लक्षणा MCQ Quiz - Objective Question with Answer for लक्षणा - Download Free PDF
Last updated on Apr 21, 2025
Latest लक्षणा MCQ Objective Questions
लक्षणा Question 1:
निम्नलिखित में से 'लक्षणा' शक्ति से संबंधित नहीं है।
Answer (Detailed Solution Below)
लक्षणा Question 1 Detailed Solution
लक्षणा Question 2:
'लड़की तो निरी गाय है।' इस वाक्य में कौनसी शब्द - शक्ति है -
Answer (Detailed Solution Below)
लक्षणा Question 2 Detailed Solution
'लड़की तो निरी गाय है।' इस वाक्य में शब्द - शक्ति है - 'लक्षणा शब्द शक्ति'
- (यहाँ पर 'निरी गाय' का सामान्य अर्थ कीमती जानवर है। किंतु दिए गए वाक्य में 'निरी गाय' का अर्थ कीमती चीज से है।)
- लेखन में या बोलचाल में जब कोई शब्द अपना सामान्य अर्थ छोड़कर किसी विशेष अर्थ को प्रकट करता है तो वहां पर लक्षणा शब्द शक्ति की उत्पत्ति होती है।
उदाहरण-
- सिंह अखाड़े में उतर रहा है।
- (यहाँ पर 'सिंह' का सामान्य अर्थ जानवर है। किंतु दिए गए वाक्य में 'सिंह' का अर्थ वीर पुरुष से है।)
Key Points शब्द शक्ति के भेद-
- अभिधा
- लक्षणा
- व्यंजना
Additional Information
अभिधा शब्द शक्ति:-
उदाहरण-
व्यंजना शब्द शक्ति:-
उदाहरण-
|
लक्षणा Question 3:
शब्द शक्तियों के संदर्भ में इनमें से कौन सा कथन गलत है ?
Answer (Detailed Solution Below)
लक्षणा Question 3 Detailed Solution
जब लक्ष्यार्थ में वाच्यार्थ सम्मिलित रहता है तब लक्षण लक्षणा होती है कथन गलत है।
लक्षणलक्षणा
- जहाँ वाक्यार्थ की सिद्धि के लिए वाक्यार्थ अपने अर्थ को छोड़कर केवल लक्ष्यार्थ को सूचित करे, वहाँ लक्षणलक्षणा होती है।
लक्षणलक्षणा में अमुख्यार्थ को अनिवत होने के लिए मुख्यार्थ अपना अर्थ बिल्कुल छोड़ देता है।
जैसे, 'पेट में आग लगी है।' यह एक सार्थक वाक्य है। इसमें 'आग लगी है' वाक्य अपना अर्थ छोड़ देता है और लक्ष्यार्थ होता है कि भूख लगी है। इससे लक्षण-लक्षणा है।
लक्षणा के अन्य दो प्रकार-
रूढ़ि लक्षणा-
- जहाँ पर कुछ लक्ष्यार्थ रुढ़ हो गए हैं।
- जैसे 'कार्य में कुशल'।
- कुशल का शब्दार्थ 'कुश इकट्ठा करनेवाला' होता है, पर यह शब्द दक्ष या निपुण के अर्थ में रुढ़ हो गया है। प्रयोजनवती लक्षणा-
- वह लक्षणा जो प्रयोजन द्वारा वाच्यार्थ से भिन्न अर्थ प्रकट करे।
- प्रयोजनवती लक्षणा में किसी विशेष प्रयोजन की सिद्धि के लिए लक्षणा की जाती है।
- जैसे-
- 'बहुत सी तलवारें मैदान में आ गईं' इस वाक्य में यदि हम तलवार का अर्थ तलवार ही करके रह जाते हैं तो अर्थ में बाधा पड़ती है।
- इससे प्रयोजनवश हमें तलवार का अर्थ तलवारबंद सिपाही लेना पड़ता है।
शब्द शक्ति के प्रकार-
अभिधा
- वे वाक्य जिनका साधारण शाब्दिक अर्थ और भावार्थ समान हो तो उसे अभिधा शब्द शक्ति कहते हैं।
लक्षणा
- यहाँ वाक्य का साधारण अर्थ और भावार्थ भिन्न होता है।
- जिस वाक्य का सामान्य अर्थ कोई महत्व रखे अथवा नहीं लेकिन वह वाक्य किसी संज्ञा अथवा सर्वनाम की विशेषता प्रकट करने के लिए प्रयुक्त होता है।
व्यंजना
