लौकिक साहित्य MCQ Quiz in मराठी - Objective Question with Answer for लौकिक साहित्य - मोफत PDF डाउनलोड करा

Last updated on Mar 19, 2025

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Latest लौकिक साहित्य MCQ Objective Questions

Top लौकिक साहित्य MCQ Objective Questions

लौकिक साहित्य Question 1:

निम्नलिखितसूक्ते∶ समुचितपदेन रिक्त स्थानं पूरयत∶

दुर्बलस्य .......... राजा।

  1. जनं 
  2. बलम्
  3. धनम्
  4. धर्मम्

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : बलम्

लौकिक साहित्य Question 1 Detailed Solution

प्रश्न का हिन्दी अनुवाद - निम्नलिखित सूक्ति को उचित पद के द्वारा रिक्तस्थान की पूर्ति करके पूर्ण करो 

दुर्बलस्य .......... राजा।

स्पष्टीकरण - चाणक्यनीति में श्लोक वर्णित है - 

दुर्बलस्य बलं राजा, बालानां रोदनं बलम्।

बलं मूर्खस्य मौनित्वं, चौराणाम् अनृतं बलम् ।। (चाणक्य नीति) 

अर्थात् 'दुर्बलों का बल होता है राजा, बालकों का बल होता है रोना, मूर्खों का बल होता है शान्त रहना और चोरों का बल होता है झुठ बोलना।'

अतः स्पष्ट है कि दुर्बलस्य बलं राजा।

लौकिक साहित्य Question 2:

सुबन्धु की रचना है

  1. स्वप्नवासवदत्तम्
  2. मेघदूतम्
  3. वासवदत्ता
  4. अभिज्ञानशाकुन्तलम्

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : वासवदत्ता

लौकिक साहित्य Question 2 Detailed Solution

सुबन्धु-परिचय

  • सुबन्धु वासवदत्ता कथा के कवि है। उन्होने अपने सम्बन्ध में सुजनैकबन्धु के अलावा कुछ नही कहा है। अतः उनके व्यक्तिगत जीवन और व्यक्तित्त्व के सम्बन्ध में भी देश और काल की तरह अनुमान ही आधार है।
  • उनके ग्रन्थ से इतना अवश्य ही प्रकट होता है कि वे वैदिक धर्मावलम्बी थे।
  • वासवदत्ता के प्रारम्भिक दो श्लोकों में उन्होंने विष्णु और विष्णु के अवतार भगवान श्रीकृष्ण की स्तुति की है। ग्रन्थ में अन्यत्र भी अन्य देवों की अपेक्षा भगवान् विष्णु या उनके अवतारों का स्मरण कुछ अधिक ही बार हुआ हैं। इस आधार पर कहा जा सकता है कि वे वैष्णव थे।
  • परम भागवत गरुड़ध्वज गुप्त सम्राटों के सम्पर्क में रहने वाले सुबन्धु का विष्णु पदावलम्बी होना स्वाभाविक भी लगता है। लेकिन अन्य वैदिक देवों के प्रति भी उनका सहिष्णु भाव था। यह भी गुप्तों के प्रभाव का द्योतक है।
  • कवि ने भगवान शिव के प्रति भी भक्ति भाव प्रकट किया है। नास्तिक बौद्धमतावलम्बियों के प्रति उनका अनादर भाव भी स्पष्ट है। 

अतः 'वासवदत्ता' के रचनाकार 'सुबन्धु' है।

Additional Information'स्वप्नवासवदत्तम्' यह रचना भास की है तथा 'मेघदूतम्' और 'अभिज्ञानशाकुन्तलम्' के रचनाकार कालिदास है।

लौकिक साहित्य Question 3:

रामायणे शबरीकथा कस्मिन् काण्डे अस्ति?

