकार भी हैं।
व्यतिरेक Question 2:
'मिलि चंदन-बेंदी रही, गौंरें मुँह न लखाइ ।
ज्यों-ज्यों मद-लाली चढ़े, त्यों-त्यों उघरति जाइ ।।' -
इस दोहे में प्रयुक्त अलंकार है-
Answer (Detailed Solution Below)
व्यतिरेक Question 2 Detailed Solution
'मिलि चंदन-बेंदी रही, गौंरें मुँह न लखाइ ।
ज्यों-ज्यों मद-लाली चढ़े, त्यों-त्यों उघरति जाइ ।।' -
इस दोहे में प्रयुक्त अलंकार है- व्यतिरेक अलंकार
Key Points
- यहाँ व्यतिरेक अलंकार स्पष्ट होता है क्योंकि सफेद और लाल का विरोधाभास प्रस्तुत किया गया है।
- चंदन और बेंदी की सफेदी और मद की लालिमा के बीच तुलना की गई है, और इसी तुलना से व्यतिरेक (अंतर) का बोध होता है।
- व्यतिरेक अलंकार एक ऐसा अलंकार है जहाँ उपमेय को उपमान से किसी विशिष्ट गुण या विशेषता में श्रेष्ठ बताया जाता है,
- अर्थात उपमेय की श्रेष्ठता को स्पष्ट करने के लिए उपमान की कमी या निर्बलता का उल्लेख किया जाता है।
- हिंदी साहित्य में, व्यतिरेक अलंकार को "अतिशय उत्कृष्ट" अलंकार के रूप में भी जाना जाता है।
उदाहरण:
- "साधु ऊँचे शैल सम, किंतु प्रकृति सुकुमार।"
- (यहाँ सज्जनों को पर्वतों के समान ऊँचा बताया गया है,
- लेकिन उनकी कोमल प्रकृति को विशेष रूप से उजागर किया गया है, जबकि पर्वत कठोर होते हैं।)
Additional Informationतद्गुण अलंकार-
- एक ऐसा अलंकार है जिसमें प्रस्तुत वस्तु, किसी अप्रस्तुत वस्तु के गुण को ग्रहण कर लेती है।
- यह तब होता है जब कोई वस्तु अपने वास्तविक रूप को छिपाकर,
- किसी समीपस्थ विशेष गुणवाले पदार्थ के प्रभाव से प्रभावित हो जाती है और उसी के समान दिखती है।
उदाहरण:
- "बादल में बिजली चमक रही थी, जैसे कि उसकी आंखें चमक रही हों।"
- (यहाँ बादल की आंखें अप्रस्तुत हैं, और बिजली की चमक प्रस्तुत, जो बादलों के गुण को ग्रहण कर रही है।)
उन्मीलित अलंकार-
- कोई वस्तु अपने जैसे किसी अन्य वस्तु में इतनी अच्छी तरह से मिल जाती है कि उसका अलग अस्तित्व नहीं रह जाता।
उदाहरण:
- "अरुण वरन तिय चरन पर जावक लख्यो न जाय।"
- (नायिका के लाल चरण में लाख्यारस लगा है, लेकिन वह चरण के रंग में इस तरह मिल गया है कि अलग दिखाई नहीं देता।)
परिसंख्या अलंकार-
- एक अर्थालंकार है, जहाँ एक ही वस्तु के कई स्थानों में होने के बावजूद, उसे केवल एक स्थान पर ही वर्णित किया जाता है और अन्य स्थानों पर उसका निषेध किया जाता है।
उदाहरण:
- राम के राज्य में वक्रता केवल सुन्दरियों के कटाक्ष में थी।
व्यतिरेक Question 3:
सिय मुख सरद - कमल जिमि किमि कहि जाय।
निसि मलीन वह, निसि दिन यह विगसाय ।।
उपर्युक्त पंक्तियों में कौन सा अलंकार है?