- व्यंजना शब्द शक्ति वहाँ प्रयुक्त होती है जहाँ वाक्य तो साधारण होता है लेकिन उसका प्रत्येक पाठक अथवा श्रोता के लिए अपना-अपना भिन्न अर्थ होता है।
- इससे उत्पन्न भाव को व्यंग्यार्थ कहा जाता है।
लक्षणा Question 4:
लक्षणा शब्द शक्ति का सही उदाहरण है -
Answer (Detailed Solution Below)
लक्षणा Question 4 Detailed Solution
लक्षणा शब्द शक्ति का सही उदाहरण है- आगि बड़वागि ते बड़ी है आगि पेट की।
Key Points
- भावार्थ-
- भूख की ज्वाला सबसे ज्यादा बड़ी होती है;समुद्र के बड़वानल से भी बड़ी।
- यह पंक्ति तुलसीदास के कवितावली से ली गयी है।
- भाषा-ब्रज
- रूपक अलंकार का प्रयोग हुआ है।
- इन पंक्तियों के माध्यम से कवि ने तत्कालीन सामाजिक व आर्थिक दुरावस्था का यथार्थ चित्रण किया है।
Important Pointsलक्षणा शब्द शक्ति-
- मुख्यार्थ की बाधा होने पर रूढि (लोक प्रसिद्धि) या प्रयोजन (उद्देश्य) के कारण,जिस शक्ति के द्वारा मुख्यार्थ से सम्बन्ध अन्य अर्थ की प्राप्ति हो उसे लक्षणा शब्द शक्ति कहते हैं।
- लक्षणा शब्द शक्ति के तीन निमित्ति हैं-
- मुख्यार्थबाध
- मुख्यार्थयोग
- रूढि या प्रयोजन
- उदाहरण-
- यदि हम कहें लड़का शेर है,तो इसका लक्ष्यार्थ है लड़का निडर है।
- लक्षणा शब्द शक्ति के भेद-
- रूढि लक्षणा
- प्रयोजनवादी लक्षणा
Additional Informationतुलसीदास-
- जन्म-1532-1623
- हिन्दी साहित्य के महान सन्त कवि थे।
- रामचरितमानस इनका प्रसिद्ध ग्रन्थ है। इन्हें आदि काव्य रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि का अवतार भी माना जाता है।
- अन्य ग्रन्थ-
- रामललानहछू
- वैराग्य-संदीपनी
- बरवै रामायण
- पार्वती-मंगल
- जानकी-मंगल आदि।
लक्षणा Question 5:
'संतो भाई आई ज्ञान की आँधी रे' इस पंक्ति में कौनसी शब्द शक्ति है?
Answer (Detailed Solution Below)
लक्षणा Question 5 Detailed Solution
'संतो भाई आई ज्ञान की आँधी रे' इस पंक्ति में शब्द शक्ति है - लक्षण-लक्षणा
- (यहाँ पर ज्ञान की आंधी से मतलब ज्ञान का प्रकाश उत्पन्न होने से है।)
- जहाँ वाक्यार्थ की सिद्धि के लिए वाक्यार्थ अपने अर्थ को छोड़कर केवल लक्ष्यार्थ को सूचित करे, वहाँ लक्षण लक्षणा होती है।
- इसमें अमुख्यार्थ को अनिवत होने के लिए मुख्यार्थ अपना अर्थ बिल्कुल छोड़ देता है।
जैसे-
- पेट में आग लगी है।'
- (यह एक सार्थक वाक्य है। इसमें 'आग लगी है' वाक्य अपना अर्थ छोड़ देता है
- और लक्ष्यार्थ होता है कि भूख लगी है। इससे लक्षण-लक्षणा है।)
Mistake Pointsभावार्थ-
- कबीरदास कहते है कि गुरु के ज्ञान से मन में ज्ञान का प्रकाश उत्पन्न होता है
- और मन का अज्ञान रुपी अंधकार मिट जाता है।
Key Points
- शुद्धा लक्षणा के भेद हैं-
- उपादान लक्षणा
- लक्षणलक्षणा
- गौणी लक्षणा के भेद हैं-
- सारोपा लक्षणा
- साध्यावसाना लक्षणा।
Additional Information
उपादान लक्षणा:-
जैसे-
सारोपा-लक्षणा:-
जैसे-
साध्यवसाना-लक्षणा:-
जैसे-
|
Top लक्षणा MCQ Objective Questions
प्रत्येक शब्द से निकलने वाले अर्थ का बोध कराने वाली शक्ति को क्या कहते हैं?