  1. बालकाण्डे
  2. अरण्यकाण्डे
  3. किष्किंधाकाण्डे
  4. सुन्दरकाण्डे

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : अरण्यकाण्डे

लौकिक साहित्य Question 3 Detailed Solution

प्रश्नार्थ - रामायण मे शबरीकथा किस काण्ड में है?

संस्कृत साहित्य का प्रथम महाकाव्य रामायण को माना जाता है।

रामायण - राम की कथा होने के कारण इस महाकाव्य को रामायण कहा जाता है। इस के रचनाकार वाल्मीकि  है।

लौकिक साहित्य की प्रथम रचना होने के कारण ही महर्षि वाल्मिकीवाल्मीकि  को आदिकवि तथा रामायण को आदिकाव्य कहा जाता है।

रामायण का विभाजन सात काण्डों में हुआ है-

  1. बालकाण्ड - 77 सर्ग
  2. अयोद्ध्याकाण्ड - 119 सर्ग
  3. अरण्यकाण्ड - 75 सर्ग
  4. किष्किन्धाकाण्ड - 67 सर्ग
  5. सुन्दरकाण्ड - 68 सर्ग
  6. लङ्काकाण्ड (युद्धकाण्ड) - 128 सर्ग
  7. उत्तरकाण्ड - 111 सर्ग


शबरीकथा प्रसंग रामायण के 'अरण्यकाण्ड' का भाग है, जिसमे प्रभू राम का वनवास, दण्डकारण्य, सीतहरण, जटायु-रावण युद्ध, राम-शबरी मिलाप ऐसे कुछ प्रसिद्ध प्रसंग हैं।

अततः उचित पर्याय अरण्यकाण्डे होता है।

लौकिक साहित्य Question 4:

आदिकाव्य रामायण के रचयिता कौन है?

  1. वेदव्यास
  2. वाल्मीकि 
  3. भवभूति
  4. भरतमुनि

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : वाल्मीकि 

लौकिक साहित्य Question 4 Detailed Solution

संस्कृत साहित्य का प्रथम महाकाव्य रामायण को माना जाता है।

रामायण - राम की कथा होने के कारण इस महाकाव्य को रामायण कहा जाता है। इस के रचनाकार वाल्मीकि  है।

लौकिक साहित्य की प्रथम रचना होने के कारण ही महर्षि वाल्मिकीवाल्मीकि को आदिकवि तथा रामायण को आदिकाव्य कहा जाता है।

विद्वानों में एक और प्रसिद्धी है कि प्रत्येक एक हजार श्लोक के पश्चात् इसमें गायित्री मन्त्र का एक वर्ण आता है।

रामायण का विभाजन सात काण्डों में हुआ है-

  1. बालकाण्ड - 77 सर्ग
  2. अयोद्ध्याकाण्ड - 129 सर्ग
  3. अरण्यकाण्ड - 75 सर्ग
  4. किष्किन्धाकाण्ड - 67 सर्ग
  5. सुन्दरकाण्ड - 68 सर्ग
  6. लङ्काकाण्ड (युद्धकाण्ड) - 128 सर्ग
  7. उत्तरकाण्ड - 111 सर्ग


अतः स्पष्ट है कि संस्कृत साहित्य का प्रथम महाकाव्य रामायण के रचनाकार वाल्मीकि है।

लौकिक साहित्य Question 5:

भवभूति की रचना है-

  1. महावीरचरितम्
  2. ऋतुसंहारम्
  3. अभिज्ञानशाकुन्तलम्
  4. कुमारसंभवम्

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : महावीरचरितम्

लौकिक साहित्य Question 5 Detailed Solution

भवभूति ने अपने जीवन में 'महावीरचरितम्, मालतीमाधवम्, उत्तररामचरितम्' इन तीन नाटकों की रचना की है।

Important Points

कवि 

रचना

विधा 

भवभूति

महावीरचरितम्, मालतीमाधवम्, उत्तररामचरितम् 

नाटक

कालिदास

रघुवंशम्, कुमारसंभवम्

महाकाव्य

मेघदूतम्

खण्डकाव्य

ऋतुसंहारम्

मुक्तककाव्य

मालविकाग्निमित्रम्, विक्रमोर्वशीयम्, अभिज्ञानशाकुन्तलम् 

नाटक

लौकिक साहित्य Question 6:

कालिदास का खण्डकाव्य कौन सा है?

