Question
Download Solution PDFराजन् ! देहु तुरंग मोहि, अथवा देहु मतंग' इस पंक्ति में कौन सा काव्य दोष है ?
This question was previously asked in
RPSC 2nd Grade Hindi (Held on 4th July 2019) Official Paper
Answer (Detailed Solution Below)
Option 3 : दुष्क्रमत्व
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RPSC Senior Grade II (Paper I): Full Test 1
100 Qs.
200 Marks
120 Mins
Detailed Solution
Download Solution PDFराजन! देहु तुरंग मोहि अथवा देहु मतंग में दुष्क्रमत्व दोष है।
- याचक को पहले हाथी मांगना चाहिए और फिर हाथी न मिलने पर घोडे की याचना करनी चाहिए, किन्तु यहां पहले 'हय' अर्थात् घोडे की और तदुपरान्त हाथी की याचना करके लोक विरुद्ध क्रम रखा गया है अतः दुष्क्रमत्व दोष है।
दुष्क्रमत्व दोष
- जहाँ शास्त्रों अथवा परम्परा में प्रसिद्ध क्रम के विपरीत किसी बात का वर्णन होता है, वहाँ दुष्क्रमत्व दोष होता है।
अन्य उदाहरण-
- "मारुत नन्दन मारुत को, मन को, खगराज को वेग लजायौ।"
- उपर्युक्त पंक्ति में दुष्क्रमत्व दोष है क्योंकि मन को सही क्रम में नहीं रखा गया है।
- मन का वेग मारुत तथा खगराज के वेग से अधिक होने के कारण उसको सबसे अंत में रखा जाना चाहिए।
क्लिष्टत्व दोष
- जहाँ किसी शब्द का अर्थ आसानी से समझ में न आये वहाँ किलष्टत्व दोष होता है।
- उदाहरण-
- कहत कत परदेशी की बात।
- मन्दिर अरध अवधि बदि हमसौं हरि अहार चलि जात ॥
- वेद, नखत, ग्रह जोरि अरध करि सोई बनत अब खाता।
अक्रमत्व दोष
- जब वाक्य में शब्दों का क्रम ठीक नहीं होता वहाँ अक्रमत्व दोष होता है।
- यह दोष विभक्ति चिह्नों, अव्यय, उपसर्ग आदि क्रम भंग होने से होता है।
- उदाहरण-
- "ऐसे देना प्रकट दिखला नित्य आशंकिता हो।"
- इस पंक्ति में ‘देना’ शब्द ‘दिखला’ शब्द के पश्चात् आना चाहिए अत: इसमें अक्रमत्व दोष है।
- "ऐसे देना प्रकट दिखला नित्य आशंकिता हो।"
अप्रतीतत्व दोष
- लोक व्यवहार में न प्रयुक्त होने वाले शास्त्रीय शब्दों का काव्य में प्रयोग होने पर अप्रतीतत्व दोष होता है।
- उदाहरण-
- "विषमय यह गोदावरी अमृतन को फल देत।"
- यहां विष शब्द का प्रयोग जल के लिए होता है, जो सामान्यतः लोक व्यवहार में प्रयुक्त नहीं होता अतः अप्रतीतत्व दोष है।
- "विषमय यह गोदावरी अमृतन को फल देत।"
Last updated on Jul 17, 2025
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