Answer (Detailed Solution Below)
व्यतिरेक Question 3 Detailed Solution
सिय मुख सरद - कमल जिमि किमि कहि जाय।
निसि मलीन वह, निसि दिन यह विगसाय ।।
उपर्युक्त पंक्तियों में अलंकार है - व्यतिरेक
Key Points
- (यहाँ शरद कमल (उपमेय) तो रात्रि में मुरझा जाता है किन्तु सीता का मुख (उपमान) दिन-रात खिला रहता है, अतः उपमेय की उत्कृष्टता होने से यहाँ व्यतिरेक अलंकार है।)
- जब उपमेय में उपमान की तुलना में कोई अच्छी या बुरी बात अधिक बताई जाय अर्थात जब उपमेय को उपमान से किसी बात में बढ़कर बताया जाय, वहाँ व्यतिरेक अलंकार होता है।
उदाहरण -
- सम सुबरन सुखमाकर सुखद न थोर।
- सीय अंग सखि कोमल कनक कठोर।।
- (यहाँ उपमेय (सीय अंग) को कोमल तथा उपमान (कनक) को कठोर बताया गया है।)
Additional Information
प्रतीप -
उदाहरण -
रूपक-
उदाहरण -
अनन्वय -
उदाहरण -
|
व्यतिरेक Question 4:
सिय मुख सरद - कमल जिमि किमि कहि जाय।
निसि मलीन वह, निसि दिन यह विगसाय ।।
उपर्युक्त पंक्तियों में कौन सा अलंकार है?
Answer (Detailed Solution Below)
व्यतिरेक Question 4 Detailed Solution
सिय मुख सरद - कमल जिमि किमि कहि जाय।
निसि मलीन वह, निसि दिन यह विगसाय ।।
उपर्युक्त पंक्तियों में अलंकार है - व्यतिरेक
Key Points
- (यहाँ शरद कमल (उपमेय) तो रात्रि में मुरझा जाता है किन्तु सीता का मुख (उपमान) दिन-रात खिला रहता है, अतः उपमेय की उत्कृष्टता होने से यहाँ व्यतिरेक अलंकार है।)
- जब उपमेय में उपमान की तुलना में कोई अच्छी या बुरी बात अधिक बताई जाय अर्थात जब उपमेय को उपमान से किसी बात में बढ़कर बताया जाय, वहाँ व्यतिरेक अलंकार होता है।
उदाहरण -
- सम सुबरन सुखमाकर सुखद न थोर।
- सीय अंग सखि कोमल कनक कठोर।।
- (यहाँ उपमेय (सीय अंग) को कोमल तथा उपमान (कनक) को कठोर बताया गया है।)
Additional Information
प्रतीप -
उदाहरण -
रूपक-
उदाहरण -
अनन्वय -
उदाहरण -
|
व्यतिरेक Question 5:
किस अलंकार में उपमान की अपेक्षा उपमेय को काफी बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया जाता है?