  1. उत्तररामचरितम्
  2. विक्रमोर्वशीयम्
  3. मेघदूतम्
  4. ऋतुसंहारम्

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : मेघदूतम्

लौकिक साहित्य Question 6 Detailed Solution

कालिदास संस्कृत भाषा के महान कवि और नाटककार थे। उन्होंने भारत की पौराणिक कथाओं को आधार बनाकर रचनाएं की, जिसमें भारतीय जीवन और दर्शन के विविध रूप और मूल तत्त्व निरूपित हैं। कालिदास अपनी इन्हीं विशेषताओं के कारण राष्ट्र की समग्र राष्ट्रीय चेतना को स्वर देने वाले कवि माने जाते हैं संस्कृत साहित्य में ही नहीं अपितु समग्र साहित्यिक संसार में उन्हें कविकुलश्रेष्ठ तथा कविशिरोमणि माना जाता है।

प्रस्तुत विकल्पों में से 'मेघदूतम्' यह कालिदास का खण्डकाव्य है।

Hint

विकल्पों का स्पष्टीकरण -

विकल्पानुगत कवियों के रचनाओं का विवरण:-

कवि 

रचना

विधा 

भवभूति

महावीरचरितम्, मालतीमाधवम्, उत्तररामचरितम् 

नाटक

कालिदास

रघुवंशम्, कुमारसंभवम्

महाकाव्य

मेघदूतम्

खण्डकाव्य

ऋतुसंहारम्

मुक्तककाव्य

मालविकाग्निमित्रम्, विक्रमोर्वशीयम्, अभिज्ञानशाकुन्तलम् 

नाटक

लौकिक साहित्य Question 7:

भास विरचित एकाङ्की है - 

  1. पञ्चरात्रम्
  2. अभिषेकनाटकम्
  3. दूतवाक्यम्
  4. बालचरितम्

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : दूतवाक्यम्

लौकिक साहित्य Question 7 Detailed Solution

महाकवि भास संस्कृत साहित्य के मूर्धन्य कवि हैं, जिन्होंने 13 रूपकों की रचना की है। जिनमें से कुछ नाटक है तो कुछ एकाङ्की।

Important Points

एकाङ्की - जिस रूपक में एक ही अङ्क में कथानक को व्यक्त किया गया हो उसे एकाङ्की कहते हैं। भास ने पांच एकाङ्की विरचित की है -

  • ऊरुभङ्गम्
  • दूतवाक्यम्
  • दूतघटोत्कचम्
  • कर्णभारम्
  • मध्यमव्यायोगः

अतः स्पष्ट है कि उपर्युक्त दिये विकल्पों में 'दूतवाक्यम्' भास विरचित एकाङ्की है।

लौकिक साहित्य Question 8:

यमक अलङ्कार होता है 

  1. सार्थक वर्णसमूहों की पुनरावृत्ति 
  2. अनर्थक वर्णसमूहों की पुनरावृत्ति 
  3. एक सार्थक दूसरा अनर्थक वर्णसमूह की पुनरावृत्ति 
  4. उपर्युक्त सभी प्रकार के वर्णसमूहों की पुनरावृत्ति

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : उपर्युक्त सभी प्रकार के वर्णसमूहों की पुनरावृत्ति

लौकिक साहित्य Question 8 Detailed Solution

जब कोई वर्ण समूह दो या अधिक बार आये और हर बार अलग अर्थ से आये तब  यमक अलंकार होता है, कभी शब्द के अंश की भी पुनरावृत्ति होती है जिसका स्वतन्त्र रूप से अर्थ नहीं होता वहा भी यमक अलंकार होता है इसलिए 'उपर्युक्त सभी प्रकार के वर्णसमूहों की पुनरावृत्ति' यह उचित पर्याय होगा