Answer (Detailed Solution Below)
लक्षणा Question 6 Detailed Solution
Download Solution PDFउपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प "शब्द शक्तियां" सही है तथा अन्य विकल्प असंगत है।
- शब्द का अर्थ बोध कराने वाली शक्ति ही शब्दशक्ति कहलाती है।
- यह शब्द, शब्द और शक्ति के समन्वय से बना है अर्थात शब्दशक्ति का समास विग्रह करने पर इसका तात्पर्य शब्द की शक्ति बताने से होता है।
- शब्द शक्ति के प्रकार
- अभिधा
- वे वाक्य जिनका साधारण शाब्दिक अर्थ और भावार्थ समान हो तो उसे अभिधा शब्द शक्ति कहते हैं।
- लक्षणा
- यहाँ वाक्य का साधारण अर्थ और भावार्थ भिन्न होता है। जिस वाक्य का सामान्य अर्थ कोई महत्च रखे अथवा नहीं लेकिन वह वाक्य किसी संज्ञा अथवा सर्वनाम की विशेषता प्रकट करने के लिए प्रयुक्त होता है।
- व्यंजना
- व्यंजना शब्द शक्ति वहाँ प्रयुक्त होती है जहाँ वाक्य तो साधारण होता है लेकिन उसका प्रत्येक पाठक अथवा श्रोता के लिए अपना-अपना भिन्न अर्थ होता है।
- अभिधा
- अलंकार
- काव्य का सौंदर्य व शोभा बढ़ाने वाले तत्व अलंकार कहलाते हैं।
- आभूषण जो शरीर का सौंदर्य बढ़ाने के लिए धारण किए जाते हैं। ” काव्यशोभा करान धर्मानअलंकारान प्रचक्षते ।”
- रीतियाँ
- आचार्य वामन ने रीति के तीन भेद तय किये हैं– वैदर्भी रीति, गौडी रीति, पाञ्चाली रीति।
- काव्य गुण
- काव्य में आन्तरिक सौन्दर्य तथा रस के प्रभाव एवं उत्कर्ष के लिए स्थायी रूप से विद्यमान मानवोचित भाव और धर्म या तत्व को काव्य गुण या शब्द गुण कहते हैं।
- यह काव्य में उसी प्रकार विद्यमान होता है, जैसे फूल में सुगन्ध।
- अर्थात् काव्य में श्लेष, प्रसाद, समता, माधुर्य, सुकुमारता, अर्थव्यक्ति, उदारता, ओज, कान्ति और समाधि ये दस गुण होते हैं।
प्रयोजनवती लक्षणा के भेद हैं:
Answer (Detailed Solution Below)
लक्षणा Question 7 Detailed Solution
Download Solution PDFप्रयोजनवती लक्षणा का भेद गौणी - शुद्धा हैं।
- लक्षणा शब्द-शक्ति का एक प्रकार है। लक्षणा, शब्द की वह शक्ति है जिससे उसका अभिप्राय सूचित होता है।
Key Points प्रयोजनवती लक्षणा
- वह लक्षणा जो प्रयोजन द्वारा वाच्यार्थ से भिन्न अर्थ प्रकट करे। प्रयोजनवती लक्षणा में किसी विशेष प्रयोजन की सिद्धि के लिए लक्षणा की जाती है।
जैसे-
- 'बहुत सी तलवारें मैदान में आ गईं' इस वाक्य में यदि हम तलवार का अर्थ तलवार ही करके रह जाते हैं तो अर्थ में बाधा पड़ती है।
प्रयोजनवती लक्षणा के दो मुख्य भेद हैं-
- गौणी
- शुद्धा
Additional Information
गौणी लक्षणा
- गौणी में सादृश्य सम्बन्ध से अर्थात समान गुण या धर्म के कारण लक्ष्यार्थ का ग्रहण किया जाए।
शुद्धा लक्षणा
- शुद्धा लक्षणा में सादृश्य सम्बन्ध के अतिरिक्त अन्य सम्बन्ध से लक्ष्यार्थ का बोध होता है।
शुद्धा लक्षणा के चार भेद हैं-
- उपादान लक्षणा,
- लक्षणलक्षणा
- सारोपा लक्षणा
- साध्यावसाना लक्षणा
उपादान लक्षणा
- जहाँ वाक्यार्थ की संगति के लिए अन्य अर्थ के लक्षित किए जाने पर भी अपना अर्थ न छूटे वहाँ उपादानलक्षणा होती है।
- उपादान का अर्थ है ग्रहण-लेना। इसमें वाच्यार्थ का सर्वथा त्याग नहीं होता है।
- जैसे, 'पगड़ी की लाज रखिये। लक्ष्यार्थ होता है पगड़ीधारी की लाज।
- यहाँ पगड़ी अपना अर्थ न छोड़ते हुए पगड़ीधारी का आक्षेप करता है।
- यहाँ दोनों साथ-साथ हैं। अत: उपादान लक्षणा है।
जब कोई शब्द अपने मुख्यार्थ को बाधित करके अन्य अर्थ को बताए तब उसमें कौन-सी शब्द शक्ति होती है?