Answer (Detailed Solution Below)
व्यतिरेक Question 5 Detailed Solution
- व्यतिरेक अलंकार में उपमान की अपेक्षा उपमेय को काफी बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया जाता है।
- ‘व्यतिरेक’ का शाब्दिक अर्थ है- ‘आधिक्य’।
Key Pointsव्यतिरेक अलंकार के उदाहरण:
- का सरवरि तेहिं देउं मयंकू।
चांद कलंकी वह निकलंकू।।
स्पष्टीकरण:
- मुख की समानता चन्द्रमा से कैसे दूँ? चन्द्रमा में तो कलंक है, जबकि मुख निष्कलंक है।
कारण सहित उपमेय की श्रेष्ठता बताने से यहाँ व्यतिरेक अलंकार है।
अन्य विकल्प :
- अतिश्योक्ति अलंकार: जब किसी बात का वर्णन बहुत बढ़ा-चढ़ाकर किया जाए तब वहां अतिश्योक्ति अलंकार होता है।
-
जैसे :
आगे नदियाँ पड़ी अपार, घोडा कैसे उतरे पार।
राणा ने सोचा इस पार , तब तक चेतक था उस पार। - स्पष्टीकरण:
यहाँ चेतक की शक्तियों व स्फूर्ति का बहुत बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन किया गया है। अत: यहाँ पर अतिशयोक्ति अलंकार होगा।
-
- रूपक अलंकार : जब उपमान और उपमेय में अभिन्नता या अभेद दिखाया जाए तब यह रूपक अलंकार कहलाता है।
- जैसे:
मैया मैं तो चन्द्र-खिलौना लैहों। -
स्पष्टीकरण:
यहाँ चन्द्रमा एवं खिलोने में समानता न दिखाकर चाँद को ही खिलौना बोल दिया गया है। अत: यह रूपक अलंकार होगा।
- जैसे:
- संदेह अलंकार: जब उपमेय और उपमान में समता देखकर यह निश्चय नहीं हो पाता कि उपमान वास्तव में उपमेय है या नहीं।
जब यह दुविधा बनती है, तब संदेह अलंकार होता है।- जैसे:
सारी बीच नारी है कि नारी बीच सारी है।
सारी ही की नारी है कि नारी की ही सारी है। - स्पष्टीकरण:
साड़ी बीच नारी है या नारी के बीच साड़ी है इसका निश्चय नहीं हो पाने के कारण संदेह अलंकार है।
- जैसे:
Additional Informationअलंकार:
- अलंकार, कविता के सौन्दर्य को बढ़ाने वाले तत्व होते हैं। जिस प्रकार आभूषण से नारी का लावण्य बढ़ जाता है,
उसी प्रका अलंकार से कविता की शोभा बढ़ जाती है। - शब्द तथा अर्थ की जिस विशेषता से काव्य का श्रृंगार होता है उसे ही अलंकार कहते हैं।
- अनुप्रास, उपमा, रूपक, अनन्वय, यमक, श्लेष, उत्प्रेक्षा, संदेह, अतिश्योक्ति, वक्रोक्ति आदि प्रमुख अलंकार हैं। इसके अलावा अन्य अलंकार भी हैं।
Top व्यतिरेक MCQ Objective Questions
जहा उपमेय को उपमान से श्रेष्ठ बताया जाए और उसका कारण भी दिया जाए, वहां ____ अलंकार होता है I
Answer (Detailed Solution Below)
व्यतिरेक Question 6 Detailed Solution
Download Solution PDF- जहा उपमेय को उपमान से श्रेष्ठ बताया जाए और उसका कारण भी दिया जाए, वहां व्यतिरेक अलंकार होता हैI
- जैसे - जिनके जस प्रताप के आगे। ससि मलिन रवि सीतल लागे। यहाँ उपमेय 'यश' और 'प्रताप' को उपमान 'शशि' एवं 'सूर्य' से भी उत्कृष्ट कहा गहा है। अतः सही विकल्प 'व्यतिरेक' है।
Important Points
अन्य विकल्प
अलंकार |
परिभाषा |
उदाहरण |
यमक अलंकार |
जहाँ एक ही शब्द जितनी बार आए उतने ही अलग-अलग अर्थ दे। |
जैसे - काली ‘घटा’ का घमंड ‘घटा’। |
श्लेष अलंकार |