लक्षण -
“सत्यर्थे पृथगर्थायाः स्वरव्यञ्जन संहतेः।
क्रमेण तेनैवावृत्तिर्यमकं विनिगद्यते।”

अर्थात् जहाँ अर्थयुक्त भिन्न-भिन्न अर्थों के शब्दों की पूर्वक्रम से आवृत्ति होती है। वहा एक वर्णसमूह का अर्थ दूसरे वर्णसमूह से अलग होगा।

लौकिक साहित्य Question 9:

कालिदास ने किस दिन मेघों को देखा?

  1. भाद्रपद का चौथा दिन
  2. चैत्र का प्रथम दिन
  3. कार्तिक पूर्णिमा
  4. आषाढ़ का प्रथम दिन

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : आषाढ़ का प्रथम दिन

लौकिक साहित्य Question 9 Detailed Solution

मेघदूतम् महाकवि कालिदास द्वारा रचित विख्यात दूतकाव्य है। इसमें एक यक्ष की कथा है जिसे कुबेर अलकापुरी से निष्कासित कर देता है।

  • निष्कासित यक्ष रामगिरि पर्वत पर निवास करता है।
  • वर्षा ऋतु में उसे अपनी प्रेमिका की याद सताने लगती है।
  • कामार्त यक्ष सोचता है कि किसी भी तरह से उसका अल्कापुरी लौटना संभव नहीं है, इसलिए वह प्रेमिका तक अपना संदेश दूत के माध्यम से भेजने का निश्चय करता है।
  • अकेलेपन का जीवन गुजार रहे यक्ष को कोई संदेशवाहक भी नहीं मिलता है, इसलिए उसने मेघ के माध्यम से अपना संदेश विरहाकुल प्रेमिका तक भेजने की बात सोची।


इस प्रकार आषाढ़ के प्रथम दिन आकाश पर उमड़ते मेघों ने कालिदास की कल्पना के साथ मिलकर एक अनन्य कृति की रचना कर दी।

लौकिक साहित्य Question 10:

निम्नलिखित में से किस कवि ने नल और दमयन्ती की प्रणयकथा को आधार बनाकर महाकाव्य की रचना की है?

  1. कालिदास ने 
  2. श्रीहर्ष ने
  3. माघ ने
  4. भारवि ने

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : श्रीहर्ष ने

लौकिक साहित्य Question 10 Detailed Solution

नल और दमयन्ती की प्रणयकथा का वर्णन 'नैषधीयचरित्' महाकाव्य में हुआ है, जो श्रीहर्ष की रचना है - ​

कवि

रचना

कालिदास

कुमारसंभवम्, रघुवंशम्, मेघदूतम् ,ऋतुसंहार

श्रीहर्ष

नैषधीयचरितम्

माघ शिशुपालवधम्

भारवि

किरातार्जुनीयम्

 Additional Information

  • नैषधीयचरित, श्रीहर्ष द्वारा रचित संस्कृत महाकाव्य है।
  • यह वृहत्त्रयी नाम से प्रसिद्ध तीन महाकव्यों में से एक है।
  • महाभारत का नलोपाख्यान इस महाकाव्य का मूल आधार है। 
  • श्रीहर्ष 12वीं सदी के संस्कृत के प्रसिद्ध कवि तथा दार्शनिक थे।
  • उनमें उच्चकोटि की काव्यात्मक प्रतिभा थी तथा वे अलंकृत शैली के सर्वश्रेष्ठ कवि थे।
  • वे शृंगार के कला पक्ष के कवि थे। महान कवि होने के साथ-साथ वे बड़े दार्शनिक भी थे।
  • ‘खण्डन-खण्ड-खाद्य’ नामक ग्रन्थ में उन्होंने अद्वैत मत का प्रतिपादन किया।
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