Answer (Detailed Solution Below)
लक्षणा Question 8 Detailed Solution
Download Solution PDF- जहां मुख्य अर्थ में बाधा उपस्थित होने पर रूढ़ि अथवा प्रयोजन के आधार पर मुख्य अर्थ से सम्बन्धित अन्य अर्थ को लक्ष्य किया जाता है, वहां लक्षणा शब्द शक्ति होती है।
- जैसे -मोहन गधा है।
- यहां गधे का लक्ष्यार्थ है मूर्ख।
व्यंजना शब्द शक्ति
- व्यंजना शब्द शक्ति वहाँ प्रयुक्त होती है जहाँ वाक्य तो साधारण होता है लेकिन उसका प्रत्येक पाठक अथवा श्रोता के लिए अपना-अपना भिन्न अर्थ होता है।
- इससे उत्पन्न भाव को व्यंग्यार्थ कहा जाता है।
- जैसे- सुबह के 08:00 बज गये।
- यहाँ वाक्य साधारण है लेकिन इसका प्रत्येक व्यक्ति के लिए भिन्न अर्थ है।
- उदाहरण से समझें तो किसी कार्यालय में अगर कर्मचारी आपस में बात करते हुए कहे 08:00 बज गए हैं’ तो उससे संभावित अर्थ यह निकलता है कि अब कार्यालय बंद होने का समय आ गया है, हमें अब अपना काम समेटना चाहिए।
- यह अर्थ व्यंजना से संबंधित है।
अभिधा शब्द
- जिस शब्द शक्ति से प्रचलित अर्थ का बोध हो, उसे अभिधा शब्द शक्ति कहते हैं–
- जैसे- दिवस का अवसान समीप था।
- (यहाँ - दिवस का अर्थ दिन है)
आर्थी व्यंजना शब्द शक्ति
- जो शब्दशक्ति वक्ता (कहने वाला), बोद्धव्य (जिससे बात की जाए), वाक्य, अन्य-संनिधि, वाच्य (वक्तव्य), प्रस्ताव (प्रकरण), देश काल, चेष्टा आदि की विशेषता के कारण व्यंग्यार्थ की प्रतीति कराती है वह आर्थी व्यंजना कही जाती है।
- इस व्यंजना से सूचित व्यंग्य अर्थजनित होने से अर्थ होता है।
मुख्य अर्थ में भिन्न होते हुए भी उससे कुछ सम्बद्ध अर्थ प्रकट करने वाली शब्द शक्ति को क्या कहते हैं?
Answer (Detailed Solution Below)
लक्षणा Question 9 Detailed Solution
Download Solution PDFलक्षणा | जहां किसी शब्द के लाक्षणिक अर्थ से उसके व्यंग्यार्थ पर पहुंचा जाए और शब्द का पर्याय रख देने से व्यंजना का लोप हो जाए, वहां लक्षणामूला शाब्दी व्यंजना होती है। | पेट में आग लगी है। |
आर्थी व्यंजना | जब व्यंजना किसी शब्द विशेष पर आधारित न होकर अर्थ पर आधारित होती है, तब वहां आर्थी व्यंजना मानी जाती हैं। | आंचल में है दूध और आंखों में पानी।। |
अभिधा | जहां पर एक ही शब्द के नाना अर्थ होते हैं, वहां किस अर्थ विशेष को ग्रहण किया जाए | सोहत नाग न मद बिना, तान बिना नहीं राग। |
शाब्दी व्यंजना | जहां शब्द विशेष के कारण व्यंग्यार्थ का बोध होता है और वह शब्द हटा देने पर व्यंग्यार्थ समाप्त हो जाता है वहां शाब्दी व्यंजना होती हैं। | राधा कृष्ण की यह जोड़ी चिरजीवी हो। |
रुढ और प्रयोजनवती किस शब्द शक्ति से सम्बन्ध है?