जब एक ही शब्द के विभिन्न अर्थ निकलते हों। |
जैसे – ‘रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून ‘पानी’ गए न ऊबरे मोती मानस चून’ यहाँ ‘पानी’ मोती के सन्दर्भ में ‘चमक’, मनुष्य के सन्दर्भ में ‘विनम्रता’ तथा ‘चून (आटा)’ के सन्दर्भ में ‘जल अर्थात पानी’ है। |
उपमा अलंकार |
जब दो भिन्न वस्तुओं में समानता दिखाई जाती है। |
जैसे – कर कमल-सा कोमल है। |
'मिलि चंदन-बेंदी रही, गौंरें मुँह न लखाइ ।
ज्यों-ज्यों मद-लाली चढ़े, त्यों-त्यों उघरति जाइ ।।' -
इस दोहे में प्रयुक्त अलंकार है-
Answer (Detailed Solution Below)
व्यतिरेक Question 7 Detailed Solution
Download Solution PDF'मिलि चंदन-बेंदी रही, गौंरें मुँह न लखाइ ।
ज्यों-ज्यों मद-लाली चढ़े, त्यों-त्यों उघरति जाइ ।।' -
इस दोहे में प्रयुक्त अलंकार है- व्यतिरेक अलंकार
Key Points
- यहाँ व्यतिरेक अलंकार स्पष्ट होता है क्योंकि सफेद और लाल का विरोधाभास प्रस्तुत किया गया है।
- चंदन और बेंदी की सफेदी और मद की लालिमा के बीच तुलना की गई है, और इसी तुलना से व्यतिरेक (अंतर) का बोध होता है।
- व्यतिरेक अलंकार एक ऐसा अलंकार है जहाँ उपमेय को उपमान से किसी विशिष्ट गुण या विशेषता में श्रेष्ठ बताया जाता है,
- अर्थात उपमेय की श्रेष्ठता को स्पष्ट करने के लिए उपमान की कमी या निर्बलता का उल्लेख किया जाता है।
- हिंदी साहित्य में, व्यतिरेक अलंकार को "अतिशय उत्कृष्ट" अलंकार के रूप में भी जाना जाता है।
उदाहरण:
- "साधु ऊँचे शैल सम, किंतु प्रकृति सुकुमार।"
- (यहाँ सज्जनों को पर्वतों के समान ऊँचा बताया गया है,
- लेकिन उनकी कोमल प्रकृति को विशेष रूप से उजागर किया गया है, जबकि पर्वत कठोर होते हैं।)
Additional Informationतद्गुण अलंकार-
- एक ऐसा अलंकार है जिसमें प्रस्तुत वस्तु, किसी अप्रस्तुत वस्तु के गुण को ग्रहण कर लेती है।
- यह तब होता है जब कोई वस्तु अपने वास्तविक रूप को छिपाकर,
- किसी समीपस्थ विशेष गुणवाले पदार्थ के प्रभाव से प्रभावित हो जाती है और उसी के समान दिखती है।
उदाहरण:
- "बादल में बिजली चमक रही थी, जैसे कि उसकी आंखें चमक रही हों।"
- (यहाँ बादल की आंखें अप्रस्तुत हैं, और बिजली की चमक प्रस्तुत, जो बादलों के गुण को ग्रहण कर रही है।)
उन्मीलित अलंकार-
- कोई वस्तु अपने जैसे किसी अन्य वस्तु में इतनी अच्छी तरह से मिल जाती है कि उसका अलग अस्तित्व नहीं रह जाता।
उदाहरण:
- "अरुण वरन तिय चरन पर जावक लख्यो न जाय।"
- (नायिका के लाल चरण में लाख्यारस लगा है, लेकिन वह चरण के रंग में इस तरह मिल गया है कि अलग दिखाई नहीं देता।)
परिसंख्या अलंकार-
- एक अर्थालंकार है, जहाँ एक ही वस्तु के कई स्थानों में होने के बावजूद, उसे केवल एक स्थान पर ही वर्णित किया जाता है और अन्य स्थानों पर उसका निषेध किया जाता है।
उदाहरण:
- राम के राज्य में वक्रता केवल सुन्दरियों के कटाक्ष में थी।
व्यतिरेक Question 8:
किस अलंकार में उपमान की अपेक्षा उपमेय को काफी बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया जाता है?
Answer (Detailed Solution Below)
व्यतिरेक Question 8 Detailed Solution
- व्यतिरेक अलंकार में उपमान की अपेक्षा उपमेय को काफी बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया जाता है।
- ‘व्यतिरेक’ का शाब्दिक अर्थ है- ‘आधिक्य’।
Key Pointsव्यतिरेक अलंकार के उदाहरण:
- का सरवरि तेहिं देउं मयंकू।
चांद कलंकी वह निकलंकू।।
स्पष्टीकरण:
- मुख की समानता चन्द्रमा से कैसे दूँ? चन्द्रमा में तो कलंक है, जबकि मुख निष्कलंक है।
कारण सहित उपमेय की श्रेष्ठता बताने से यहाँ व्यतिरेक अलंकार है।
अन्य विकल्प :
- अतिश्योक्ति अलंकार: जब किसी बात का वर्णन बहुत बढ़ा-चढ़ाकर किया जाए तब वहां अतिश्योक्ति अलंकार होता है।
-
जैसे :
आगे नदियाँ पड़ी अपार, घोडा कैसे उतरे पार।
राणा ने सोचा इस पार , तब तक चेतक था उस पार। - स्पष्टीकरण:
यहाँ चेतक की शक्तियों व स्फूर्ति का बहुत बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन किया गया है। अत: यहाँ पर अतिशयोक्ति अलंकार होगा।
-
- रूपक अलंकार : जब उपमान और उपमेय में अभिन्नता या अभेद दिखाया जाए तब यह रूपक अलंकार कहलाता है।
- जैसे:
मैया मैं तो चन्द्र-खिलौना लैहों। -
स्पष्टीकरण:
यहाँ चन्द्रमा एवं खिलोने में समानता न दिखाकर चाँद को ही खिलौना बोल दिया गया है। अत: यह रूपक अलंकार होगा।
- जैसे:
- संदेह अलंकार: जब उपमेय और उपमान में समता देखकर यह निश्चय नहीं हो पाता कि उपमान वास्तव में उपमेय है या नहीं।
जब यह दुविधा बनती है, तब संदेह अलंकार होता है।- जैसे:
सारी बीच नारी है कि नारी बीच सारी है।
सारी ही की नारी है कि नारी की ही सारी है। - स्पष्टीकरण:
साड़ी बीच नारी है या नारी के बीच साड़ी है इसका निश्चय नहीं हो पाने के कारण संदेह अलंकार है।
- जैसे:
Additional Informationअलंकार:
- अलंकार, कविता के सौन्दर्य को बढ़ाने वाले तत्व होते हैं। जिस प्रकार आभूषण से नारी का लावण्य बढ़ जाता है,
उसी प्रका अलंकार से कविता की शोभा बढ़ जाती है। - शब्द तथा अर्थ की जिस विशेषता से काव्य का श्रृंगार होता है उसे ही अलंकार कहते हैं।
- अनुप्रास, उपमा, रूपक, अनन्वय, यमक, श्लेष, उत्प्रेक्षा, संदेह, अतिश्योक्ति, वक्रोक्ति आदि प्रमुख अलंकार हैं। इसके अलावा अन्य अलंकार भी हैं।
व्यतिरेक Question 9:
निम्नलिखित पंक्ति में कौन - सा अलंकार है?
"जिनके यश प्रताप के आगे, शशि मलिन रवि शीतल लागे"Answer (Detailed Solution Below)
व्यतिरेक Question 9 Detailed Solution
जहाँ उपमान की अपेक्षा उपमेय को ज्यादा बेहतर तरीके से दर्शाया जाए वहां व्यतिरेक अलंकार होता है। उपर्युक्त पंक्ति जिनके यश प्रताप के आगे, शशि मलिन रवि शीतल लागे" में 'यश' और 'प्रताप' उपमेय है, 'शशि' और 'रवि' उपमान हैं, अर्थात यहाँ उपमेय की ज्यादा श्रेष्ठता बताई गयी है। इसीलिए यहाँ व्यतिरेक अलंकार होगा। सही विकल्प व्यतिरेक अलंकार है।
अन्य विकल्प
अतिश्योक्ति अलंकार - जहाँ पर बात को बहुत बड़ा - चढ़ा कर बताया जाये वहां अतिश्योक्क्ति अलंकार होता है।
पुनरुक्तिवदाभाष अलंकार - जहाँ पर एक जैसे अर्थ वाले शब्द आये अर्थ भिन्न हो तो वहां पुनरुक्तिवदाभाष अलंकार होता है।
रूपक अलंकार - इस अलंकार में उपमान और उपमेय में कोई अंतर नहीं होता है, उपमेय और उपमान में अभिन्नता बताई जाती है।
व्यतिरेक Question 10:
किस अलंकार में उपमान की अपेक्षा उपमेय को काफी बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया जाता है?