Answer (Detailed Solution Below)
लक्षणा Question 10 Detailed Solution
Download Solution PDFउपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प "लक्षणा" सही है तथा अन्य विकल्प असंगत है।
- रूढ़ और प्रयोजनवती लक्षणा के प्रकार है।
- लक्षणा शब्द-शक्ति का एक प्रकार है।
- लक्षणा, शब्द की वह शक्ति है जिससे उसका अभिप्राय सूचित होता है।
- रूढ़ि लक्षणा
- जहाँ पर कुछ लक्ष्यार्थ रुढ़ हो गए हैं।
- जैसे 'कार्य में कुशल'। कुशल का शब्दार्थ 'कुश इकट्ठा करनेवाला' होता है, पर यह शब्द दक्ष या निपुण के अर्थ में रुढ़ हो गया है।
- इस प्रकार का अर्थ रुढिलक्षणा द्वारा प्रकट होता है।
- प्रयोजनवती लक्षणा
- वह लक्षणा जो प्रयोजन द्वारा वाच्यार्थ से भिन्न अर्थ प्रकट करे। प्रयोजनवती लक्षणा में किसी विशेष प्रयोजन की सिद्धि के लिए लक्षणा की जाती है।
- जैसे-
- 'बहुत सी तलवारें मैदान में आ गईं' इस वाक्य में यदि हम तलवार का अर्थ तलवार ही करके रह जाते हैं तो अर्थ में बाधा पड़ती है।
- इससे प्रयोजनवश हमें तलवार का अर्थ तलवारबंद सिपाही लेना पड़ता है। अतः जिस लक्षणा द्वारा यह अर्थ लिया वह प्रयोजनवती हुई।
- अभिधा
- जो शब्दों के शब्दकोशीय अर्थ का बोध कराती है।
- इसमें किसी शब्द का सामान्य अर्थ में प्रयोग किया जाता है।
- जैसे 'सिर पर चढ़ाना' का अर्थ किसी चीज को किसी स्थान से उठाकर सिर पर रखना होगा।
- साक्षात् सांकेतित अर्थ (मुख्यार्थ या वाच्यार्थ) को प्रकट करने वाली शब्दशक्ति अभिधा शब्दशक्ति कहलाती है।
- व्यंजना शब्द शक्ति-
- शब्द के जिस व्यापार से मुख्य और लक्ष्य अर्थ से भिन्न अर्थ की प्रतीति हो उसे 'व्यंजना' कहते हैं।
- व्यंजना शब्द शक्ति से अन्यार्थ या विशेषार्थ का ज्ञान कराने वाला शब्द व्यंजक कहलाता है, जबकि उस व्यंजक शब्द से प्राप्त अर्थ को व्यंग्यार्थ या धन्यार्थ कहते हैं।
निम्नलिखित में से 'लक्षणा' शक्ति से संबंधित नहीं है।
Answer (Detailed Solution Below)
लक्षणा Question 11 Detailed Solution
Download Solution PDF'रूढ़ा' और 'प्रयोजनवती' किस शब्द शक्ति के भेद हैं-
Answer (Detailed Solution Below)
लक्षणा Question 12 Detailed Solution
Download Solution PDFउपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प "लक्षणा" सही है तथा अन्य विकल्प असंगत है।
- रूढ़ और प्रयोजनवती लक्षणा के प्रकार है।
- लक्षणा शब्द-शक्ति का एक प्रकार है।
- लक्षणा, शब्द की वह शक्ति है जिससे उसका अभिप्राय सूचित होता है।
- रूढ़ि लक्षणा
- जहाँ पर कुछ लक्ष्यार्थ रुढ़ हो गए हैं। जैसे 'कार्य में कुशल'। कुशल का शब्दार्थ 'कुश इकट्ठा करनेवाला' होता है, पर यह शब्द दक्ष या निपुण के अर्थ में रुढ़ हो गया है। इस प्रकार का अर्थ रुढिलक्षणा द्वारा प्रकट होता है।
- प्रयोजनवती लक्षणा
- वह लक्षणा जो प्रयोजन द्वारा वाच्यार्थ से भिन्न अर्थ प्रकट करे। प्रयोजनवती लक्षणा में किसी विशेष प्रयोजन की सिद्धि के लिए लक्षणा की जाती है।
- जैसे-
- 'बहुत सी तलवारें मैदान में आ गईं' इस वाक्य में यदि हम तलवार का अर्थ तलवार ही करके रह जाते हैं तो अर्थ में बाधा पड़ती है। इससे प्रयोजनवश हमें तलवार का अर्थ तलवारबंद सिपाही लेना पड़ता है। अतः जिस लक्षणा द्वारा यह अर्थ लिया वह प्रयोजनवती हुई।
- प्रयोजनवती लक्षणा के दो मुख्य भेद हैं- गौणी, शुद्धा।
- गौणी लक्षणा
- गौणी में सादृश्य सम्बन्ध से अर्थात समान गुण या धर्म के कारण लक्ष्यार्थ का ग्रहण किया जाए।
- शुद्धा लक्षणा
- शुद्धा लक्षणा में सादृश्य सम्बन्ध के अतिरिक्त अन्य सम्बन्ध से लक्ष्यार्थ का बोध होता है। शुद्धा लक्षणा के चार भेद हैं- उपादान लक्षणा, लक्षणलक्षणा, सारोपा लक्षणा और साध्यावसाना लक्षणा।
- गौणी लक्षणा
मुख्यार्थ के बाधित होने पर जब उससे सम्बद्ध दूसरा अर्थ लिया जाता है तो शब्द-शक्ति क्या होती है?