Answer (Detailed Solution Below)
व्यतिरेक Question 10 Detailed Solution
- व्यतिरेक अलंकार में उपमान की अपेक्षा उपमेय को काफी बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया जाता है।
- ‘व्यतिरेक’ का शाब्दिक अर्थ है- ‘आधिक्य’।
Key Pointsव्यतिरेक अलंकार के उदाहरण:
- का सरवरि तेहिं देउं मयंकू।
चांद कलंकी वह निकलंकू।।
स्पष्टीकरण:
- मुख की समानता चन्द्रमा से कैसे दूँ? चन्द्रमा में तो कलंक है, जबकि मुख निष्कलंक है।
कारण सहित उपमेय की श्रेष्ठता बताने से यहाँ व्यतिरेक अलंकार है।
अन्य विकल्प :
- अतिश्योक्ति अलंकार: जब किसी बात का वर्णन बहुत बढ़ा-चढ़ाकर किया जाए तब वहां अतिश्योक्ति अलंकार होता है।
-
जैसे :
आगे नदियाँ पड़ी अपार, घोडा कैसे उतरे पार।
राणा ने सोचा इस पार , तब तक चेतक था उस पार। - स्पष्टीकरण:
यहाँ चेतक की शक्तियों व स्फूर्ति का बहुत बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन किया गया है। अत: यहाँ पर अतिशयोक्ति अलंकार होगा।
-
- रूपक अलंकार : जब उपमान और उपमेय में अभिन्नता या अभेद दिखाया जाए तब यह रूपक अलंकार कहलाता है।
- जैसे:
मैया मैं तो चन्द्र-खिलौना लैहों। -
स्पष्टीकरण:
यहाँ चन्द्रमा एवं खिलोने में समानता न दिखाकर चाँद को ही खिलौना बोल दिया गया है। अत: यह रूपक अलंकार होगा।
- जैसे:
- संदेह अलंकार: जब उपमेय और उपमान में समता देखकर यह निश्चय नहीं हो पाता कि उपमान वास्तव में उपमेय है या नहीं।
जब यह दुविधा बनती है, तब संदेह अलंकार होता है।- जैसे:
सारी बीच नारी है कि नारी बीच सारी है।
सारी ही की नारी है कि नारी की ही सारी है। - स्पष्टीकरण:
साड़ी बीच नारी है या नारी के बीच साड़ी है इसका निश्चय नहीं हो पाने के कारण संदेह अलंकार है।
- जैसे:
Additional Informationअलंकार:
- अलंकार, कविता के सौन्दर्य को बढ़ाने वाले तत्व होते हैं। जिस प्रकार आभूषण से नारी का लावण्य बढ़ जाता है,
उसी प्रका अलंकार से कविता की शोभा बढ़ जाती है। - शब्द तथा अर्थ की जिस विशेषता से काव्य का श्रृंगार होता है उसे ही अलंकार कहते हैं।
- अनुप्रास, उपमा, रूपक, अनन्वय, यमक, श्लेष, उत्प्रेक्षा, संदेह, अतिश्योक्ति, वक्रोक्ति आदि प्रमुख अलंकार हैं। इसके अलावा अन्य अलंकार भी हैं।
व्यतिरेक Question 11:
सिय मुख सरद - कमल जिमि किमि कहि जाय।
निसि मलीन वह, निसि दिन यह विगसाय ।।
उपर्युक्त पंक्तियों में कौन सा अलंकार है?
Answer (Detailed Solution Below)
व्यतिरेक Question 11 Detailed Solution
सिय मुख सरद - कमल जिमि किमि कहि जाय।
निसि मलीन वह, निसि दिन यह विगसाय ।।
उपर्युक्त पंक्तियों में अलंकार है - व्यतिरेक
Key Points
- (यहाँ शरद कमल (उपमेय) तो रात्रि में मुरझा जाता है किन्तु सीता का मुख (उपमान) दिन-रात खिला रहता है, अतः उपमेय की उत्कृष्टता होने से यहाँ व्यतिरेक अलंकार है।)
- जब उपमेय में उपमान की तुलना में कोई अच्छी या बुरी बात अधिक बताई जाय अर्थात जब उपमेय को उपमान से किसी बात में बढ़कर बताया जाय, वहाँ व्यतिरेक अलंकार होता है।
उदाहरण -
- सम सुबरन सुखमाकर सुखद न थोर।
- सीय अंग सखि कोमल कनक कठोर।।
- (यहाँ उपमेय (सीय अंग) को कोमल तथा उपमान (कनक) को कठोर बताया गया है।)
Additional Information
प्रतीप -
उदाहरण -
रूपक-
उदाहरण -
अनन्वय -
उदाहरण -
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व्यतिरेक Question 12:
जहा उपमेय को उपमान से श्रेष्ठ बताया जाए और उसका कारण भी दिया जाए, वहां ____ अलंकार होता है I
Answer (Detailed Solution Below)
व्यतिरेक Question 12 Detailed Solution
- जहा उपमेय को उपमान से श्रेष्ठ बताया जाए और उसका कारण भी दिया जाए, वहां व्यतिरेक अलंकार होता हैI
- जैसे - जिनके जस प्रताप के आगे। ससि मलिन रवि सीतल लागे। यहाँ उपमेय 'यश' और 'प्रताप' को उपमान 'शशि' एवं 'सूर्य' से भी उत्कृष्ट कहा गहा है। अतः सही विकल्प 'व्यतिरेक' है।
Important Points
अन्य विकल्प
अलंकार |
परिभाषा |
उदाहरण |
यमक अलंकार |
जहाँ एक ही शब्द जितनी बार आए उतने ही अलग-अलग अर्थ दे। |
जैसे - काली ‘घटा’ का घमंड ‘घटा’। |
श्लेष अलंकार |
जब एक ही शब्द के विभिन्न अर्थ निकलते हों। |
जैसे – ‘रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून ‘पानी’ गए न ऊबरे मोती मानस चून’ यहाँ ‘पानी’ मोती के सन्दर्भ में ‘चमक’, मनुष्य के सन्दर्भ में ‘विनम्रता’ तथा ‘चून (आटा)’ के सन्दर्भ में ‘जल अर्थात पानी’ है। |
उपमा अलंकार |
जब दो भिन्न वस्तुओं में समानता दिखाई जाती है। |
जैसे – कर कमल-सा कोमल है। |
व्यतिरेक Question 13:
'चन्द्र सकलंक, मुख निष्कलंक,
दोनों में समता कैसी।'
उक्त पद में कौन सा अलंकार है?