Answer (Detailed Solution Below)
लक्षणा Question 13 Detailed Solution
Download Solution PDF- मुख्यार्थ के बाधित होने पर जब उससे दूसरा अर्थ लिया जाता तो शब्द शक्ति लक्षणा कहलाती है।
- अतः लक्षणा संगत विकल्प होगा।अन्य सभी विकल्प असंगत है।
- शब्द का अर्थ बोध कराने वाली शक्ति 'शब्द-शक्ति 'कहलाती है।
- शब्द शक्ति को संक्षेप में 'शक्ति' कहते है इसे 'वृत्ति' या 'व्यापार' भी कहा जाता है।
- शब्द शक्ति तीन प्रकार की होती है- अभिधा,लक्षणा,व्यंजना।
शब्द | अर्थ | शक्ति |
वाचक/अभिधेय | वाच्यार्थ/अभिधेयार्थ/मुख्यार्थ | अभिधा |
लक्षक/लाक्षणिक | लक्ष्यार्थ | लक्षणा |
व्यंजक | व्यंग्या/र्व्यंजनार्थ | व्यंजना |
- लक्षणा की परिभाषा: अभिधा के असमर्थ हो जाने अपर जिस शक्ति के माध्यम से शब्द का बोध हो,उसे 'लक्षणा' कहते है।
- लक्षणा की तीन शर्ते:
- मुख्यार्थ में बाधा।
- मुख्यार्थ एवं लक्ष्यार्थ में सम्बन्ध ।
- रूढ़ि या प्रयोजन।
लक्षणा Question 14:
'उसके मुख शशिकर से सौन्दर्य-किरण बरसी।
मन-कुमुद खिला, हर्षित निशछल उर की सरसी।।
प्रस्तुत पद में किस शब्द-शक्ति का प्रयोग किया गया है?
Answer (Detailed Solution Below)
लक्षणा Question 14 Detailed Solution
'उसके मुख शशिकर से सौन्दर्य-किरण बरसी। मन-कुमुद खिला, हर्षित निशछल उर की सरसी।। प्रस्तुत पद में गौणी लक्षणा शब्द-शक्ति का प्रयोग किया गया है।
गौणी लक्षणा-
- जहाँ सादृश्य संबंध से लक्ष्यार्थ ग्रहण किया जाए, वहाँ गौणी लक्षणा होती है।
- उदाहरण-
- 'वह व्यक्ति हाथी है।'
- यहाँ व्यक्ति को हाथी सादृश्य संबंध के कारण कहा गया है।
Key Pointsलक्षणा शब्द शक्ति-
- मुख्यार्थ में बाधा उपस्थित हो जाने पर रूढ़ि या प्रयोजन के कारण जिस शक्ति द्वारा दूसरे अर्थ का ज्ञान हो, उसे लक्षणा कहते हैं।
- उदाहरण-
- 'तुम गधे हो।'
- इस वाक्य में गधे के समान काम करनेवाले व्यक्ति के लिए 'गधे' शब्द का प्रयोग किया गया है।
Important Pointsशुद्धा लक्षणा-
- शुद्धा लक्षणा में लक्ष्यार्थ का ग्रहण सादृश्य-संबंध के बिना किसी अन्य संबंध के आधार पर किया जाता है।
- उदाहरण-
- 'आँचल में है दूध और आँखों में पानी।'
- यहाँ आँचल में दूध से कोई सादृश्य न होने पर भी सामीप्य संबंध के कारण लक्ष्यार्थ का बोध होता है।
- शुद्धा लक्षणा के भी दो भेद होते हैं-
- उपादान लक्षणा
- लक्षण लक्षणा
शाब्दी व्यंजना-
- शाब्दी व्यंजना में शब्दों का प्राधान्य एवं महत्त्व होता है।
- इसमें शब्द के परिवर्तन के साथ ही अर्थ में भी परिवर्तन हो जाता है।
- अनेकार्थक शब्दों का अर्थ निश्चित होने पर ही शाब्दी व्यंजना अपना काम करती है।
- उदाहरण-
- कच समेट कर, भुज उलटि रखए सीस पट डारि।
काकौ मन बाँधौ न यह, जूरौ बाँधनहारि॥
- कच समेट कर, भुज उलटि रखए सीस पट डारि।
आर्थी व्यंजना-
- आर्थी व्यंजना में अर्थ की मदद से व्यंग्यार्थ का ज्ञान होता है।
- जहाँ पर व्यंग्यार्थ किसी शब्द पर आधृत न हो, वरन् उस शब्द के अर्थ द्वारा ध्वनित होता हो, वहाँ आर्थी व्यंजना होती है।
- उदाहरण-
- मैं सुकुमारि, नाथ वन जोगू।
तुमहिं उचित तप, मोकहँ भोगू॥
- मैं सुकुमारि, नाथ वन जोगू।
Additional Informationव्यंजना-
- अभिधा तथा लक्षणा शब्द-शक्ति द्वारा अर्थ बोध न होने पर जिस शक्ति द्वारा व्यंग्यार्थ निकले, उसे व्यंजना कहा जाता है।
- उदाहरण-
- किसी हत्यारे से कहा जाए- ‘वाह! आपकी दया का क्या कहना।
- इसके दो भेद हैं-
- शब्दि व्यंजना
- आर्थी व्यंजना
लक्षणा Question 15:
तुम्हारी बातें कागज की नाव जैसी हैं- वाक्य में कौन सी शब्द शक्ति है?
Answer (Detailed Solution Below)
लक्षणा Question 15 Detailed Solution
Solution: इसका सही उत्तर विकल्प 3 'लक्षणा' है। अन्य विकल्प सही उत्तर नहीं हैं।
- तुम्हारी बातें कागज की नाव जैसी हैं- वाक्य में लक्षणा शब्द शक्ति है।
- यहाँ पर कागज की नाव का शब्दशः अर्थ न लेकर भिन्न अर्थ 'जिसमें कोई भरोसा न हो' की की प्रतीति होती है।
- जिस वाक्य का सामान्य अर्थ कोई महत्च रखे अथवा नहीं लेकिन वह वाक्य किसी संज्ञा अथवा सर्वनाम की विशेषता प्रकट करने के लिए प्रयुक्त होता है।
- सामान्य शब्दों में यह शब्द शक्ति वहाँ प्रयुक्त होती है जहाँ वक्य का लक्षण बताया जाता है। यहाँ उत्पन्न भाव को लक्ष्यार्थ कहा जाता है।
:अन्य विकल्प:
व्यंजना |
व्यंजना शब्द शक्ति वहाँ प्रयुक्त होती है जहाँ वाक्य तो साधारण होता है लेकिन उसका प्रत्येक पाठक अथवा श्रोता के लिए अपना-अपना भिन्न अर्थ होता है। इससे उत्पन्न भाव को व्यंग्यार्थ कहा जाता है। |
सुबह के 08:00 बज गये एक ऐसा व्यक्ति जो जिसका कार्य रात के समय पहरेदारी करना है तो वह इसका अर्थ लेगा कि उसकी अब छुटी हो गयी। एक साधारण कार्यालय जाने वाल व्यक्ति इसका अर्थ लेगा कि उसे कार्यालय जाना है। एक गृहणी महिला इसका अर्थ अपने घर के कार्यों से जोड़कर देखेगी। बच्चे इसका अर्थ अपने विद्यालय जाने के समय के रूप में लेंगे। पुजारी इसका अर्थ अपने सुबह के पूजा-पाठ से जोड़कर देखेगा। अर्थात वाक्य एक है लेकिन प्रत्येक व्यक्ति के लिए भावार्थ अलग-अलग। |
अभिधा |
वे वाक्य जिनका साधारण शाब्दिक अर्थ और भावार्थ समान हो तो उसे अभिधा शब्द शक्ति कहते हैं। इसमें सभी पाठकों अथवा वाचकों अथवा श्रोताओं के लिए वाक्य अथवा वाक्यांश का अर्थ समान होता है। इसमें उत्पन्न भाव को वाच्यार्थ कहा जाता है। |