Answer (Detailed Solution Below)
व्यतिरेक Question 13 Detailed Solution
सही उत्तर 'व्यतिरेक' अलंकार है।
जहाँ उपमान की अपेक्षा उपमेय को ज्यादा बेहतर तरीके से दर्शाया जाए वहां व्यतिरेक अलंकार होता है।
उपर्युक्त पंक्ति 'चन्द्र सकलंक, मुख निष्कलंक,दोनों में समता कैसी।' में 'सकलंक' और 'निष्कलंक' उपमेय है, 'चन्द्र ' और 'मुख' उपमान हैं, अर्थात यहाँ उपमेय की ज्यादा श्रेष्ठता बताई गयी है। इसीलिए यहाँ व्यतिरेक अलंकार होगा। सही विकल्प व्यतिरेक अलंकार है।
Key Points
अन्य विकल्प -
अलंकार |
परिचय |
रूपक अलंकार |
दूसरे शब्दों में जब गुण की अत्यंत समानता के कारण उपमेय को ही उपमान बता दिया जाए यानी उपमेय ओर उपमान में कोई अंतर न दिखाई दे तब वह रूपक अलंकार कहलाता है। |
असंगति अलंकार |
यहां असंगति अलंकार है। यह तब होता है जब कार्य और कारण के बीच कोई संगत नहीं होती अर्थात कार्य कहीं होता है और कारण कहीं और घटित होता है। दृग उरझत टूटत कुटूम जुरत चतुर चित प्रीति । परति गांठि दुरजन हिये दई नई यह रीति ॥” |
अनुप्रास अलंकार |
अनुप्रास शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है – अनु + प्रास। जब किसी वर्ण की बार – बार आवर्ती हो तब जो चमत्कार होता है उसे अनुप्रास अलंकार कहते है। |
Additional Information
अलंकार |
अलंकार का अर्थ है आभूषण। अतः काव्य में आभूषण अर्थात सौंदर्यवर्धक गुण अलंकार कहलाते हैं। मुख्य रूप से अलंकार के दो भेद माने गए हैं- शब्दालंकार और अर्थालंकार। जब शब्दों में चमत्कार उत्पन्न होता है तो शब्दालंकार कहलाता है। जब अर्थों में चमत्कार उत्पन्न होता है तो अर्थालंकार कहलाता है। |
जैसे - सिंधु से अथाह ( उपमा) - शब्दालंकार काली घटा का घमंड घटा (अनुप्रास) - अर्थालंकार |
व्यतिरेक Question 14:
सिय मुख सरद - कमल जिमि किमि कहि जाय।
निसि मलीन वह, निसि दिन यह विगसाय ।।
उपर्युक्त पंक्तियों में कौन सा अलंकार है?
Answer (Detailed Solution Below)
व्यतिरेक Question 14 Detailed Solution
सिय मुख सरद - कमल जिमि किमि कहि जाय।
निसि मलीन वह, निसि दिन यह विगसाय ।।
उपर्युक्त पंक्तियों में अलंकार है - व्यतिरेक
Key Points
- (यहाँ शरद कमल (उपमेय) तो रात्रि में मुरझा जाता है किन्तु सीता का मुख (उपमान) दिन-रात खिला रहता है, अतः उपमेय की उत्कृष्टता होने से यहाँ व्यतिरेक अलंकार है।)
- जब उपमेय में उपमान की तुलना में कोई अच्छी या बुरी बात अधिक बताई जाय अर्थात जब उपमेय को उपमान से किसी बात में बढ़कर बताया जाय, वहाँ व्यतिरेक अलंकार होता है।
उदाहरण -
- सम सुबरन सुखमाकर सुखद न थोर।
- सीय अंग सखि कोमल कनक कठोर।।
- (यहाँ उपमेय (सीय अंग) को कोमल तथा उपमान (कनक) को कठोर बताया गया है।)
Additional Information
प्रतीप -
उदाहरण -
रूपक-
उदाहरण -
अनन्वय -
उदाहरण -
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व्यतिरेक Question 15:
" ----------------- अलंकार में उपमेय की अपेक्षा उपमान को हीन बताया जाता है।" में रिक्त स्थान की पूर्ती कीजिये?
Answer (Detailed Solution Below)
व्यतिरेक Question 15 Detailed Solution
यहाँ व्यतिरेक अलंकार है क्योंकि इस अलंकार में उपमेय की अपेक्षा उपमान को हीन बताया जाता है। अतः सही विकल्प व्यतिरेक अलंकार है।
अन्य विकल्प
समासोक्ति - जब प्रस्तुत द्वारा अप्रस्तुत के बारे में बताया जाए तो वहां समासोक्ति अलंकार होता है।
प्रतीप - जब उपमेय और उपमान में विपर्यय होता है तो वहां प्रतीप अलंकार होता है।
उत्प्रेक्षा अलंकार - जब समानता होने के कारण उपमेय में उपमान के होने कि संभावना हो या कल्पना की जाये तब वहां उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।