हिन्दी एक भाषा है। चूँकि हिन्दी एक भाषा है और भाषा किसी से वार्तालाप करने का एक माध्यम है, ठीक उसी प्रकार हिन्दी भी वार्तालाप का एक माध्यम है। |
शाब्दी व्यंजना |
जहां शब्द से अर्थ की प्रतीति हो, वहाँ शाब्दी व्यंजना होता है। |
चिर जीवो जोरी जुरै, क्यों न सनेह गँभीर। को घटि ये वृषभानुजा, वे हलधर के वीर।। इस दोहे में 'वृषभानुजा' के स्थान पर 'राधा' एवं 'हलधर' के स्थान पर 'बलराम' शब्द का प्रयोग कर दिया जाये तो यह व्यंग्यार्थ नष्ट हो जायेगा। |
शब्द शक्ति |
शब्द का अर्थ बोध कराने वाली शक्ति ही शब्दशक्ति कहलाती है। यह शब्द, शब्द और शक्ति के समन्वय से बना है अर्थात शब्दशक्ति का समास विग्रह करने पर इसका तात्पर्य शब्द की शक्ति बताने से होता है। इसके तीन भेद माने गए हैं. |
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अभिधा |
वे वाक्य जिनका साधारण शाब्दिक अर्थ और भावार्थ समान हो तो उसे अभिधा शब्द शक्ति कहते हैं। इसमें सभी पाठकों अथवा वाचकों अथवा श्रोताओं के लिए वाक्य अथवा वाक्यांश का अर्थ समान होता है। इसमें उत्पन्न भाव को वाच्यार्थ कहा जाता है। |
हिन्दी एक भाषा है। चूँकि हिन्दी एक भाषा है और भाषा किसी से वार्तालाप करने का एक माध्यम है, ठीक उसी प्रकार हिन्दी भी वार्तालाप का एक माध्यम है। |
लक्षणा |
यहाँ वाक्य का साधारण अर्थ और भावार्थ भिन्न होता है। जिस वाक्य का सामान्य अर्थ कोई महत्च रखे अथवा नहीं लेकिन वह वाक्य किसी संज्ञा अथवा सर्वनाम की विशेषता प्रकट करने के लिए प्रयुक्त होता है। सामान्य शब्दों में यह शब्द शक्ति वहाँ प्रयुक्त होती है जहाँ वक्य का लक्षण बताया जाता है। यहाँ उत्पन्न भाव को लक्ष्यार्थ कहा जाता है। |
रामू शेर है। रामू एक व्यक्ति है। चूँकि वह आदमी है तो शेर नहीं हो सकता क्योंकि शेर एक जानवर है। लेकिन उसके हावभाव, विचार एवं कार्य शेर जैसे हो सकते हैं। अर्थात यहाँ रामू की विशेषता बतायी गई है। |
व्यंजना |
व्यंजना शब्द शक्ति वहाँ प्रयुक्त होती है जहाँ वाक्य तो साधारण होता है लेकिन उसका प्रत्येक पाठक अथवा श्रोता के लिए अपना-अपना भिन्न अर्थ होता है। इससे उत्पन्न भाव को व्यंग्यार्थ कहा जाता है। |
सुबह के 08:00 बज गये एक ऐसा व्यक्ति जो जिसका कार्य रात के समय पहरेदारी करना है तो वह इसका अर्थ लेगा कि उसकी अब छुटी हो गयी। एक साधारण कार्यालय जाने वाल व्यक्ति इसका अर्थ लेगा कि उसे कार्यालय जाना है। एक गृहणी महिला इसका अर्थ अपने घर के कार्यों से जोड़कर देखेगी। बच्चे इसका अर्थ अपने विद्यालय जाने के समय के रूप में लेंगे। पुजारी इसका अर्थ अपने सुबह के पूजा-पाठ से जोड़कर देखेगा। अर्थात वाक्य एक है लेकिन प्रत्येक व्यक्ति के लिए भावार्थ अलग-अलग। |